नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कर्ज संकट में फंसी आईएल एण्ड एफएस के पक्ष में खड़ी हुई है. एलआईसी ने मंगलवार को कहा कि वह आईएल एंड एफएस को गिरने नहीं देगी और इसे बनाये रखने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करेगी. आईएल एंड एफएस में एलआईसी की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. आईएल एंड एफएस समूह की कंपनी आईएल एंड एफएस फाइनांशियल सविर्सेज सोमवार को वाणिज्यिक पत्र का सोमवार को होने वाला भुगतान करने में असफल रही. यह तीसरा मौका था, जब कंपनी अपनी भुगतान करने के वादे को नहीं निभा पायी.
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एलआईसी के चेयरमैन वीके शर्मा ने वित्त मंत्रालय में बैठक के बाद आश्वासन दिया कि आईएल एंड एफएस को कारोबार में खड़ा रखने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम यह तय करेंगे की आईएल एंड एफएस न डूबे. हम नहीं चाहते कि संक्रमण आईएल एंड एफएस से शुरू हो. सभी विकल्प खुले हैं. इसमें कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाने का विकल्प भी शामिल है.
बुनियादी विकास और वित्तीय समूह की यह कंपनी पिछले कुछ समय से नकदी संकट से जूझ रही है. इस महीने की शुरुआत में वह सिडबी को 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पायी थी. इसके बाद 14 सितंबर को यह 105 करोड़ रुपये के कमर्शियल ऋण-पत्र का भुगतान नहीं कर पायी और उसके अगले दिन 80 करोड़ रुपये के अंतर- कॉरपोरेट जमा राशि का भुगतान करने में विफल रही.
बहरहाल, वित्त मंत्रालय ने कहा है कि आईएल एंड एफएस समूह सरकार से अलग स्वतंत्र समूह है और कंपनी को खुद अपनी समस्या का निदान करना होगा. हालांकि, सरकार की इस कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है, लेकिन एलआईसी और स्टेट बैंक जैसे कुछ सार्वजनिक उपक्रमों की इसमें शेयरधारिता हैं. एलआईसी की आईएल एंड एफएस में एक चौथाई हिस्सेदारी है, जबकि इसमें जापान के ऑरिक्स कॉरपोरेशन की 23.5 फीसदी हिस्सेदारी है.इसके अलावा, आबुधाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी की 12.5 फीसदी, आईएल एंड एफएस कर्मचारी कल्याण ट्रस्ट की 12 फीसदी और एचडीएफसी की 9.02 फीसदी हिस्सा है.
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