Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जेडीयू के लिए पूर्वी चंपारण से बुरी खबर आई है. मोतिहारी जिले की गोविंदगंज सीट से तीन बार विधायक रह चुकीं मीना द्विवेदी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. लंबे समय से उपेक्षित महसूस करने और लगातार टिकट से वंचित रहने के बाद उन्होंने जेडीयू को अलविदा कहा.
मीना द्विवेदी, कुख्यात बाहुबली एवं पूर्व विधायक दिवंगत देवेंद्र नाथ दुबे की भौजाई और दिवंगत भूपेंद्र नाथ दुबे की पत्नी हैं. उनका परिवार चंपारण की राजनीति में दशकों से प्रभावशाली रहा है. यही वजह है कि उनके इस्तीफे को जेडीयू के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
इस्तीफा पत्र में जताई नाराजगी
मीना ने अपना त्यागपत्र जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को भेजा. पत्र में उन्होंने लिखा कि बीते कई वर्षों से उन्हें और उनके समर्थकों को पार्टी में कोई सम्मान या ऊर्जा नहीं मिल रही थी. इसके चलते वे जनता के मुद्दों पर काम करने में खुद को बेबस महसूस कर रही थीं. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उनका परिवार नीतीश कुमार के साथ समता पार्टी के दौर से जुड़ा रहा, जब उनके देवर देवेंद्र नाथ दुबे सात में से एक विजयी विधायक बने थे.
परिवार की राजनीतिक विरासत
गोविंदगंज सीट पर दुबे परिवार का दबदबा हमेशा से रहा है. 1995 में जेल से चुनाव लड़कर देवेंद्र नाथ दुबे विधायक बने थे, लेकिन 1998 में उनकी हत्या कर दी गई. इसके बाद उनके भाई भूपेंद्र नाथ दुबे विधायक बने. 2005 में मीना द्विवेदी ने पति की विरासत संभाली और जेडीयू से लगातार तीन बार विधायक बनीं.
हालांकि, 2015 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन किया, तो यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. कांग्रेस उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा, और 2020 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई, जिससे मीना लगातार दो बार टिकट से बाहर हो गईं. यही उनकी नाराजगी की असली वजह रही.
नए ठिकाने को लेकर अटकलें
मीना द्विवेदी ने अपने अगले कदम का खुलासा नहीं किया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हैं कि वे प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से जुड़ सकती हैं. चंपारण क्षेत्र में पीके पहले से सक्रिय हैं, और मीना जैसे कद्दावर चेहरे का जुड़ना उनकी पार्टी को मजबूती दे सकता है.
जेडीयू के लिए चुनौती
बिहार में 2025 का चुनाव बेहद अहम है. ऐसे में गोविंदगंज जैसी सीट पर जेडीयू की पकड़ ढीली होना पार्टी के लिए बड़ी चिंता की बात है. खासकर तब जब भाजपा और राजद दोनों ही क्षेत्र में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटे हुए हैं. मीना द्विवेदी का इस्तीफा केवल एक नेता का पार्टी छोड़ना नहीं, बल्कि चंपारण की सियासत में जेडीयू के कमजोर पड़ने का संकेत भी है. आने वाले दिनों में उनका अगला कदम तय करेगा कि यह झटका कितना बड़ा साबित होगा.

