Bihar Election 2025: बिहार की सियासत में परिवारवाद पर जितनी बार हमला हुआ, उतनी ही गहरी इसकी जड़ें होती गईं. हर चुनाव में “परिवारवाद खत्म करो” की बातें होती हैं, लेकिन टिकट बांटने के वक्त नेता सबसे पहले अपने घरवालों को ही याद करते हैं. इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है, हर पार्टी में पिता, पुत्र, पत्नी या रिश्तेदार चुनावी मैदान में उतारे जा रहे हैं.
राजद ने भी नहीं किया परिजनों को निराश
RJD ने संदेश की विधायक किरण देवी की जगह उनके बेटे दीपू सिंह को टिकट दिया, तो भाजपा ने गौराबौराम से विधायक स्वर्णा सिंह की जगह उनके पति सुजीत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद औराई से उम्मीदवार हैं. कांग्रेस, जदयू, लोजपा, हम, किसी पार्टी ने अपने “परिजनों” को निराश नहीं किया है.
जदयू से इन लोगों को टिकट
JDU में अशोक राम के बेटे अतिरेक, भाजपा में गोपाल नारायण सिंह के बेटे त्रिविक्रम, और रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता भी मैदान में हैं. जनसुराज ने तो आरसीपी सिंह की बेटी लता को टिकट दे दिया है. मांझी की बहू और समधन दोनों एनडीए से चुनाव लड़ रही हैं.
बीजेपी ने 11 सीटों पर उतारे राजनीतिक परिवार के प्रत्याशी
BJP की पहली लिस्ट में ही 11 ऐसे नाम हैं जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार से आते हैं. राजद में तो दर्जनभर उम्मीदवार नेताओं के बेटे या रिश्तेदार हैं. इससे यह साफ है कि बिहार की राजनीति में “घर की विरासत” अब भी सबसे बड़ा टिकट है और जनता हर बार इसे देखते हुए भी नजरअंदाज कर देती है.

