Bihar Politics: बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बन गया है. बाहुबली छवि वाले पूर्व विधायक अनंत सिंह जेल से बाहर आने के बाद अब पूरी तरह सक्रिय हो चुके हैं और उन्होंने यह साफ संकेत दे दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे एक बार फिर मैदान में उतरेंगे. उनके इस ऐलान से न केवल मोकामा की राजनीति गरमा गई है, बल्कि जदयू के भीतर भी नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं.
एनडीए सम्मेलन और पोस्टरों से बढ़ी चर्चा
15 सितंबर को मोकामा के मोर में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित होने वाला है. इस कार्यक्रम के पोस्टरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष ललन सिंह की तस्वीरों के साथ अनंत सिंह की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि अनंत सिंह अप्रत्यक्ष रूप से जदयू प्रत्याशी के तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं.
गौरतलब है कि जेल से बाहर आने के बाद अनंत सिंह ने पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और उसके बाद ललन सिंह से भी उनकी भेंट हुई थी. इन मुलाकातों ने उनकी राजनीतिक सक्रियता और संभावित रणनीति को और मजबूती दी है.
नीरज कुमार का कड़ा रुख
जदयू के वरिष्ठ नेता और एमएलसी नीरज कुमार ने अनंत सिंह की इस गतिविधि पर सीधा निशाना साधा है. खुद मोकामा से चुनाव लड़ चुके नीरज कुमार इस बार भी टिकट की दौड़ में हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पार्टी को ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करने से पहले सोचना चाहिए जिनकी छवि आपराधिक मामलों से जुड़ी रही है. उन्होंने आगे कहा कि टिकट लेने के पहले पार्टी की सदस्यता लेने पड़ती है. क्या उनके पास हैं सदस्यता? उनका यह बयान न केवल अनंत सिंह पर हमला था, बल्कि पार्टी नेतृत्व को दिया गया एक अप्रत्यक्ष संदेश भी था कि अगर जदयू ने गलत फैसले लिए तो पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है.
मोकामा की सियासी पृष्ठभूमि
मोकामा विधानसभा सीट लंबे समय तक अनंत सिंह का गढ़ मानी जाती रही है. उनकी लोकप्रियता और जनाधार का असर इस क्षेत्र में साफ देखा जाता है. कई बार विधायक चुने जाने के बाद अनंत सिंह ने जदयू छोड़ा और राजद का दामन थाम लिया था. उस दौरान उनकी पत्नी नीलम देवी राजद से चुनाव लड़कर विधायक बनीं. हालांकि, अनंत सिंह के जेल जाने और सदस्यता खत्म होने के बाद मोकामा की सीट जदयू के खाते में चली गई थी. अब जब अनंत सिंह ने खुद चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है तो यह साफ है कि उनकी सक्रियता मोकामा की राजनीति को नई दिशा दे सकती.
जदयू की सबसे बड़ी दुविधा
जदयू के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मोकामा में किसे उम्मीदवार बनाया जाए. अगर पार्टी अनंत सिंह को टिकट देती है तो यह उनकी लोकप्रियता का फायदा उठा सकती है, लेकिन इससे नीरज कुमार जैसे पुराने नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. दूसरी ओर अगर नीरज कुमार को टिकट दिया जाता है तो अनंत सिंह को समर्थकों का विरोध का सामना करना पड़ सकता है. यानी जदयू के सामने “दो धार वाली तलवार” जैसी स्थिति है, जहां किसी भी निर्णय का असर न केवल मोकामा बल्कि पूरे बिहार की सियासत पर पड़ सकता है.
मोकामा बना चुनावी केंद्र
मोकामा विधानसभा सीट अब केवल एक चुनावी क्षेत्र नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का केंद्र बन चुकी है. अनंत सिंह अपनी बाहुबली छवि और जनाधार के सहारे दोबारा अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, जदयू के भीतर से उठ रही विरोधी आवाजें पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं.

