नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ा दी है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, अब यह सीमा बढ़ाकर कर्मचारियों के छह माह के मूल वेतन के बराबर होगी. खुलासे की पुरानी मौद्रिक सीमा 26 साल से अधिक पुरानी है. पहले के नियमों के अनुसार, समूह ए और समूह बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपये से अधिक का लेन-देन करने पर उसका खुलासा करना होता था. समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपये थी.
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सरकार ने अब फैसला किया है कि अब सभी कर्मचारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी, जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन को पार कर जायें. मंत्रालय ने इस बारे में गुरुवार को केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है. प्रशासनिक अधिकारी इस तरह के लेन-देन पर निगाह रख सकें, इसके मद्देनजर सरकार ने कर्मचारियों को इस ब्योरे को साझा करने के बारे में प्रारूप भी जारी किया है.
सेवा नियम कहते हैं कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी शेयर या अन्य निवेश में सटोरिया गतिविधियां नहीं कर सकता. सेवा नियमों में यह भी साफ किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी द्वारा शेयरों, प्रतिभूतियों और अन्य निवेश की गयी बार खरीद बिक्री की जाती है, तो उसे सटोरिया गतिविधि माना जायेगा.
कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि कर्मचारियों द्वारा इस तरह शेयर ब्रोकर या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति के जरिये कभी-कभार किये जाने वाले निवेश की अनुमति है. अधिकारियों ने कहा कि यह कदम उठाने की जरूरत इसलिए महसूस हुई है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है. सरकार ने साफ किया है कि ताजा खुलासा पहले से कर्मचारियों के लिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज या सीसीएस (कंडक्ट) नियम, 1964 के तहत खुलासे की जरूरत के अतिरिक्त होगा.
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