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…तो क्या PNB में 2008 से खेला जा रहा था महाघोटाले का खेल?

मुंबई : अभी करीब एक हफ्ते पहले पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 11,400 करोड़ रुपये के महाघोटाले में छापेमारी आैर बैंक आैर कंपनी के अधिकारियों के गिरफ्तारी के बाद अब नयी जानकारियां सामने आने लगी हैं. मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआर्इ) ने विशेष कोर्ट में इस बात की जानकारी दी […]

मुंबई : अभी करीब एक हफ्ते पहले पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 11,400 करोड़ रुपये के महाघोटाले में छापेमारी आैर बैंक आैर कंपनी के अधिकारियों के गिरफ्तारी के बाद अब नयी जानकारियां सामने आने लगी हैं. मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआर्इ) ने विशेष कोर्ट में इस बात की जानकारी दी है कि पीएनबी में करीब एक दशक पहले यानी 2008 से ही घोटाले का खेल खेला जा रहा था. विशेष कोर्ट में पीएनबी के पूर्व अधिकारी गोकुलनाथ शेट्टी से हुर्इ पूछताछ के आधार पर सीबीआर्इ ने जानकारी दी कि हजारों करोड़ रुपये के कर्ज डकार कर विदेश भाग चुके अरबपति ज्वेलर नीरव मोदी आैर मेहुल चौकसी को वर्ष 2008 से ही लेटर आॅफ अंडरटेकिंग (एलआेयू) जारी किया जा रहा था.

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मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, मंगलवार को ही विशेष कोर्ट ने पीएनबी के तीन गिरफ्तार अधिकारियों बेचू तिवारी, यशवंत जोशी और प्रफुल सावंत को 3 मार्च तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया. अब तक गिरफ्तार किये गये सभी पांच पीएनबी अधिकारी कथित घोटाले के दौरान फॉरेक्स डिपार्टमेंट से ही जुड़े हुए थे. अभियोजन और बचाव पक्ष को सुनने के बाद स्पेशल जज एसआर तंबोली ने कहा कि संभव है कि बैंक के अधिकारी पैसे डायवर्ट करने में शामिल रहे हों. इसकी जांच की जरूरत है और जांच अधिकारी को आरोपियों से दस्तावेजों के साथ पूछताछ करनी है.

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि तिवारी को चीफ मैनेजर के रूप में शेट्टी के ट्रांजेक्शन को मॉनिटर करना था. 2015-17 के बीच तिवारी ने शेट्टी के द्वारा जारी धोखाधड़ी वाले एलआेयू की जांच नहीं की है. तिवारी स्विफ्ट टर्मिनल्स के जरिये एलआेयू भेजने पर कथित रूप से नजर रखने के लिए ने 19 फरवरी, 2016, 7 फरवरी और 14 मार्च, 2017 को तीन सर्कुलर जारी किये किये, लेकिन न तो दोबारा इसकी जांच की और शेट्टी, जोशी या सावंत द्वारा निर्देशों की अवहेलना पर कोई कदम नहीं उठाया.

याचिका में यह भी कहा गया कि धोखाधड़ी वाले एलआेयू से जुड़ी रकम करीब 6,000 करोड़ रुपये हो सकती है, जो बैंक द्वारा शिकायत में दर्ज 280 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है. सीबीआई ने कोर्ट को यह भी बताया कि तीनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और पूरा ठीकरा शेट्टी पर फोड़ दिया. बचाव पक्ष ने यह कहते हुए पुलिस हिरासत का विरोध किया कि इन तीनों ने धोखाधड़ी को सामने लाने में मदद की है.

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