Bihar Chunav 2025, कृष्ण कुमार, पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उम्मीदवार उतारने के लिए जदयू में मंथन का दौर जारी है. एक बात तो पक्की है कि पार्टी इस बार 10 फीसदी नये व युवा चेहरों को चुनाव में उतार सकती है. इसके साथ ही कुछ सीटिंग विधायकों का पत्ता कट सकता है. उनकी जगह पार्टी अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं को उम्मीदवारी का अवसर दे सकती है. बहरहाल 2020 के विधानसभा चुनाव परिणामों से सीख लेते हुए बहुत सावधानी से तैयारी की जा रही है. इसमें मगध क्षेत्र पर विशेष नजर है.
रणनीति में बदलाव
सूत्रों के अनुसार 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे के बाद जदयू को 122 सीटें मिली थीं. इनमें से अपने कोटे से सात सीटें हम को देने के बाद जदयू ने 115 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था. उनमें से केवल 43 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में पार्टी उम्मीदवारों की 72 सीटों पर हार हुई थी.
इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर सूत्रों का कहना है कि एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे में जदयू को मिली पुरानी सीटों में इस बार कुछ बदलाव हो सकता है. इसके बावजूद जदयू अपनी पुरानी 115 सीटों पर बेहतर तैयारी कर रही है. साथ ही 2020 के टिकट बंटवारे में अपनायी गयी रणनीति में थोड़ा परिवर्तन किया जा सकता है.
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जातीय गणना को ध्यान में रख कर उतारे जा सकते हैं उम्मीदवार
सूत्रों की मानें, तो राज्य सरकार द्वारा करवायी गयी जातीय गणना के आंकड़ों और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए आबादी के अनुसार उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं. इसमें सबसे अधिक अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दिया जा सकता है. इस वर्ग को करीब 40 से 50 फीसदी सीटें दी जा सकती हैं.
2020 के चुनाव में भी पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के करीब 50 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था. वहीं, सामान्य वर्ग के करीब 16 फीसदी उम्मीदवार मैदान में उतारे गये थे. वहीं, करीब 14 फीसदी उम्मीदवार अनुसूचित जाति वर्ग से उतारे गये थे.
पार्टी इसको ध्यान में रखते हुए राजद के माइ समीकरण को ध्वस्त करने की भी रणनीति पर काम करेगी. साथ ही महिलाओं को भी जदयू अच्छी संख्या में उम्मीदवार बना सकता है.
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