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Tuesday, March 19, 2024

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खुशखबरी! SBI ने घटायी मिनिमम बैलेंस सीमा, पेंशनधारियों और नाबालिगों को छूट

नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने खाताधारकों को बड़ी राहत देते हुए शहरी क्षेत्रों में मिनिमम बैलेंस सीमा को 5000 रुपये से घटाकर 3000 रुपये कर दिया है. वहीं बैंक ने एक और राहत देते हुए पेंशनभोगियों और नाबालिगों के लिए खाते में मिनिमम बैलेंस की […]

नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने खाताधारकों को बड़ी राहत देते हुए शहरी क्षेत्रों में मिनिमम बैलेंस सीमा को 5000 रुपये से घटाकर 3000 रुपये कर दिया है. वहीं बैंक ने एक और राहत देते हुए पेंशनभोगियों और नाबालिगों के लिए खाते में मिनिमम बैलेंस की बाध्‍यता को समाप्‍त कर दिया है. ऐसे खाता धारकों को मिनिमम बैलेंस के दायरे से बाहर रखा जायेगा.

आपको बता दें कि बचत खाते में मिनिमम बैलेंस की बाध्‍यता के बाद से एसबीआई की काफी आलोचना हो रही है. ऐसे में थोड़ा नरम रुख अपनाते हुए एसबीआई ने इसमें थोड़ी कमी की है. पेंशनभोगियों की समस्‍या ये थी कि जो पेंशन पर ही गुजारा कर रहे हैं. वैसे ग्राहक पेंशन आने के एक-दो दिनों में ही अपने खाते से पैसा निकाल लेते थे, ऐसे में उनके खाते मिनिमम बैलेंस मेनटेन नहीं रह पाता था.

बैंक के प्रबंध निदेशक (राष्ट्रीय बैंकिंग समूह) रजनीश कुमार ने कहा, ‘हमें इस संबंध में उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाएं मिली हैं और हम उनकी समीक्षा कर रहे हैं. बैंक उन्हें ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेगा.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम आंतरिक स्तर पर विमर्श कर रहे हैं कि क्या वरिष्ठ नागरिकों या विद्यार्थियों जैसे उपभोक्ताओं की कुछ निश्चित श्रेणी के लिए शुल्क में सुधार की जानी चाहिए या नहीं. ये शुल्क कभी भी पत्थर की लकीर नहीं होते हैं.’

कितना है शुल्‍क

एसबीआई के नियमों के अनुसार बचत खाते में मिनिमम बैलेंस बरकरार नहीं रखने पर बैंक कुछ शुल्‍क वसूलता है जो मासिक होता है. इसके तहत खाते में मासिक औसत नहीं रखने पर 100 रुपये तक के शुल्क और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रावधान किया गया था. शहरी इलाकों में मासिक औसत बैलेंस पांच हजार रुपये तय किये गये थे. इसके 50 प्रतिशत कम हो जाने पर 50 रुपये और जीएसटी का तथा 75 प्रतिशत कम हो जाने पर 100 रुपये और जीएसटी का प्रावधान था. ग्रामीण इलाकों के लिए मासिक औसत बैलेंस 1000 रुपये तय किये गये थे तथा इससे बरकरार नहीं रखने पर 20 से 50 रुपये और जीएसटी का प्रावधान किया गया था.

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