UK PM Keir Starmer Supports India UNSC Permanent Seat: भारत अब वही नहीं रहा जो कभी सिर्फ एक विकासशील देश कहलाता था. जी20 की अध्यक्षता से लेकर चांद पर तिरंगा लहराने तक, भारत अब विश्व राजनीति में अपनी ठोस मौजूदगी दर्ज करा चुका है. लेकिन एक सवाल सालों से जस का तस है क्या भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता मिल पाएगी?
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की हालिया भारत यात्रा और मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात के बाद यह सवाल फिर चर्चा में है. स्टारमर ने साफ कहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसका उचित स्थान मिलना चाहिए. क्या यह बयान सिर्फ कूटनीतिक सौजन्य है या वास्तव में भारत के लिए स्थायी सीट का रास्ता खोलने वाला कदम?
ब्रिटेन ने दोहराया समर्थन- भारत का ‘उचित स्थान‘
स्टारमर और मोदी की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने “वैश्विक शांति, समृद्धि और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था” की प्रतिबद्धता जताई. इसमें ब्रिटेन ने साफ तौर पर कहा कि वह सुधारित यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता की वैध आकांक्षाओं का समर्थन करता है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को बताया कि पुनर्गठित और सुधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में स्थान पाने के हमारे उद्देश्य के संबंध में हमें ब्रिटेन से समर्थन मिला है. ब्रिटेन ने अतीत में भी इस बात को स्पष्ट किया है, और हम उस समर्थन की सराहना करते हैं.”
UK PM Keir Starmer Supports India UNSC Permanent Seat: भारत के साथ कौन-कौन है?
भारत की यूएनएससी स्थायी सदस्यता की दावेदारी को अब तक अमेरिका (जो बाइडेन के कार्यकाल में), फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्राजील और रूस का समर्थन मिल चुका है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले महीने कहा था कि उनका देश “एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका को अधिक प्रतिनिधित्व” दिलाने के पक्ष में है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी कह चुके हैं कि वह भारत की मांग को “पूरी तरह समझते हैं”, लेकिन फैसला सदस्य देशों को ही लेना होगा.
इस समय सुरक्षा परिषद में सिर्फ चीन ही एशियाई स्थायी सदस्य है और भारत के लिए सबसे बड़ा रोड़ा भी वही है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर कई बार कह चुके हैं कि “एक अधिक समान और न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था” के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों में सुधार जरूरी है. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि दुनिया बदल गई है, लेकिन संस्थान नहीं. अगर प्रतिनिधित्व नहीं बदलेगा तो विश्वास खत्म हो जाएगा.
एफटीए ने रिश्ते को दी नई दिशा
भारत और ब्रिटेन के बीच जुलाई में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) साइन हुआ था. अब दोनों देश इसके पूर्ण कार्यान्वयन की तैयारी में हैं. इस समझौते से ये निकल आया कि 54.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार मजबूत होगा और 6 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी. भारत ब्रिटिश व्हिस्की, सौंदर्य प्रसाधन और मेडिकल उपकरणों पर शुल्क घटाएगा, जबकि ब्रिटेन कपड़े, जूते और खाद्य उत्पादों पर टैक्स कम करेगा. ब्रिटिश पीएम की यात्रा के दौरान भारत-यूके सीईओ फोरम की बैठक भी हुई, जिसमें भविष्य के निवेश और व्यापार सहयोग की दिशा तय की गई.
रक्षा सौदे और रणनीतिक साझेदारी
ब्रिटेन और भारत के बीच 350 मिलियन पाउंड का रक्षा समझौता हुआ. इसके तहत भारत को ब्रिटेन निर्मित हल्की बहुउद्देशीय मिसाइलें (LMM) मिलेंगी. ब्रिटिश रक्षा सचिव जॉन हीली ने कहा है कि ये सौदे दिखाते हैं कि भारत के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी ब्रिटेन के व्यापार और रोजगार दोनों को मजबूत करेगी. ये वही मिसाइलें हैं जो पहले यूक्रेन को दी गई थीं. उम्मीद है कि इससे नौसेना और वायु रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच गहरे रिश्ते बनेंगे.
हिंद महासागर में साझेदारी- कोंकण अभ्यास
स्टारमर की यात्रा ऐसे समय में हुई जब ब्रिटिश कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) भारतीय नौसेना के साथ हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास कर रहा था. HMS प्रिंस ऑफ वेल्स और INS विक्रांत के नेतृत्व में दोनों नौसेनाएं ‘कोंकण’ अभ्यास में शामिल हुईं. इससे समुद्री सुरक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर दोनों देशों की प्रतिबद्धता मजबूत हुई है. अब भारतीय वायुसेना के योग्य प्रशिक्षक, रॉयल एयर फोर्स (RAF) के कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. दोनों देशों ने सभी तरह के आतंकवाद की निंदा की और “शून्य सहिष्णुता नीति” पर जोर दिया.
टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और खनिज जैसे संसाधनों पर नई साझेदारियां
टेक और नवाचार में भारत-यूके रिश्ते अब नए दौर में हैं. मुख्य घोषणाएं कि गयी हैं जिसमें भारत-यूके संयुक्त AI सेंटर की स्थापना, क्लाइमेट टेक्नोलॉजी स्टार्टअप फंड, महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला वेधशाला और धनबाद IIT (ISM) में नया उपग्रह परिसर. ये कदम “आत्मनिर्भर भारत” और “ग्रीन टेक्नोलॉजी” की दिशा में सहयोग को नई ऊंचाई देंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात के बाद कहा कि भारत और ब्रिटेन वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति के लिए एक स्वाभाविक साझेदारी बना रहे हैं. दोनों नेताओं ने यूक्रेन और गाजा के युद्धों पर भी चर्चा की और कहा कि भारत “बातचीत और कूटनीति के जरिए शांति के हर प्रयास” का समर्थन करता है.
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