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Bihar Election 2025: जातीय जनगणना नहीं, इस चीज को ध्यान में रखकर पार्टियों ने बांटे टिकट

Bihar Election 2025: बिहार में जब जातीय गणना के आंकड़ों को सार्वजनिक किया गया तो कहा गया था कि 2025 के चुनाव में ‘जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ साफ नजर आएगी, और टिकट बंटवारे में भी इसका असर दिखेगा. लेकिन जब विधानसभा के टिकट बंटवारे का मामला आया, तो ये बात कहीं नजर नहीं आई. वहां ये फॉर्मूला जैसे गायब हो गया.

Bihar Election 2025: पटना, मनोज कुमार: बिहार में हुई जातीय गणना की पूरे देश में शोर थी. इसे विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित किया गया था. तब कहा गया था कि इससे ‘जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी भागीदारी’ का सूत्र हर जगह दिखेगा. राजनीति में भी ये लागू होगा. लेकिन, विधानसभा टिकट बंटवारे में इसकी तस्वीर नहीं दिखी. अगर दल या गठबंधन जातीय जनगणना को आधार बनाते, तो 243 विधानसभा सीटों में पिछड़ा वर्ग का लगभग 66, अत्यंत पिछड़ा वर्ग का 88, अनुसूचित जाति का 47, अनुसूचित जनजाति का पांच और सामान्य वर्ग का 38 सीटों पर दावा बनता. दलों ने परंपरागत राजनीतिक समीकरणों के अनुसार ही टिकट बांटे हैं. दलों ने जातीय गणना नहीं, जीत के सूत्र से टिकटों का वितरण किया है.

अति पिछड़ा की 112 में एक दर्जन जातियों में ही बंटे टिकट

अति पिछड़ों में कुल 112 जातियां हैं. इनमें एनडीए ने धानुक, चौरसिया, मल्लाह, कानू, तेली, गंगोता चंद्रवंशी समेत और चार से पांच जातियों में ही टिकट का वितरण किया है. महागठबंधन से भी कमोबेश इन्हीं जातियों को ही टिकट मिला है. एक फीसदी से अधिक आबादी वाली जाति ही टिकट पाने में कामयाब हुई है. हालांकि, आबादी के अनुसार, इन जातियों को भी टिकट नहीं मिला है. अति पिछड़ों में आर्थिक रूप से मजबूत जातियों से अधिक उम्मीदवार उतारे गए हैं.

अति पिछड़ों की 98 जातियों से एक भी उम्मीदवार नहीं

अतिपिछड़ी जाति में कुंभकार, गोड़ी, राजवंशी, अमात, केवर्त, सेखड़ा, तियर, सिंदूरिया बनिया, नागर, लहेड़ी, पैरघा, देवहार, अवध बनिया बक्खो, अदरखी, नामशुद्र, चपोता, मोरियारी, कोछ, खंगर, वनपर, सोयर, सैकलगर, कादर, तिली, टिकुलहार, अबदल, ईटफरोश, अघोरी भी शामिल हैं. कलंदर, भार, सामरी वैश्य, खटवा, गंधर्व, जागा, कपरिया, धामिन, पांडी, रंगवा, बागदी, मझवार, मलार, भुईयार, धनवार, प्रधान, मौलिक, मांगर, धीमर, छीपी, मदार, पिनगनिया, संतराश, खेलटा, पहिरा, ढेकारू, सौटा, कोरक, भास्कर, मारकंडे, नागर भी अति पिछड़ा वर्ग में ही हैं. अति पिछड़ों की लगभग 98 जातियों से एक भी उम्मीदवार नहीं हैं. जबकि इन सभी जातियों को मिलाकर कुल आबादी 1 करोड़ 76 लाख 16 हजार 978 है.

अनुसूचित जाति से भी परंपरागत उम्मीदवार ही उतारे गये

जातीय गणना के अनुसार, बिहार में 22 अनुसूचित जातियां शामिल हैं. इसमें भी एनडीए और महागठबंधन से पारंपरिक तरीके से ही उम्मीदवार उतारे गये हैं. दोनों गठबंधनों से पासवान, रविदास, मुसहर, धोबी, पासी समाज से ही उम्मीदवार उतारे गये हैं. इसके अलावा एक दो अन्य एससी में शामिल जातियों से उम्मीदवार उतारे गए हैं.

पिछड़ा वर्ग में शामिल 30 जातियों में यादव, कोयरी, वैश्य का ही वर्चस्व

जातीय गणना में पिछड़ा वर्ग में कुल 30 जातियां शामिल की गयी हैं. इनमें दोनों गठबंधनों से यादव, कोयरी और वैश्य और कुर्मी समाज से ही अधिकांश प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गये हैं. एनडीए और महागठबंधन से कुल 30 पिछड़ी जातियों में इन्हीं चारों जातियों के बीच अधिकांश टिकटों का बंटवारा किया है.

एनडीए ने 47 अतिपिछड़ा तो 86 सवर्ण उम्मीदवार उतारे

एनडीए में भाजपा, जदयू, लोजपा आर, रालोमो और हम पार्टी शामिल हैं. इन पांचों दलों को मिलाकर एनडीए ने 86 सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग के 67 उम्मीदवारों को एनडीए ने टिकट दिया है. वहीं, अति पिछड़ा वर्ग के 46 प्रत्याशियों को एनडीए घटक दल ने अपना सिंबल दिये हैं. एनडीए के सवर्ण उम्मीदवारों में 35 राजपूत, 33 भूमिहार, 15 ब्राह्मण और दो कायस्थ उम्मीदवार शामिल हैं.

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महागठबंधन में 117 पिछड़ों को दिया गया टिकट, इसमें 67 यादव

महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वीआईपी और लेफ्ट की पार्टियां शामिल हैं. महागठबंधन से 42 सवर्ण, 117 पिछड़ा, 27 अति पिछड़ा, 38 अनुसूचित जाति व दो एसटी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. महागठबंधन के 117 पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों में आधे से अधिक उम्मीदवार यादव हैं. महागठबंधन से कुल 67 यादव, 23 कोयरी, तीन कुर्मी और 13 वैश्य समाज के उम्मीदवार हैं.

जातीय गणना में जातियों की संख्या का प्रतिशत

जाति संख्या का प्रतिशत
पिछड़ा वर्ग27.1286%
अत्यंत पिछड़ा 36.0148 %
एससी19.6518 %
एसटी1.6824 %
सामान्य वर्ग15.5224 %

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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