PM Modi Meet MBS: भारत ने वैश्विक व्यापार और रणनीतिक कनेक्टिविटी के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना शुरू कर दिया है. इस पहल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर सऊदी अरब के लिए रवाना हुए हैं. माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान सऊदी नेतृत्व के साथ IMEC को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत हो सकती है.
IMEC परियोजना को भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विकल्प के रूप में देख रहा है. यह गलियारा भारत को पश्चिम एशिया के देशों और वहां से यूरोप तक सीधे और कुशल तरीके से जोड़ने का माध्यम बनेगा. इस परियोजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लोकतांत्रिक और समावेशी साझेदारी पर बल दिया गया है, जो BRI से इसे अलग बनाता है.
रसद लागत और समय में कमी
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में आयोजित एक उच्च स्तरीय गोलमेज सम्मेलन में IMEC की उपयोगिता और इसके संभावित लाभों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि इस गलियारे के माध्यम से माल ढुलाई की लागत में लगभग 30% की कमी आएगी, जबकि परिवहन में लगने वाला समय 40% तक घट जाएगा. इससे भारतीय उत्पादों को यूरोपीय बाजारों में तेजी से और सस्ते में पहुंचाया जा सकेगा.
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गोयल ने IMEC को ‘आधुनिक सिल्क रूट’ बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यापार मार्ग नहीं है, बल्कि एक ऐसा तंत्र है जो समान विचारों वाले देशों के बीच साझेदारी को दर्शाता है. यह सहयोग समावेशी विकास, बेहतर तालमेल और क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देगा.
प्रोजेक्ट की संरचना और विशेषताएं
IMEC को मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी परियोजना के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसमें रेलवे, पोर्ट्स, सड़क मार्ग, समुद्र के नीचे डाटा केबल, बिजली की पाइपलाइनों, ग्रीन हाइड्रोजन वितरण नेटवर्क और डिजिटल ग्रिड कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं शामिल होंगी. इसके तहत लॉजिस्टिक्स हब, साइबर-सिक्योर डेटा लिंक और ग्रीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जाएगा.
यह परियोजना भारत के व्यापार के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकती है क्योंकि यह चीन के कर्ज आधारित BRI मॉडल का प्रतिस्थापन बनेगा, जो अक्सर लाभ की बजाय राजनीतिक दबाव का जरिया बनता है.
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भागीदार देश और रणनीतिक महत्व
इस परियोजना में भारत के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजरायल, ग्रीस, इटली और यूरोपीय यूनियन के सदस्य देश भाग ले रहे हैं. यह साझेदारी इसे न केवल भौगोलिक दृष्टि से बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है.
हालांकि इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के चलते इस प्रोजेक्ट को एक समय पर झटका जरूर लगा था, लेकिन अब सऊदी अरब के इस परियोजना को लेकर सकारात्मक रुख की उम्मीद की जा रही है. यह भी एक संकेत है कि रणनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए पारंपरिक दुश्मनियां पीछे छोड़ी जा सकती हैं.
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भारत के लिए क्या मायने रखता है IMEC?
IMEC के जरिए भारत को यूरोप और मध्य पूर्व में अपने उत्पादों की आपूर्ति तेज और सस्ती करने का अवसर मिलेगा. इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा, निर्यात में इजाफा होगा और देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. साथ ही, यह परियोजना भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर अग्रसर करेगी.
यह गलियारा केवल व्यापारिक हितों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक रणनीति का भी हिस्सा है एक ऐसा मॉडल जो भरोसे, समावेशिता और टिकाऊ विकास पर आधारित है. इसलिए भारत इसे केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं बल्कि वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक कदम मानता है. संक्षेप में, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा न केवल भारत के आर्थिक भविष्य को दिशा देगा, बल्कि यह देश की रणनीतिक स्थिति को भी और मजबूत करेगा.
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