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पुतिन का दौरा खत्म होते ही अमेरिका ने जारी की सुरक्षा रणनीति, भारत, रूस और चीन को लेकर बनी नई योजना

US National Security Strategy: अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पेश कर दी है. नवंबर 2025 की इस नीति में बड़ा बदलाव हुआ है. इसमें भारत, चीन और रूस को लेकर अमेरिका की स्ट्रेटजी में उद्देश्य साफ-साफ तय हो गए हैं.

US National Security Strategy: वैश्विक कूटनीति में उथल पुथल का असर अब अमेरिका में साफ तौर पर देखा जा रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के भारत दौरे के बाद अमेरिका ने नई सुरक्षा रणनीति (National Security Strategy) जारी की है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य पश्चिमी गोलार्ध में अमेरिका के प्रभुत्व को पुनः स्थापित करना और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना है. व्हाइट हाउस द्वारा शुक्रवार को सार्वजनिक किए गए इस 33 पन्ने के रणनीतिक दस्तावेज में यूरोपीय सहयोगियों पर विशेष रूप से कड़ी टिप्पणी की गई है. वहीं भारत, रूस और चीन का भी इसमें विशेष उल्लेख है. नई नीति के तहत अमेरिका आने वाले समय में किस तरह चलेगा, इससे यह स्पष्ट हो रहा है. राष्ट्रीय और ग्लोबल स्ट्रेटजी वाली इस नीति में क्या-क्या कहा गया है, आइए समझते हैं.

यह रणनीति ट्रंप के ‘अमेरिका प्रथम’ सिद्धांत को मजबूती देती है, जो विदेशों में अनावश्यक दखल से बचने और दशकों से चले आ रहे गठबंधनों की उपयोगिता पर पुनर्विचार करने की बात करता है. ट्रंप प्रशासन ने दस्तावेज़ में स्पष्ट किया है कि अमेरिकी नीति का केंद्र बिंदु यह होगा कि ‘अमेरिका के लिए क्या कारगर है’ या संक्षेप में ‘अमेरिका फर्स्ट’. जनवरी में रिपब्लिकन राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने के बाद यह पहली आधिकारिक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति है, जिसे कानूनन जारी करना आवश्यक होता है. यह रणनीति पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के मार्गदर्शन से बिल्कुल अलग दिशा में जाती है, जिनके कार्यकाल में गठबंधनों को फिर से मजबूत करने और रूस को नियंत्रित करने पर जोर दिया गया था.

यूरोप को लगाई लताड़

इसमें कहा गया है कि यूरोप की प्रवासन (migration) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी नीतियाँ उनकी सभ्यता को ‘विनाश की आशंका’ के खतरे की ओर धकेल रही हैं. दस्तावेज यूरोपीय साझेदारों की दीर्घकालिक विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है, जिसके कारण आशंका है कि अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी इससे नाराज़ हो सकते हैं.

भारत इंडो-पैसिफिक में प्रमुख साझेदार

ट्रंप प्रशासन की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार माना गया है. भारत के संदर्भ में, ट्रंप प्रशासन ने विशेष रूप से जोर दिया है कि अमेरिका को भारत के साथ वाणिज्यिक, रणनीतिक और अन्य द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाना चाहिए. दस्तावेज़ में कहा गया है कि भारत के साथ मजबूत सहयोग से न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत को क्वाड समूह, (इसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं) में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा. दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के साथ गहरे तालमेल को महत्वपूर्ण बताया गया है. यह भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मज़बूत करने और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है.

चीन आर्थिक दुश्मन

नई रणनीत में चीन को अमेरिका की सबसे बड़ी चुनौती चीन है. उसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बताया गया है. इकॉनमी, टेक्नोलॉजी और मिलिट्री क्षेत्र में चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा खतरा बताया गया है. चीन को रोकना ही अमेरिका की सबसे बड़ी प्राथमिकता बताया गया है. आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बीच ही प्रमुख लड़ाई होने वाली है. 

अमेरिका-भारत के बीच टेक्नोलॉजी और रक्षा सहयोग प्राथमिकता

रणनीति दस्तावेज में AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और रक्षा तकनीकों में भारत-अमेरिका सहयोग को प्रमुख क्षेत्र बताया गया है. अमेरिका मानता है कि तकनीकी मोर्चे पर भारत के साथ जुड़ाव क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है. यह सहयोग न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, बल्कि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भी मददगार होगा. इसीलिए भारत को उभरते टेक सेक्टर में एक विश्वसनीय सहयोगी की तरह प्रस्तुत किया गया है.

रूस के साथ लड़ाई फिजूल

अमेरिका ने रूस के साथ लड़ाई को फिजूल और गलत माना है. रूस के साथ लंबी और सदैव युद्ध की नीति गलत थी. रूस के साथ किसी भी तरह का संघर्ष रोकने की बात की गई है. इसके लिए रणनीतिक ठहराव बनाने की योजना पेश की गई है. अमेरिका केवल और केवल चीन पर ही फोकस कर रहा है, ऐसे में रूस के साथ संघर्ष को वह नहीं बढ़ाना चाहता. पुतिन को यूक्रेन युद्ध में फंसाने की नीति के बाद भारत के साथ टैरिफ वॉर ने दोनों देशों के बीच नजदीकियां बढ़ा दी हैं. वहीं हाल की पुतिन की भारत यात्रा ने अमेरिका को और भी बेचैन कर दिया. अब अमेरिका भारत के रिश्तों को सुधारने के लिए नया  समीकरण बनाना चाह रहा है, ताकि चीन को काउंटर कर सके.  

इंडो-पैसिफिक वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक युद्धभूमि

दस्तावेज़ में कहा गया है कि इंडो-पैसिफिक दुनिया की लगभग आधी GDP का स्रोत है, इसलिए यह अगली सदी का अहम भू-रणनीतिक मैदान होगा. अमेरिका चाहता है कि उसके गठबंधन और साझेदार (जिनकी कुल अर्थव्यवस्था $65 ट्रिलियन की है) मिलकर क्षेत्र में ‘शोषणकारी आर्थिक प्रथाओं’ का मुकाबला करें. यह चीन की आर्थिक रणनीतियों पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी है. इसलिए अमेरिका क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है.

क्वाड और क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका पर जोर

अमेरिका ने क्वाड को एक मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा के लिए अहम ढांचा बताया है. दस्तावेज में कहा गया है कि महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में नेविगेशन की स्वतंत्रता बनाए रखना आवश्यक है, और इसमें भारत की भूमिका निर्णायक है. अमेरिका पहली द्वीप श्रृंखला (First Island Chain) में किसी भी आक्रमण को रोकने में सक्षम सेना तैयार करने की बात भी करता है. साथ ही, वह अपने सहयोगियों से सामूहिक रक्षा में अधिक योगदान की मांग करता है.

‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत सहयोग

इस रणनीति में साफ लिखा है कि अमेरिका अब साझेदार देशों में लोकतांत्रिक या सामाजिक बदलाव की मांग नहीं करेगा. इसके बजाय, वह हित-आधारित और लाभकारी साझेदारी पर ध्यान देगा, जहाँ भारत एक संतुलित और भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभरता है. दस्तावेज में US-China प्रतिस्पर्धा को सप्लाई चेन, तकनीक और खनिज संसाधनों की लड़ाई बताया गया है. हालाँकि अमेरिका की ‘संतुलित व्यापार’ और ‘री-इंडस्ट्रियलाइजेशन’ नीति भारत के निर्यात और रूस के साथ उसके ऊर्जा संबंधों पर दबाव भी डाल सकती है.

दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका ने हाल के वर्षों में ‘असाधारण प्रगति’ हासिल की है और आने वाले समय में वह अपनी राष्ट्रीय शक्ति के सभी पहलुओं को और सुदृढ़ करेगा. राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने संदेश में कहा कि यह रणनीति सुनिश्चित करेगी कि अमेरिका विश्व इतिहास का ‘सबसे महान और सबसे सफल राष्ट्र’ बना रहे तथा वैश्विक स्वतंत्रता सुरक्षित रहे. उन्होंने यह भी वादा किया कि प्रशासन अमेरिका को और अधिक सुरक्षित, समृद्ध, स्वतंत्र, महान और शक्तिशाली बनाने के लिए निरंतर कार्य करेगा.

इस प्रकार, नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति स्पष्ट करती है कि अमेरिका अपने वैश्विक हितों की रक्षा के लिए एक पुनर्गठित दृष्टिकोण अपना रहा है, जिसमें पारंपरिक सहयोगियों पर सख्त नजर, भारत जैसे उभरते साझेदारों पर अधिक भरोसा और ‘अमेरिका प्रथम’ की नीति को केंद्र में रखा गया है. वहीं रूस को राहत मिलती दिख रही है, जबकि चीन पर उसका पूरा फोकस रहेगा. 

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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