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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की फंडिंग करना बड़ी चुनौती, जानें क्या कहती है सीआईआई रिपोर्ट

सीआईआई की ओर से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों लिए वित्तपोषण एक चुनौती बना हुआ है. ओएमआई के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट रोडमैप फॉर फ्यूचर मोबिलिटी 2030 पर कई रिपोर्ट की शृंखला का एक हिस्सा है. रिपोर्ट में एक ‘स्क्रैप’ नीति की शुरुआत का भी आह्वान किया गया.

नई दिल्ली : भारत में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन इसे बनाना और बनाकर बाजार में बेचना काफी महंगा साबित हो रहा है. इलेक्ट्रिक वाहन पारंपरिक ईंधन पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों से काफी महंगी कीमतों पर बाजार में बेची जा रही है. इसे खरीदने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है, जबकि इसके निर्माण के लिए भी सरकार की ओर से उद्यमियों के लिए विशेष योजना के जरिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है. फिर भी कहा यह जा रहा है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का वित्तपोषण (फंडिंग) करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

निर्माण लागत और कीमतों में कमी लाने के लिए विकल्प जरूरी

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों लिए वित्तपोषण एक चुनौती बना हुआ है. ऐसी स्थिति में एक ऐसा विकल्प पेश करना बेहद जरूरी है, जो इसके निर्माण लागत को कम करने में मदद करने के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाले वाहनों की लागत और कीमत के बराबर ला सके. ओएमआई के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट ‘रोडमैप फॉर फ्यूचर मोबिलिटी 2030’ पर कई रिपोर्ट की शृंखला का एक हिस्सा है. रिपोर्ट में एक ‘स्क्रैप’ नीति की शुरुआत का भी आह्वान किया गया, जो समय सीमा समाप्त होने वाले वाहनों (ईएलवी) को हटाने की आवश्यकता पर आधारित है.

चार्जिंग प्वाइंट और बैटरी के लिए 19.7 लाख करोड़ रुपये खर्च की जरूरत

बताते चलें कि नौ मार्च, 2009 को नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) इंडिया की ओर से भी भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्त पोषण पर एक रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में यह विश्लेषण किया गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग प्वाइंट स्थापित करने के लिए अगले एक दशक में संचित रूप से 266 बिलियन डॉलर (19.7 लाख करोड़ रुपये पूंजी निवेश की आवश्यकता है.

2030 तक फंडिंग के लिए 3.7 लाख करोड़ रुपये की दरकार

नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट इंडिया की रिपोर्ट में 2030 में इलेक्ट्रिक वाहनों के वित्तपोषण के लिए 50 बिलियन डॉलर (3.7 लाख करोड़ रुपये) के बाजार की पहचान की गई है, जो भारत के खुदरा वाहन वित्त पोषण उद्योग के वर्तमान आकार का 80 फीसदी से अधिक है. भारत का वर्तमान खुदरा वाहन वित्त पोषण उद्योग 60 बिलियन डॉलर (4.5 लाख करोड़ रुपये) का है.

क्या है चुनौती

भारत के इलेक्ट्रॉनिक वाहन पारिस्थितिक तंत्र में अभी तक तकनीकी लागत, अवसंरचना उपलब्धता तथा उपभोक्ता क्षेत्र से जुड़ी बाधाओं को दूर करना बेहद जरूरी है. अभी उपयोगकर्ताओं को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इन चुनौतियों में ऊंची ब्याज दरें, बीमा की ऊंची दरें तथा ऋण मूल्य अनुपात का कम होना है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए नीति आयोग और आरएमआई ने 10 सॉल्यूशनों की टूल किट चिह्नित की है, जिसे आवश्यक पूंजी जुटाने हेतु बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ-साथ उद्योग तथा सरकार अपना सकती है.

पांच साल में 20 लाख वाहनों के वित्तपोषण का दावा

23 मार्च, 2023 को पेश एक रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहन के लिए वित्त उपलब्ध कराने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म रेवफिन सर्विसेज ने दावा किया है कि भारत में अगले पांच साल में 20 लाख वाहनों के वित्तपोषण का लक्ष्य है. कंपनी का इरादा हर साल तीन से चार गुना की वृद्धि हासिल करने का है. कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और संस्थापक समीर अग्रवाल ने भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग तेजी से वृद्धि के लिए तैयार है. कंपनी अपने लक्ष्य को पूरा करने के प्रति आश्वस्त है और इस उद्देश्य के लिए ऋण और इक्विटी के माध्यम से धन जुटाना जारी रखेगी. अग्रवाल ने कहा, दीर्घावधि के नजरिये से हमने ईवी पर बहुत मजबूत स्थिति बनायी है और हम अगले पांच साल में 20 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों के वित्तपोषण के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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15 फीसदी की दर से ऋण वितरण

रेवफिन सर्विसेज के सीईओ समीर अग्रवाल ने कहा कि मासिक बांटने की दर मासिक आधार पर लगभग 15 फीसदी की दर से बढ़ रही है. पिछले एक साल में यह चार गुना हो गया है. यदि हम इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे. कंपनी का इरादा 2023-24 में 50,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्तपोषण उपलब्ध कराने का है. पिछले 51 माह में कंपनी ने 17,118 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्त उपलब्ध कराया है.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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