नयी दिल्ली : दूरसंचार कंपनी एयरसेल ने बुधवार को कहा कि उसने दिवाला प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है. कंपनी का कहना है कि ‘भारी वित्तीय दबाव वाले’ उद्योग में वह ‘संकट के दौर’ से गुजर रही है, इसलिए यह आवेदन किया गया है. एयरसेल ने परोक्ष रूप से रिलायंस जियो पर निशाना साधते हुए कहा है कि एक नयी कंपनी के ‘विध्वंसकारी’ आगमन के बाद कड़ी प्रतिस्पर्धा, कानूनी व नियामकीय चुनौतियों व बढ़ते घाटे के चलते कंपनी की ‘साख व कारोबार पर काफी नकारात्मक असर’ पड़ा.
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कंपनी का कहना है कि निदेशक मंडल (काॅरपोरेट डेब्टर) ने बुधवार को ऋणशोधन व दिवाला संहिता 2016 की धारा 10 के तहत एयरसेल सेल्यूलर, डिशनेट वायरलैस, एयरसेल लिमिटेड के लिए काॅरपोरेट ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आवेदन किया है. सूत्रों के अनुसार, यह आवेदन मुंबई में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में किया गया है. कंपनी के बयान में यह भी कहा गया है कि वायरलैस कारोबार को अन्य कंपनी के साथ मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला.
एयरसेल ने कहा कि कर्जदाताओं और शेयरधारकों के साथ विस्तृत बातचीत के बाद भी कर्ज और वित्तपोषण को लेकर कंपनी किसी आमसहमति पर नहीं पहुंच सकी. विचार विमर्श और जनवरी 2018 में रणनीतिक ऋण पुनर्गठन योजना को अमल में लाने को लेकर बातचीत के बावजूद कोई समझौता नहीं हो सका. कंपनी ने कहा है कि उसका मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में दिवाला और रिणशोधन अक्षमता कानून के तहत समाधान प्रक्रिया को अपनाना उचित कदम होगा.
गौरतलब है कि करीब 15,500 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी दूरसंचार क्षेत्र की यह कंपनी खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन देने जा रही है. कंपनी को यह फैसला तब लेना पड़ा, जब मलेयेशिया की कंपनी मैक्सिस अपने शेयरधारकों और कर्जदाताओं के बीच कोई भी आम सहमति बनाने में नाकाम रही.
अगर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण एयरसेल की दिवालिया घोषित करने की अपील पर विचार करता है, तो वह एक इनसॉल्वेंसी रेजॉलूशन प्रफेशनल नियुक्त करेगा, जिसे 270 दिनों के भीतर कंपनी के पुनर्भुगतान योजना तैयार करना होगी. अगर रेजॉलूशन प्रफेशनल ट्राइब्यूनल को पुनर्भुगतान योजना देने में या उसपर सहमति बनाने में नाकामयाब रहता है, तो कंपनी को दिवालिया घोषित करके इसके लिक्विडेशन की प्रकिया शुरू कर दी जायेगी.
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