Bihar Election 2025: बिहार में इस बार चुनावी जंग का अंदाज बिल्कुल बदल गया है। पहले जहां भीड़भाड़ वाले मैदान, पोस्टर-बैनर और जनसभाएं प्रचार की पहचान हुआ करते थे, अब वही जोश मोबाइल स्क्रीन और सोशल मीडिया फीड पर नजर आ रहा है. डिजिटल प्लैटफॉर्म अब केवल प्रचार का जरिया नहीं रह गया, बल्कि पब्लिक ओपिनियन बनाने का सबसे अहम हथियार बन गया है. फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (ट्विटर) पर नेताओं की मौजूदगी बीते चुनावों के मुकाबले इसबार कहीं ज्यादा मजबूत है. अब चुनावी नारे रील्स में गूंजते हैं, और विरोधी दलों पर वार मीम्स के जरिए होता है. यह दौर है डिजिटल राजनीति का जहां जनता की राय अब भीड़ से नहीं, बल्कि लाइक, कमेंट और शेयर से तय हो रही है.
पार्टियों ने सोशल मीडिया सेल को कैंपेन मोड में डाला
बिहार चुनाव में तेजप्रताप यादव, संजय जायसवाल, सम्राट चौधरी जैसे बड़े नेता लगातार रील्स और लाइव से जनता तक पहुंच बना रहे हैं. दूसरी ओर, जेडीयू, राजद, भाजपा और कांग्रेस सभी पार्टियों ने अपने सोशल मीडिया सेल को फुल कैम्पेन मोड में डाल दिया है. दिनभर नेताओं के बयान पर बने मीम्स और रील वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनके जरिए जनता का मूड भी मापा जा रहा है.
स्क्रीन पर भी उतना ही आक्रामक विधानसभा का यह जंग
राजनीतिक रणनीतिकार मानते हैं कि इस चुनाव में “डिजिटल मैनेजमेंट” ही ग्राउंड लेवल इम्पैक्ट तय करेगा. पहले जहां पोस्टर-बैनर और जनसभाएं प्रचार का प्रमुख जरिया हुआ करती थीं, अब वहीं छोटे वीडियो क्लिप और व्यंग्यात्मक मीम्स जनता के बीच तेजी से चर्चा का विषय बन रहे हैं. राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया अब बिहार के मतदाताओं के मानस को दिशा दे रहा है. 2025 का विधानसभा रण न केवल जमीन पर, बल्कि स्क्रीन पर भी उतना ही तीखा होता जा रहा है.
कौन सी पार्टी सोशल मीडिया प्रचार में कितना कर रही खर्च?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया प्रचार पर खर्च काफी बढ़ा दिया है, लेकिन किसी आधिकारिक सरकारी स्रोत ने अभी तक सभी प्रमुख दलों का सटीक खर्च डेटा सार्वजनिक नहीं किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डिजिटल प्लेटफार्म्स पर सबसे ज्यादा खर्च भारतीय जनता पार्टी (BJP) कर रही है.
चुनाव आयोग ने मांगा खर्च का ब्योरा
दूसरी ओर, विपक्षी दल (जैसे राजद, जदयू, कांग्रेस) भी करोड़ों रुपये सोशल मीडिया एडवर्टाइज़िंग, कंटेंट क्रिएशन, रील्स और ग्राफिक्स पर खर्च कर रहे हैं, मगर बीजेपी का बजट सामने आए आंकड़ों में सबसे अधिक दिखता है. चुनाव आयोग ने हर पार्टी और प्रत्याशी को चुनाव के 75 दिनों के भीतर पूरे सोशल मीडिया प्रचार खर्च का डिटेल्ड ब्यौरा देने का आदेश दिया है, जिसमें एडवर्टाइज़िंग, कैम्पेन, कंटेंट प्रोडक्शन और टीम का खर्च शामिल है.
सबसे अधिक खर्च इन चिजों पर हो रहा
फिलहाल सबसे बड़ा खर्च विज्ञापन (पेड प्रमोशन), रील्स निर्माण, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन में हो रहा है. अनुमान के मुताबिक सभी प्रमुख दल सोशल मीडिया प्रचार पर कुल मिलाकर चुनाव अवधि में कई करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन निश्चित आंकड़ा आयोग द्वारा चुनाव के बाद ही सार्वजनिक रूप से सामने आएगा.

