नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट कंपनी को अब अपने 92 घर खरीदारों को करीब 15.90 लाख रुपये लौटाने होंगे. इसका कारण यह है कि उसने अपने इन ग्राहकों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लाभ नहीं दिया था. मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण ने दिल्ली की निर्माण कंपनी पुरी कंस्ट्रक्शंस को जीएसटी दरों में कटौती का लाभ अपने ग्राहकों को नहीं देने का दोषी पाया है. प्राधिकरण ने कंपनी को उसके 92 घर खरीदारों को 15.90 लाख रुपये लौटाने को कहा है.
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राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) ने एक ग्राहक की शिकायत पर यह आदेश पारित किया है. पुरी कंस्ट्रक्शंस के फरीदाबाद, हरियाणा स्थित ‘आनंद विलास प्रोजेक्ट’ में फ्लैट खरीदने वाले एक ग्राहक ने जीएसटी लाभ ग्राहकों को नहीं दिये जाने की शिकायत की थी. आवेदक ने 9 मई, 2017 को कंपनी की परियोजना में फ्लैट बुक कराया था.
शिकायतकर्ता ने कहा है कि एक जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद टैक्स दर कम होने का लाभ दाम में कटौती के रूप में उसे नहीं मिला. जीएसटी लागू होने से पहले निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं पर कुल मिलाकर 15 से 18 फीसदी की दर से कर लगता रहा है. जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद टैक्स की दर घटकर 12 फीसदी पर आ गयी.
इसके साथ ही, इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ भी दिया गया. मामले की जांच के दौरान मुनाफाखोरी रोधी महानिदेशालय (डीजीएपी) ने पाया कि परियोजना में तैयार 512 फ्लैट में से केवल 155 फ्लैट बिके थे, जो आईटीसी लाभ पाने के पात्र थे. डीजीएपी ने अपनी जांच में पाया कि इन 155 खरीदारों में से केवल 63 खरीदारों को भी इसका लाभ दिया गया और शेष 92 को आईटीसी का लाभ नहीं मिला. कुल मिलाकर खरीदारों को 15.90 लाख रुपये का लाभ नहीं दिया गया.
एनएए ने कहा कि मामले की जांच पड़ताल के बाद पुरी कंस्ट्रक्शंस को 92 घर खरीदारों को 18 फीसदी वार्षिक ब्याज दर के साथ 15,90,239 रुपये लौटाने का निर्देश दिया गया. ब्याज राशि की गणना उस अवधि के लिए होगी, जब से कंपनी ने खरीदारों से यह राशि प्राप्त की और जब तक इसका भुगतान किया जाता है.
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