9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या आर्थिक समीक्षा 2015 में छिपे हैं खुशनुमा बजट के संकेत?

नयी दिल्ली : आर्थिक जानकार कहते हैं कि किसी सरकार की आर्थिक समीक्षा उसके बजट का संकेत होतीहै कि वह किस दिशा में जायेगा और वह कितना खुशनुमा होगा या फिर उसका स्वरूप कैसा होगा. तो ऐसे में मोदी सरकार की आर्थिक समीक्षा में जो खुशियां आने की आहट सुनायी पड़ती है, उसके आधार पर […]

नयी दिल्ली : आर्थिक जानकार कहते हैं कि किसी सरकार की आर्थिक समीक्षा उसके बजट का संकेत होतीहै कि वह किस दिशा में जायेगा और वह कितना खुशनुमा होगा या फिर उसका स्वरूप कैसा होगा. तो ऐसे में मोदी सरकार की आर्थिक समीक्षा में जो खुशियां आने की आहट सुनायी पड़ती है, उसके आधार पर क्या हम मानें कि कल पेश होने वाला बजट हमें खुशियां देने वाला भी होगा और देश एक नयी ऊर्जा और तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगा.संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष में 8.1 से 8.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि रहने का अनुमान लगातेलगाते हुए आगे बड़ेआर्थिक सुधारों को आगे बढाने पर जोर दिया गया है. वर्ष 2014-15 की समीक्षा में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में दहाई अंक की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए कारोबारी माहौल सुधारने और कर दरों को नरम रखने कीजरूरतहै.

बेहतर मुकाम पर अर्थव्यवस्था

केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट से एक दिन पहले पेश इससमीक्षा में कहा गया है, ‘भारत आज ऐसे बेहतर मुकाम पर पहुंच चुका है जहां सेबड़ेसुधारों को आगे बढाने का सबसे अच्छा मौका है.’ वित्त मंत्री अरुण जेटली कल वर्ष 2015-16 का आम बजट पेश करेंगे. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का यह पहला पूर्ण बजट होगा.

समीक्षा में कहा गया है कि सुधारों को बढाने के लिए स्पष्ट जनादेश और अनुकूल बाह्य परिवेश से, ‘अब भारत के दहाई वृद्धि के दायरे में पहुंचने की उम्मीद बढ गई है.’ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार पिछले साल मई में हुये आम चुनाव के बाद स्पष्ट जनादेश के साथ सत्ता में आई है. समीक्षा में सुधारों को बढाने की पहल के तहत जिन क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है .

बेहतर संपर्क सुविधा पर जोर

उनमें श्रम कानूनों में सुधार, ढांचागत सुविधाओं को बढाने और भारत में कारोबार करने की लागत में कमी केलिएबेहतर परिवहन एवं संपर्क सुविधा पर जोर दिया गया है. समीक्षा में कहा गया है, ‘अगले कुछ समय में कच्चे तेल के दाम घटने, निम्न मुद्रास्फीति को देखते हुये मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में संभावित गिरावट और मुद्रास्फीतिक धारणा में नरमी के साथ-साथ मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी से आर्थिक वृद्धि को जरुरी प्रोत्साहन मिल सकता है.’

आठ प्रतिशत से अधिक पर रहेगी जीडीपी दर

समीक्षा के अनुसार कृषि उत्पादन बेहतर रहने से चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है हालांकि, केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के इस महीने की शुरुआत में जारी आंकडों के अनुसार जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसमें कहा गया है, ‘कई सुधारों को आगे बढाया गया है और कई सुधार जल्द शुरू होंगे. वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरिण (डीबीटी) योजनायें पासा पलटने वाली साबित होंगी.’

राजग सरकार ने सत्ता में आने के बाद पिछले दस महीनों के दौरान जिन अहम् सुधारों को आगे बढाया उनमें डीजल मूल्य सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना, घरेलू एलपीजी सब्सिडी का प्रत्यक्ष हस्तांतरण, रक्षा और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा बढाना तथा कोयला क्षेत्र में खान आवंटन के लिये अध्यादेश जारी किया है.

आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार

समीक्षा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान देश में वृहद आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है लेकिन निर्यात, निर्माण और खनन क्षेत्र की गतिविधियों में वृद्धि के रुझान को लेकर चिंता जतायी गयी है. आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश को अगले एक-दो साल की मध्यम अवधि में सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले तीन प्रतिशत राजकोषीय घाटे को पाने के लक्ष्य का अवश्य अनुसरण करना चाहिये.

इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति बनने से घरेलू अर्थव्यवस्था को भविष्य के झटकों में संभालने और दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय प्रदर्शन के करीब पहुंचने में मदद मिलेगी. इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसा लगता है कि अब सुस्ती, लगातार उंची मुद्रास्फीति, ऊंचे राजकोषीय घाटे, कमजोर पडती घरेलू मांग, बाह्य खाते में असंतुलन और रुपये की गिरती साख जैसी स्थिति से आगे निकल चुकी है.

मुद्रास्फीति में गिरावट

मुद्रास्फीति की रफ्तार अप्रैल से दिसंबर की अवधि में गिरावट में रही है. समीक्षा अगले वित्त वर्ष 2015-16 में मुद्रास्फीति 5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है. गिरती मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे (कैड) में उल्लेखनीय सुधार आने से भारत अब एक आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर बन गया है. अगले वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा घटकर जीडीपी का एक प्रतिशत रहने का अनुमान है.

निजी निवेश में तेजी पर जोर

समीक्षा में निजी क्षेत्र के निवेश में तेजी लाने पर बल दिया गया है और कहा गया है कि दीर्घकालिक के लिये निजी निवेश पहली प्राथमिक होनी चाहिये. आर्थिक वृद्धि को पुनर्जीवित करने और वित्तीय स्थिति में बेहतरी के लिये विशेषतौर पर रेलवे में निजी निवेश को कम से कम मध्यम काल में अहम् भूमिका निभानी चाहिये. आर्थिक समीक्षा में 14वें वित्त आयोग पर केंद्रित एक अलग अध्याय में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उदृत किया गया है.

नीति आयोग से सहयोग और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा

इसमें कहा गया है कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने और नीति आयोग का गठन करने से सरकारों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढावा मिलेगा. वित्तीय नीति के सबसे बेहतर नियम को याद करते हुये समीक्षा कहती है कि सरकार को मौजूदा खर्चों को पूरा करने के लिये नहीं बल्कि निवेश कार्यों के लिये कर्ज लेना चाहिये. इसमें सरकार पर जोर देते हुये कहा गया है कि उसे राजकोषीय घाटे को जीडीपी का तीन प्रतिशत पर लाने के लिये काम करना चाहिये.
सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने पर जोर

खाद्यान्न, उर्वरक और पेट्रोलियम सहित विभिन्न प्रकार की सब्सिडी का जिक्र करते हुएइसमें कहा गया है कि सब्सिडी 3.78 लाख करोड रुपये रहने का अनुमान है जो कि जीडीपी का 4.24 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी. समीक्षा में कहा गया है, ‘गरीबी से लडने के लिए यह (सब्सिडी) सरकार का सबसे बेहतर हथियार नहीं हो सकती.’ इसके मुताबिक आमतौर पर होता यह है कि गरीबों के बजाय अमीर परिवार सब्सिडी का ज्यादा फायदा उठाते हैं.

इसमें कहा गया है कि जनधन योजना, आधार और मोबाइल (जनाधारम) इन तीनों के माध्यम से बिनागड़बड़ीऔर अधिक लक्षित तरीके से गरीबों को सब्सिडी यानी सरकारी सहायता पहुंचाई जा सकेगी. आर्थिक समीक्षा में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढाने पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि मजबूत खाद्य सुरक्षा के लिए उत्पादकता और उत्पादन में सुधार जरूरी है.

खाद्यान्न उत्पादन बढ़ने का अनुमान

समीक्षा के अनुसार वर्ष 2014-15 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 25 करोड 71 लाख टन रहने का अनुमान है जो कि पिछले पांच साल के औसत उत्पादन के मुकाबले 85 लाख टन अधिक होगा. इससे पहले 2013-14 में मूंगफली उत्पादन 105.8 प्रतिशत बढ गया. जिसकी उत्पादकता में 76 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी. विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के मुद्दे पर समीक्षा में कहा गया है, ‘भारतीय संदर्भ में दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं.

हुनरमंद भारत व मेक इन इंडिया

इसी प्रकार ‘हुनरमंद भारत’ भी कम महत्वपूर्ण नहीं है और इसे भी उतनी ही अहमियत दी जानी चाहिए जितनी कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत दूसरे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को दी गयी है. समीक्षा में इस बात पर संतोष जताया गया है कि अटकी पड़ी परियोजनाओं की संख्या बढनी अब रुक गयी है और इसमें निवेश बढाने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी नमूने की नये सिरे से समीक्षा पर जोर दिया गया है.

औद्योगिक उत्पादन में सुधार

इसमें कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से दिसंबर 2014-15 अवधि में इसमें 2.1 प्रतिशत की धीमी गति से सुधार हो रहा है. इससे पिछले साल इसी अवधि में इसमें 0.1 प्रतिशत वृद्धि रही थी. समीक्षा के अनुसार इस वृद्धि में ढांचागत क्षेत्र जैसे बिजली, कोयला और सीमेंट, खनन क्षेत्र की वृद्धि सकारात्मक रही है.

दूसरी तरफ विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि लगातार सुस्त रही है और अप्रैल से दिसंबर में यह 1.2 प्रतिशत रही. समीक्षा के अनुसार ऊंची ब्याज दर, ढांचागत सुविधाओं की कमी और कमजोर घरेलू तथा बाहरी मांग की वजह से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि धीमी रही है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें