17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सरकार से एसोचैम ने आयकर छूट की सीमा तीन लाख रुपए करने की मांग की

नयी दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार से कर प्रशासन में समानता, पारदर्शिता और उचित व्यवहार पर जोर देते हुये करदाताओं के लिये अनुपालन सरल बनाने तथा कर छूट की सीमा तीन लाख रुपए किये जाने की सिफारिश की है. फिलहाल आयकर पर छूट की सामान्य सीमा ढाई लाख रुपये तक की […]

नयी दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार से कर प्रशासन में समानता, पारदर्शिता और उचित व्यवहार पर जोर देते हुये करदाताओं के लिये अनुपालन सरल बनाने तथा कर छूट की सीमा तीन लाख रुपए किये जाने की सिफारिश की है. फिलहाल आयकर पर छूट की सामान्य सीमा ढाई लाख रुपये तक की है.
सरकार को अपने बजट पूर्व ज्ञापन में एसोचैम ने कहा है कि कर मुक्त आय की सीमा ढाई लाख से बढाकर तीन लाख रुपये की जानी चाहिये. तीन से छह लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत, छह लाख से 12 लाख की आय पर 20 प्रतिशत और 12 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगना चाहिये. वर्तमान में क्रमशः 2.50 से पांच लाख पर 10 प्रतिशत, पांच से दस लाख पर 20 और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है.
एसोचैम प्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन वेद जैन और महासचिव डी.एस. रावत ने बजट पूर्व ज्ञापन के बारे में पत्रकारों से कहा कि कर कानून में आज भी कई ऐसी खामियां हैं जिनकी वजह से करदाता और कर प्रशासन के बीच प्रतिवादिता का संबंध बन जाता है. जैन ने कहा कि करदाताओं के लिये अनुपालन को सरल बनाया जाना चाहिये. आयकर के ऊपर अधिभार, उपकर लगाने से कर प्रक्रिया जटिल होती है, बजाय इसके सीधे कर की दर में ही बदलाव किया जा सकता है ताकि गणना सरल हो सके. जैन ने कहा कि आयकर रिफंड बजट प्रस्ताव का हिस्सा होना चाहिये.
दूसरी तरफ, महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि व्यक्तिगत करदाताओं को आवास ऋण के ब्याज पर कर कटौती बढायी जानी चाहिए. एसोचैम ने इसके लिए सालाना तीन लाख रुपये तक के ब्याज भुगतान पर कटौती का प्रावधान किए जाने की सिफारिश की है जो वर्तमान में दो लाख रुपए तक सीमित है.
एसोचैम ने आवास क्षेत्र को राजकोषीय प्रोत्साहन देने की सिफारिश की है ताकि 2022 तक सबको आवास का लक्ष्य हासिल हो सके. वेद जैन ने कहा कि देश में करीब चार करोड कर दाता हैं. इस साल प्रत्यक्ष कर के जरिये करीब 7,50,000 करोड रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार को करदाताओं के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिये. उन्हें विश्वास में लेकर ही कदम उठाया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा कि आयकर कानूनों में आम बजट के साथ कोई बडा संशोधन नहीं किया जाना चाहिये बल्कि ऐसे मामलों में संबद्ध पक्षों को पहले विश्वास में लिया जाना चाहिये.
एसोचैम महासचिव ने कहा कि आज भी कर आंकलन की जांच-परख करते समय संबंधित करदाता को उपस्थित होने को कहा जाता है. स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के मामले में नियमों की मनमानी परिभाषायें की जाती हैं. कर रिफंड में देरी की जाती और जटिल मुद्दों में स्पष्टता के लिये मास्टर सर्कुलर का भी अभाव रहता है.
विदेशी निवेश के मामले में उन्होंने कहा कि 2012 के बजट में पिछली तिथि से कर लगाने का प्रावधान समाप्त किये जाने की जरुरत है. यह प्रावधान समाप्त होने के बाद ही माहौल ठीक होगा और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढेगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें