Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे दिलचस्प मुकाबला किसी सीट का नहीं, बल्कि चाचा-भतीजे की सियासी भिड़ंत का है. दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की विरासत अब दो हिस्सों में बंट चुकी है एक ओर एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान, तो दूसरी ओर अलग राह चुन चुके पशुपति कुमार पारस. दोनों अपनी-अपनी पार्टी और पहचान के साथ जनता के बीच उतर चुके हैं.
पारस ने 25 सीटों पर उतारे अपने उम्मीदवार
जहां चिराग पासवान ने एनडीए में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. वहीं महागठबंधन में जगह न मिलने के बाद पशुपति पारस ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पारस ने 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें एक सीट पर उनके बेटे भी मैदान में हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से 5 सीटों पर सीधे चिराग पासवान की पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में हैं, यानी चाचा-भतीजे के बीच सीधी टक्कर तय है.
वो 5 सीटें जहां होगा पारस बनाम चिराग मुकाबला
- साहेबपुर कमाल
- बखरी
- चेनारी
- गरखा
- महुआ
महागठबंधन को हो सकता है फायदा
इन पांचों विधानसभा क्षेत्रों में दोनों दलित नेताओं की उपस्थिति ने समीकरणों को जटिल बना दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दलित वोट बैंक में बंटवारा निश्चित है, जिससे महागठबंधन को अप्रत्यक्ष फायदा हो सकता है.
महागठबंधन से बात क्यों नहीं बनी?
सूत्रों के अनुसार, आरजेडी चाहती थी कि पशुपति पारस अपनी पार्टी आरएलजेपी का विलय महागठबंधन में कर लें. पार्टी के सिंबल ‘सिलाई मशीन’ को लेकर भी आरजेडी नेतृत्व चिंतित था. तेजस्वी यादव का तर्क था कि यह प्रतीक चुनावी पहचान के लिहाज से कमजोर है और इससे गठबंधन को नुकसान हो सकता है.
सीट शेयरिंग को लेकर भी दोनों के बीच मतभेद गहराते गए. शुरुआत में पारस 12 सीटों की मांग कर रहे थे, जिसे बाद में घटाकर 8 सीटें कर दिया गया, लेकिन तेजस्वी यादव 2–3 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं थे. यही कारण रहा कि पारस ने अंततः स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
सूरजभान का साथ छोड़ना पड़ा भारी
स्थिति तब और कठिन हो गई जब आरएलजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व बाहुबली सांसद सूरजभान सिंह ने पार्टी से दूरी बना ली. उन्होंने आरजेडी का दामन थाम लिया और अब उनकी पत्नी मोकामा से महागठबंधन की उम्मीदवार हैं, जहां उनका सीधा मुकाबला अनंत सिंह से है. सूरजभान के जाने से पशुपति पारस का राजनीतिक आधार कमजोर पड़ा, लेकिन उन्होंने पीछे हटने के बजाय अपनी ताकत दिखाने की रणनीति अपनाई.

