JDU नेता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने राजद (RJD) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि SIR की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और इसका उद्देश्य केवल डुप्लीकेट EPIC नंबर को हटाना और मृतकों के नाम सूची से निकालना है.
नीरज कुमार ने क्या कहा ?
नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव को सीधे संबोधित करते हुए कहा, “मेरी सामान्य समझ काम कर रही है लेकिन आपकी समझ क्यों नहीं काम कर रही है? SIR का मतलब ही यही है कि किसी डबल EPIC नंबर को डिलीट करना, मृतक के नाम हटाना, जिसका ड्राफ्ट भी जारी किया गया है.” उन्होंने स्पष्ट किया कि बूथ स्तर पर एजेंट नियुक्त करने का अधिकार सभी राजनीतिक दलों के पास है, इसलिए इस प्रक्रिया पर सवाल उठाना उचित नहीं है.
JDU नेता ने पूछे गंभीर सवाल
जेडीयू नेता ने विपक्ष पर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि असल सवाल यह है कि क्या मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टि (Duplicate Entry) बनी रहनी चाहिए या फिर मृतकों के नाम बनाए रखने चाहिए? उन्होंने दावा किया कि अभी जो ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई है, उसमें सीमांचल क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं.
सीमांचल में होगा NDA को नुकसान
सीमांचल का राजनीतिक समीकरण बताते हुए नीरज कुमार ने कहा, “इस क्षेत्र में 24 विधानसभा सीटों में से 12 सीटें एनडीए (NDA) ने जीती थीं, 7 सीटें महागठबंधन के पास थीं और 5 सीटें AIMIM को मिली थीं. यहां सबसे ज्यादा नाम कटे हैं, जिससे तो एनडीए को ही नुकसान होगा.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सबसे कम नाम मगध क्षेत्र में हटाए गए हैं, जहां INDIA महागठबंधन मजबूत स्थिति में है.
तेजस्वी यादव पर कसा तंज
नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए पूछा, “ऐसे में आप किसे भ्रमजाल में डाल रहे हैं? राहुल गांधी को?” उनका कहना था कि तेजस्वी यादव बिना तथ्यों की पड़ताल किए लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि SIR प्रक्रिया निष्पक्ष और चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुरूप चल रही है.
विपक्ष जनता में भ्रम ना फैलाए
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बूथ लेवल एजेंट (BLA) के रूप में हर दल को अपने प्रतिनिधि नियुक्त करने का मौका मिलता है, जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी पर तुरंत आपत्ति दर्ज की जा सकती है. ऐसे में, अगर किसी पार्टी को प्रक्रिया पर आपत्ति है तो वह कानूनी और संवैधानिक रास्ता अपनाए, न कि जनता के बीच भ्रम फैलाए.
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क्या हो सकता है इसका असर ?
राजनीतिक हलकों में नीरज कुमार का यह बयान SIR को लेकर चल रही बहस को और तेज कर सकता है. जहां महागठबंधन के नेता इसे मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनिंदा नाम हटाने की कोशिश बता रहे हैं, वहीं एनडीए और उसके घटक दल इसे चुनावी पारदर्शिता के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं. आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी और तेज होने की संभावना है, खासकर सीमांचल और मगध जैसे क्षेत्रों में, जहां मतदाता सूची में बदलाव का सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है.

