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आखिर राजन ने रेट कट नहीं करने के लिए कैसे हासिल किया सरकार का विश्वास ?

मुंबईः रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज सरकार व उद्योगपत्तियों के दबाव के बावजूद ब्याज दरों में किसी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया. अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार द्वारा दिये गये सुझावों व दलीलों को खारिज करते हुए राजन अपने फैसले पर कायम रहे. यही नहीं उन्होंने अपने तर्क […]

मुंबईः रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज सरकार व उद्योगपत्तियों के दबाव के बावजूद ब्याज दरों में किसी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया. अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार द्वारा दिये गये सुझावों व दलीलों को खारिज करते हुए राजन अपने फैसले पर कायम रहे. यही नहीं उन्होंने अपने तर्क से सरकार को अपने विश्वास में लिया कि उनके द्वारा जो भी कदम उठाया जा रहा है उससे देश की अर्थव्यवस्था को किसी तरह का नुकसान नहीं होगी बल्कि इससे उसे गति मिलेगी.
उन्होंने सरकार को बताया कि अगर ब्याज दरें घटाई जाएंगी तो अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बढ़ेगा और फिर महंगाई भी बढ़ेगी. इस कारण से लोगों को महंगी दरों पर लोन लेना पड़ेगा जिसका नतीजा बैंकों को भी भुगतना पड़ेगा.
इस तरह से देखा जाय तो रघुराम राजन बिना किसी दबाव के अपने बुद्धि विवेक से फैसला लेने के लिए जाने जाते हैं. यूपीए सरकार के समय भी इन्होंने बिना किसी दबाव के फैसला लिया. 4 सितम्बर 2013 को पदभार ग्रहण करने के बाद अपने प्रथम भाषण में ही राजन ने भारतीय बैंकों की नयी शाखाएं खोलने के लिये लाईसेंस प्रणाली की समाप्ति की घोषणा कर दी.
बीजेपी की नयी मोदी सरकार आने के बाद से सरकार ने कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठे शीर्ष अधिकारियों का फेरबदल किया, यहां तक की कई राज्यों के राज्यपाल को बदला गया लेकिन राजन को उसने बदलने की जरुरत नहीं समझी. हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली के भी ब्याज दरों में कटौती करने के सुझाव को खारिज करते हुए वे अपने फैसले पर अडिग रहे.
विश्लेषकों के अनुसार रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान रघुराम राजन न सिर्फ बढ़ती महंगाई तथा चालू खाता घाटा को कम करने, अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती दूर करने और रुपए में जारी गिरावट को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं बल्कि उन्होंने आर्थिक विकास को पटरी पर लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
रघुराम राजन के बारे में और—
3 फ़रवरी 1963 को भोपाल शहर में जन्मे रघुराम गोविंद राजन भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर हैं. 4 सितम्बर 2013 को डी सुब्बाराव की सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्होंने भारत के रिजर्व बैंक के गवर्नर का पदभार ग्रहण किया. इससे पूर्व वह प्रधानमन्त्री, मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार व शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक॰ जे॰ ग्लीचर फाईनेंस के गणमान्य सर्विस प्रोफेसर थे. 2006 तक वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री व अनुसंधान निदेशक रहे.
2005 में ऐलन ग्रीनस्पैन अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सेवानिवृत्ति पर उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में राजन ने वित्तीय क्षेत्र की आलोचना कर एक विवादास्पद शोधपत्र प्रस्तुत किया. उस शोधपत्र में उन्होंने स्थापित किया कि अन्धाधुन्ध विकास से विश्व में आपदा हावी हो सकती है. और इस प्रकार राजन ने विश्व की 2007-2008 के लिए वित्तीय प्रणाली के पतन की 3 वर्ष पूर्व ही भविष्यवाणी कर दी थी.
उस समय राजन के शोधपत्र पर नकारात्मक प्रतिक्रिया ज़ाहिर की गयी. अमेरिका के पूर्व वित्त मन्त्री और पूर्व हार्वर्ड अध्यक्ष लॉरेंस समर्स ने इस चेतावनी को गुमराह करने वाला बताया. किन्तु 2008 में जब आर्थिक मंदी आयी तब लोगों ने इनका लोहा माना.
राजन ने हाल में भी विश्व अर्थव्यवस्था को सावधान किया है कि जिस प्रकार से विश्व में खर्च बढ रहा है किन्तु उत्पादन बढाने की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है इससे विश्व एक बार फिर आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकता है और यह आर्थिक मंदी 2008 की आर्थिक मंदी से भी भयानक हो सकता है.

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