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ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को एलपीजी सब्सिडी में योगदान से छूट

नयी दिल्ली : घरेलू तेल एवं गैस उत्खनन को बढावा देते हुये सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को चालू वित्त वर्ष के दौरान एलपीजी सब्सिडी भरपाई में योगदान करने से छूट देने का फैसला किया है. यह बात आज तेल सचिव सौरभ चंद्र ने कही. उद्योग मंडल फिक्की द्वारा हाइड्रोकार्बन पर […]

नयी दिल्ली : घरेलू तेल एवं गैस उत्खनन को बढावा देते हुये सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को चालू वित्त वर्ष के दौरान एलपीजी सब्सिडी भरपाई में योगदान करने से छूट देने का फैसला किया है. यह बात आज तेल सचिव सौरभ चंद्र ने कही. उद्योग मंडल फिक्की द्वारा हाइड्रोकार्बन पर आज यहां आयोजित बैठक में उन्होंने कहा ‘सरकार 2015-16 के लिये एलपीजी सब्सिडी का पूरा बोझ स्वयं वहन करेगी.’

सरकार गरीबों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एलपीजी और केरोसिन जैसे रसोई इंधन के दाम का नियमन करते हुये वास्तविक लागत से कम दाम पर उसकी बिक्री करती है. इन पेट्रोलियम उत्पादों की वास्तविक बाजार लागत और सरकार द्वारा तय खुदरा बिक्री मूल्य के बीच के अंतर को लागत से कम वसूली कहते हैं जिसका बोझ सरकार नकद सब्सिडी के जरिए और ओएनजीसी जैसी उत्खनन कंपनियों से मिलने वाले योगदान के जरिये करती हैं.

तेल एवं गैस उत्खनन एवं उत्पादन से जुडी ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और गेल को रसोई ईंधन एलपीजी और केरोसिन तथा अक्तूबर 2014 तक डीजल जैसे रसोई ईंधन पर सब्सिडी के कुछ हिस्से को वहन करना होता है. डीजल की कीमत अक्तूबर 2014 में नियंत्रण मुक्त होने के बाद यह घरेलू एलपीजी और केरोसिन तक सीमित रह गई है. उन्होंने कहा ‘उत्खनन करने वाली राष्ट्रीय तेल कंपनियों का कम वसूली में योगदान घटा है और वे इतनी ही राशि के संसाधन का उत्खनन और उत्पादन में निवेश करने के लिए आजाद हैं.’

चंद्र ने कहा कि वित्त मंत्रालय द्वारा ईंधन बिक्री पर राजस्व नुकसान की भरपाई करने पर सहमति जताने के बाद सरकार ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया को ईंधन सब्सिडी में योगदान करने से छूट दे दी है. वित्त मंत्रालय सरकार नियंत्रित दर पर घरेलू एलपीजी और केरोसिन की बिक्री पर राजस्व नुकसान की प्रभावी तरीके से भरपाई करने के लिए जनवरी से मार्च 2015 की तिमाही के लिए पूरी 5,324 करोड रुपये की सब्सिडी का भुगतान करेगा.

वित्त वर्ष के पहले नौ महीने (दिसंबर 2014 तक) पेट्रोलियम पदाथों की बिक्री करने वाली कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड को लागत से कम दाम पर उत्पादों की बिक्री से होने वाला नुकसान 67,091 करोड रुपये रहा और इसकी भरपाई सरकार के सब्सिडी समर्थन और ओएनजीसी जैसी उत्खनन कंपनियों से प्राप्त योगदान के जरिए की गई.

जनवरी से मार्च 2015 तिमाही के लिए लागत से कम वसूली 5,324 करोड रुपये रही. सरकार ने कहा है कि इसकी भरपाई वह स्वयं कर लेगी और तेल उत्खनन कंपनियों को इसमें योगदान नहीं करना होगा. पेट्रोलियम सचिव ने कहा कि सरकार सीधे उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के तहत उनके बैंक खातों में एलपीजी सब्सिडी का भुगतान कर रही है इसलिए फैसला किया गया है कि इसकी पूरी भरपाई बजट से की जाएगी. उन्होंने कहा कि ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को 2015-16 में सिर्फ केरोसिन पर सब्सिडी बोझ का वहन करना होगा.

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