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बैंकों का घाटा एक साल में “4,284.45 करोड़ से बढ़कर “14,716.20 करोड़ पहुंचा

21 बैंकों का जुलाई-सितंबर तिमाही में नुकसान का अंतर 3.5 गुना बढ़ा नयी दिल्ली : डूबे कर्ज (एनपीए) में लगातार बढ़ोतरी से चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 21 सरकारी बैंकों का घाटा पिछले साल की तिमाही के मुकाबले करीब साढे तीन गुना बढ़कर 14,716.20 करोड़ रुपये पहुंच गया. एक साल पहले बैंकों का […]

21 बैंकों का जुलाई-सितंबर तिमाही में नुकसान का अंतर 3.5 गुना बढ़ा
नयी दिल्ली : डूबे कर्ज (एनपीए) में लगातार बढ़ोतरी से चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 21 सरकारी बैंकों का घाटा पिछले साल की तिमाही के मुकाबले करीब साढे तीन गुना बढ़कर 14,716.20 करोड़ रुपये पहुंच गया. एक साल पहले बैंकों का कुल घाटा 4,284.45 करोड़ रुपये था. हालांकि, तिमाही आधार पर बैंकों के प्रदर्शन में थोड़ा सुधरा आया है.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के मुकाबले बैंकों का घाटा 2000 करोड़ रुपये घटकर 14,716.2 करोड़ रुपये रहा, जो अप्रैल-जून 2018 तिमाही में 16,614.9 करोड़ रुपये था. एनपीए के सामने अधिक प्रावधान किये जाने से सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट पर बुरा असर पड़ा है. मार्च 2018 तक बैंकों का कुल डूबा कर्ज 10 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है. सरकार दिवाला संहिता सहित अन्य उपायों से बड़े डिफॉल्टरों से कर्ज वूसली की कोशिश कर रही है.
बैंकों की ओर से पेश तिमाही नतीजों पर गौर करें, तो 14,400 करोड़ के नीरव मोदी के घोटाले से की मार झेल रहे पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को सितंबर तिमाही में सबसे ज्यादा घाटा हुआ है. पीएनबी लगातार तीन तिमाहियों से लगातार घाटा झेल रहा है. पीएनबी नीरव स्कैम से उबर नहीं पाया है. पीएनबी को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4,532.35 करोड़ का घाटा हुआ है. पीएनबी का एनपीए के लिए प्रावधान और आकस्मिक खर्च बढ़कर 9,757.90 करोड़ हो गया.
एक साल पहले की जुलाई-सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 2,440.79 करोड़ रुपये था. इसमें, बैंक का एनपीए के लिए प्रावधान पिछले वर्ष के 2,693.78 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,733.27 करोड़ पर पहुंच गया. देश के इस दूसरे सबसे बड़े बैंक को इस साल की शुरुआत में नीरव मोदी घोटाला सामने आने के बाद से ही भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
10 लाख करोड़ रुपये के डूबे कर्ज से उबरना प्रमुख चुनौती
एसबीआई और ओरिएंटल के परिणाम से कुछ राहत
भारतीय स्टेट बैंेक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के सितंबर तिमाही में मजबूत प्रदर्शन से बैंकों का घाटा कम करने में मदद मिली है. चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में एसबीआइ को 944.87 करोड़ रुपये का लाभ हुआ, जबकि जून तिमाही में उसे 4,875.85 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को इस दौरान 101.74 करोड़ का मुनाफा हुआ जबकि जून तिमाही में उसे 393.21 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
बैंक सितंबर का नुकसान
पंजाब नेशनल बैंक 4,532.35
आईडीबीआई 3,602.50
इलाहाबाद बैंक 1,822.71
बैंक ऑफ इंडिया 1,156
यूको बैंक 1,136
सेंट्रल बैंक 924
इंडियन ओवरसीज 487
देना बैंक 417
यूनाइटेड बैंक 389
एनपीए और बैंक फ्रॉड से बढ़ रहा बैंकों का नुकसान
घाटे के कारण बैंकों नकदी की कमी से होते हैं परेशान
बैंकों में लोन बांटने की प्रक्रिया हो जाती है बहुत धीमी
लोन डूबने का सीधा असर राजकोषीय घाटे और अंतत: सरकार पर पड़ता है
बैंकों के डैमेज कंट्रोल में जुट गयी केंद्र सरकार
सरकार और आरबीआई सरकारी बैंकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कदम उठा रहे हैं. सरकार अपने स्तर पर इन बैंकों को नयी पूंजी उपलब्ध करा रही है, जबकि आरबीआई उनकी निगरानी को कड़ी कर रहा है. बैंकों के पास लोन बांटने के लिए नकदी की कमी न हो इसके लिए सरकार दो साल में बैंकों को दो लाख करोड़ रुपये देगी.

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