Vietnam Outplaces China in South China Sea Artificial Islands: चीन अपने विस्तारवादी नीति के चलते दुनिया भर में कड़ी आलोचनाओं का सामना करता है. केवल भारत के साथ ही नहीं उसका रूस, जापान के साथ भी तनातनी भरा माहौल है. हालांकि इन देशों के साथ उसे कड़ी प्रतिक्रिया मिलती है. हालांकि समुद्र ऐसी जगह हैं, जहां उसे थोड़ी कम चुनौती मिलती है. दक्षिण चीन सागर में चीन ने धुआंधार तरीके से कृत्रिम द्वीप बनाए हैं. हालांकि आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि इस समुद्री क्षेत्र में चीन नहीं बल्कि सबसे ज्यादा आर्टिफिशियल आईलैंड्स वियतनाम ने बनाए हैं.
पिछले चार वर्षों में वियतनाम ने विवादित दक्षिण चीन सागर में कुल 21 स्वतंत्र कृत्रिम द्वीपों का निर्माण किया है. नई सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि वियतनाम ने 2021 से 2024 के बीच आठ ऐसे नए ठिकानों पर द्वीप निर्माण का विस्तार किया है, जहां पहले कोई रिक्लेमेशन गतिविधि नहीं हुई थी. इस तरह की गतिविधियों के पैमाने में वियतनाम, चीन की बराबरी करने या उसे पीछे छोड़ने की स्थिति में पहुंच गया है. इससे बीजिंग की दुनिया के सबसे अहम समुद्री मार्गों में से एक पर पकड़ को सीधी चुनौती मिलती दिख रही है.
चीन को पीछे छोड़ सकता है वियतनाम
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक खबर के मुताबिक विवादित स्प्रैटली द्वीप समूह में वियतनाम द्वारा कृत्रिम द्वीपों के निर्माण का तेजी से हो रहा विस्तार है. वह दक्षिण चीन सागर में चीन की भूमि पुनर्भरण (लैंड रिक्लेमेशन) गतिविधियों को पीछे छोड़ने की राह पर है. यह दावा नई सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर किया गया है. वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) द्वारा पिछले शुक्रवार को जारी नई सैटेलाइट तस्वीरों में यह सामने आया है कि वियतनाम ने पहले अछूते रहे आठ ठिकानों पर ड्रेजिंग और लैंडफिल का काम किया है. यह गतिविधियां 2021 से शुरू हुए भूमि पुनर्भरण में आई तेजी को और आगे बढ़ाती दिखती हैं.
वियतनाम ने देर से की शुरुआत
वियतनाम स्प्रैटली द्वीपों में द्वीप निर्माण गतिविधि में अपेक्षाकृत देर से शामिल हुआ. जहां वियतनाम ने यह प्रक्रिया 2021 में शुरू की, वहीं चीन ने लगभग 2013 में ही इसकी शुरुआत कर दी थी. ये कृत्रिम द्वीप समुद्र की तलहटी से निकाली गई रेत, प्रवाल (कोरल) और चट्टानों से बनाए जाते हैं. एशिया मैरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव (AMTI) की रिपोर्ट के अनुसार, वियतनाम की कई ऐसी चौकियां, जो पहले केवल चट्टानों या ज्वार के समय उभरने वाले छोटे भूभागों पर बने बंकरनुमा ढांचे थीं, अब एलिसन, कॉलिन्स, ईस्ट, लैंड्सडाउन और पेटली रीफ पर पूर्ण विकसित कृत्रिम द्वीपों में तब्दील हो चुकी हैं. इसके अलावा वियतनाम ने तीन मौजूदा ठिकानों- अंबोयना के, ग्रियर्सन रीफ और वेस्ट रीफ का भी विस्तार किया है, जहां पहले की ड्रेजिंग के चलते मध्यम आकार के द्वीप बन चुके थे.
द्वीपों का सैन्यीकरण भी कर रहा वियतनाम
वियतनाम केवल इस अहम समुद्री मार्ग में कृत्रिम द्वीप नहीं बना रहा, बल्कि उनका बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण भी कर रहा है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इन नए द्वीपों पर अब कई बंदरगाह, बड़े सैन्य विमानों के लिए दो मील लंबा हवाई पट्टी, पर्याप्त हथियार भंडारण स्थल और रक्षात्मक खाइयां मौजूद हैं, जहां भारी हथियार तैनात किए जा सकते हैं. वियतनाम द्वारा कृत्रिम द्वीप निर्माण की तेज रफ्तार और उनका भारी सैन्यीकरण यह संकेत देता है कि अपने छोटे आकार, सीमित आर्थिक आधार और अपेक्षाकृत कमजोर सैन्य शक्ति के बावजूद, वियतनाम दक्षिण चीन सागर (SCS) में चीन की आक्रामकता को चुनौती देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
South China Sea में वियतनाम बनाम चीन कृत्रिम द्वीप निर्माण
दक्षिण चीन सागर एक प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्ग है. संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) के अनुसार, 2016 में वैश्विक व्यापार का 21 प्रतिशत से अधिक है. यह क्षेत्र समृद्ध मछली पालन के लिए भी फेमस है. दुनिया के आधे से अधिक मछली पकड़ने वाले जहाज इसी इलाके में सक्रिय हैं. इसके अलावा, यह क्षेत्र तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडारों से भी समृद्ध है. अगर ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष होता है, तो यह इलाका एक अहम ट्रांजिट हब की भूमिका भी निभाएगा. इस अहम समुद्री मार्ग में वियतनाम की द्वीप निर्माण गतिविधि चीन को छोड़कर किसी भी अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देश से अधिक है.
चीन से आधा है वियतनाम
सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि वियतनाम ने स्प्रैटली में जिन 21 चट्टानों और तथाकथित लो-टाइड एलिवेशन (ऐसे रीफ जो ऊंचे ज्वार में डूब जाते हैं) पर उसका कब्जा है, उन सभी पर नई जमीन बनाई है. दूसरी ओर, चीन ने इस द्वीप समूह में ऐसे सात कृत्रिम द्वीप बनाए हैं. CSIS के एक अध्ययन के अनुसार, मार्च 2025 तक वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में 2,200 एकड़ से अधिक कृत्रिम भूमि तैयार कर ली थी, जबकि चीन ने लगभग 4,000 एकड़ भूमि बनाई है. एशिया मैरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव (AMTI) के ताजा विश्लेषण के मुताबिक, मार्च तक वियतनाम ने स्प्रैटली में चीन द्वारा बनाई गई कृत्रिम भूमि का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा तैयार कर लिया था.
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चीन-वियतनाम के बीच कई युद्ध हुए हैं
1979 में चीन और वियतनाम के बीच एक भीषण युद्ध हुआ. 1978 में वियतनाम ने कंबोडिया में बीजिंग समर्थित खमेर रूज शासन को हटाने के लिए हमला किया था. इसके जवाब में चीन ने 1979 में वियतनाम पर चढ़ाई कर दी. चीन ने इस संघर्ष को “वियतनाम के खिलाफ आत्मरक्षात्मक जवाबी हमला” कहा, जबकि वियतनाम ने इसे “चीनी विस्तारवाद के खिलाफ युद्ध” बताया. फरवरी 1979 में शुरू हुए इस युद्ध में चीन की आक्रामक सेना में कुल 2.2 लाख सैनिक थे, जो वियतनामी बलों से दोगुने थे. यह युद्ध एक महीने तक चला और 16 मार्च 1979 को चीन ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की. रिपोर्ट्स के अनुसार इस युद्ध में 30,000 मौतें हुईं और 35,000 घायलों का नुकसान हुआ.
1970 और 1980 के दशक में चीन ने स्प्रैटली और पारासेल द्वीपों में वियतनाम के कई ठिकानों पर जबरन कब्जा कर लिया. जनवरी 1974 में चीनी बलों ने पारासेल द्वीपों पर सैन्य हमला किया, जो उस समय दक्षिण वियतनाम के नियंत्रण में थे. इस छोटे नौसैनिक युद्ध में 65 से अधिक दक्षिण वियतनामी सैनिक मारे गए. इसके बाद चीन ने पूरे द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया, जो आज तक उसके नियंत्रण में है.
मार्च 1988 में स्प्रैटली द्वीपों में जॉनसन साउथ रीफ पर चीनी और वियतनामी नौसेनाओं के बीच झड़प हुई, जिसमें चीनी नौसेना ने वियतनाम के तीन जहाज डुबो दिए और 74 नाविकों की मौत हो गई. इसके बाद चीन ने वहां अपना पहला ठिकाना बलपूर्वक स्थापित किया.
स्प्रैटली द्वीपों के अधिकांश रीफ और द्वीप वियतनाम के कब्जे में हैं. हालांकि विवाद को बढ़ाते हुए, चीन ने 2013 में स्प्रैटली में कृत्रिम द्वीप बनाना शुरू किया और वहां हवाई पट्टियां, बंदरगाह, किलेबंदी, हथियार भंडार और बंकर तैयार किए. बीजिंग ने शक्तिशाली रडार और निगरानी ढांचे भी तैनात किए हैं, जिससे उसे पूरे समुद्री मार्ग पर अन्य देशों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलती है. वियतनाम ने 2021 में अपनी द्वीप निर्माण गतिविधि शुरू की और वह बीजिंग की बराबरी करने की कोशिश कर रहा है.
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