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e-tail policy के बदलने से अमेजन, वॉलमार्ट को 50 बिलियन से ज्यादा का नुकसान

बेंगलुरु : अमेजन और वॉलमार्ट को 50 बीलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इन दोनों कंपनियों की भारतीय बाजार में लगभग 77 फीसदी हिस्सेदारी है. शुक्रवार को भारत सरकार ने ई कॉमर्स पालिसी में बदलाव किया, जिसका सीधा नुकसान इन कंपनियों को रहा है. ध्यान रहे कि इन दोनों दोनों कंपनियों ने भारतीय […]

बेंगलुरु : अमेजन और वॉलमार्ट को 50 बीलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इन दोनों कंपनियों की भारतीय बाजार में लगभग 77 फीसदी हिस्सेदारी है. शुक्रवार को भारत सरकार ने ई कॉमर्स पालिसी में बदलाव किया, जिसका सीधा नुकसान इन कंपनियों को रहा है. ध्यान रहे कि इन दोनों दोनों कंपनियों ने भारतीय बाजार पर अधिपत्य स्थापित करने के लिए बड़ा फैसला लिया था.

अमेजन ने 5 बिलियन डॉलर, तो वॉलमार्ट ने 16 बिलियन डालर खर्च फ्लिपकार्ट में शेयर खरीदा था. अमेजन के शेयर्स 5.38 फीसद गिरे जिससे कंपनी को 45.22 बिलियन का नुकसान हुआ. वही वॉलमार्ट के शेयर में 2.06 फीसद की गिरावट आयी जिससे कंपनी 93.86 डॉलर का नुकसान हुआ. शुक्रवार को यूएस में शेयर बाजार बंद होने तक अमेजन 795.18 और वॉलमार्ट 272.69 मूल्य पर बरकरार रहा.
शेयर बाजार में गिरावट की खबर चौथी तिमारी में भी आयी थी. कंपनी ने फैसला लिया था भारत में खर्च और योजनाओं को लेकर अब ज्यादा पैसा नहीं लगाया जायेगा. इन सबके बावजूद अमेजन का अंतरराष्ट्रीय बाजार और भारतीय बाजार में भी धीमी लेकिन बढ़त देखी गयी. अमेजन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 15 फीसद की बढ़त दर्ज की गयी, जो 20.83 बिलियन डॉलर का है. यह आकड़ा तीमाही दिसबर 2018 का है. अगर इसकी तुलना करें तो यह 29 फीसद बढ़त दर्ज कर रहा है.
भारत सरकार के इस फैसले पर फ्लिपकार्ट की तरफ से भी बयान आया है, उन्होंने कहा, यह बेहद निराश करने वाला फैसला है कि सरकार जल्द से जल्द ई कॉमर्स पॉलिसी को बदलना चाहती है जबकि इसके लिए थोड़ा वक्त कंपनियों को मिलना चाहिए ताकि वह अपने नीतियों और योजनाओं में बदलाव ला सकें. दूसरी तरफ अमेजन ने कहा, इस मामले में हम सरकार के साथ बात करेंगे ताकि इस फैसले का कम प्रभाव पड़े.
डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी ( DIPP) ने इस मामले में कहा है कि इस फैसले को लागू करने की समयसीमा नहीं बढ़ायी जा सकती. दिसंबर के अंत में ही यह फैसला लिया गया था और इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता.
अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई कॉमर्स कंपनी का लगभग 80 फीसद हिस्सा भारतीय रिटेल बाजार में है इसकी समयावधि बढ़ाने में लगी है. अमेजन इसे लागू करने के लिए चार महीने का समय चाहती है तो फ्लिपकार्ट छह महीने का. ई टेलेर्स के नये नियम के अनुसार ग्रॉस बिक्री का 25 फीसद ही जमा रख सकते हैं , उससे ज्यादा नहीं. इस फैसले को लागू करने से पहले कंपनियों के पास जो स्टार्क है उसे खत्म करना होगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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