नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया को निजी हाथों में सौंपने की सरकारी मंशा में पेंच फंसता नजर आ रहा है. इसका कारण यह है कि वित्त संकट की मार झेल रही इस विमानन कंपनी के खरीदार इसके कर्मचारियों को झेलने के मूड में दिखायी नहीं दे रहे हैं. एक तरह से इसके खरीदारों ने सरकार को चेतावती दे दी है कि इसकी रणनीतिक बिक्री के सौदे में सरकार इसके कर्मचारियों को बरकरार रखने की शर्त रखती है, तो कंपनी की खरीद के लिए लगने वाली बोली में गिरावट आ सकती है.
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तुर्की की कंपनी सेलेबी ने कहा कि यदि सरकार खरीदारों के सामने एयर इंडिया के पुराने कर्मचारियों को कंपनी में बरकरार रखने की शर्त रखती है, तो इससे संकटग्रस्त विमानन कंपनी के लिए लगने वाली बोली के मूल्य में गिरावट आ सकती है. सेलेबी ने एयर इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड को खरीदने में दिलचस्पी जतायी है.
सेलेबी के निदेशक मंडल के सदस्य सना सेलेबियोग्लु ने हाल ही में एक मीडिया संवाद में कहा था कि यदि वे (सरकार) एयर इंडिया के लिए अधिकतम मूल्य चाहते हैं और हमें पुराने कर्मचारियों को बरकरार रखने के लिए कहते हैं, तो इसमें कोई मेल नहीं रह जाता है. इससे बोली की रकम कम हो जायेगी. कर्मचारियों को बरकरार रखना ही नहीं, बल्कि उनकी क्षतिपूर्ति भी मुद्दा है.
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया के विनिवेश को मंजूरी दी है. एयर इंडिया के विनिवेश के लिए रणनीति तैयार करने की खातिर एक मंत्री समूह भी गठित किया गया है.
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