नयी दिल्ली : डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार की ओर से की गयी घोषणा के अनुसार, दो हजार रुपये तक के डिजिटल लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) का वहन दो साल तक सरकार करेगी. यह व्यवस्था 1 जनवरी, 2018 से लागू की जायेगी. शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस फैसले पर मुहर लगा दिया है.
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सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार बैंकों और व्यापारियों को एमडीआर का भुगतान करेगी. डेबिट कार्ड, आधार के जरिये पेमेंट, यूपीआई (भीम ऐप) से पेमेंट करने पर सरकार यह राशि वापस करेगी.
मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह कमिशन होता है, जो प्रत्येक कार्ड लेन-देन सेवा के लिए दुकानदार बैंक को देता है. कार्ड से लेन-देन के लिए पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन बैंक के द्वारा लगायी जाती है. बैंक द्वारा एमडीआर के तौर पर कमाई गयी रकम में से कार्ड जारी करने वाले बैंक और कुछ हिस्सा पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे वीजा, मास्टरकार्ड या एनपीसीआई को दिया जाता है. इस चार्ज के कारण ही दुकानदार कार्ड से पेमेंट पर हिचकते हैं. एमडीआर को रिजर्व बैंक तय करता है.
रविशंकर ने बताया कि यह व्यवस्था ठीक से काम करे, इसके लिए एक समिति बनायी गयी है. उन्होंने देश में डिजिटल लेन-देन में तेज वृद्धि का जिक्र करते हुए बताया कि अप्रैल से सितंबर, 2017 में केवल डेबिट कार्ड से 2 लाख, 18 हजार, 700 करोड़ का डिजिटल लेन-देन हुआ है. इस हिसाब से इस वित्त वर्ष के अंत तक यह 4 लाख, 37 हजार करोड़ का हो जायेगा. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार देश में डिजिटल अर्थव्यवस्थ्था को 1 ट्रिलयन बनाने के लिए ग्लोबल प्लेयर्स के साथ बातचीत कर रही है.
पिछले दिनों ही रिजर्व बैंक ने एमडीआर रेट में बदलाव किया है. इसके अनुसार, केंद्रीय बैंक की ताजा अधिसूचना के अनुसार 20 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार वाले छोटे कारोबारियों के लिए एमडीआर शुल्क 0.40 फीसदी तय किया गया है, जिसमें प्रति सौदा शुल्क की सीमा 200 रुपये है.
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