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PoK में 70 सालों का दबा गुस्सा फूटा! हड़ताल और सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन, जानें क्यों लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ किया विद्रोह

Pok Kashmir Protests Strike: PoK में राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों को लेकर जनता सड़कों पर उतरी. AAC की हड़ताल और विरोध प्रदर्शन ने तनाव बढ़ा दिया. सरकार ने 6,000 से ज्यादा जवान तैनात किए. प्रदर्शनकारियों की 38 सूत्रीय मांगों में सब्सिडी, बिजली टैरिफ और विधानसभा सुधार शामिल. आम जनजीवन प्रभावित होने की संभावना.

Pok Kashmir Protests Strike: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में लंबे समय से दबा आक्रोश अब सड़कों पर नजर आने लगा है. शनिवार, 27 सितंबर को कोटली में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के बाद हालात तेजी से बिगड़ने लगे. प्रदर्शनकारियों ने वर्षों से वंचित राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की मांग करते हुए सोमवार, 29 सितंबर को ‘दुकानें बंद और यातायात जाम’ की हड़ताल का आह्वान किया.

सुरक्षा बलों की तैनाती और नियंत्रण

स्थिति को संभालने के लिए पाकिस्तान सरकार ने 6,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी और फ्रंटियर फोर्स के जवान PoK में तैनात कर दिए हैं. यह जवान राजधानी इस्लामाबाद से भेजे गए हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि झड़प के दौरान सैनिकों ने नागरिकों पर गोली चलाई और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया. झड़प में कई लोग घायल हुए और स्थानीय अधिकारियों ने पुष्टि की कि कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए.

Pok Kashmir Protests Strike: प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

आवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने PoK में 38 सूत्रीय घोषणापत्र जारी किया है. उनकी मुख्य मांगें है कि PoK विधानसभा में पाकिस्तान में कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधान सभा सीटों को खत्म करना, ताकि प्रतिनिधि शासन मजबूत हो. स्थानीय समुदायों को सब्सिडी वाला आटा उपलब्ध कराना. मंगला जलविद्युत परियोजना से जुड़े उचित बिजली टैरिफ लागू करना. इस्लामाबाद द्वारा लंबे समय से लंबित संरचनात्मक सुधारों को लागू करना.

नेतृत्व और आंदोलन की रणनीति

AAC के प्रमुख नेता शौकत नवाज मीर ने मुजफ्फराबाद में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा आंदोलन किसी संस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि 70 साल से हमारे लोगों से वंचित मौलिक अधिकारों के लिए है. अब और नहीं. या तो अधिकार दीजिए या लोगों के गुस्से का सामना कीजिए. नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी के नेतृत्व में सोमवार को पूरे PoK में पूर्ण बंद का आह्वान किया गया. इस्लामाबाद और पाकिस्तानी सेना ने क्षेत्र में नियंत्रण बनाए रखने के लिए बल प्रयोग और फ्लैग मार्च का संकेत दिया.

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बुनियादी ढांचा ने लोगों को मजबूर कर दिया है

स्थानीय नागरिक, वकील और नागरिक समूह इस आंदोलन का लोकतांत्रिक अधिकार मान रहे हैं. उनका कहना है कि दशकों से उपेक्षा, भ्रष्टाचार और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, साफ पानी और बुनियादी ढांचा ने लोगों को मजबूर कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार और सेना लोगों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं हल करती हैं, तो PoK में गंभीर संकट पैदा हो सकता है. वर्तमान विरोध प्रदर्शन की तुलना बलूचिस्तान के अलगाववादी आंदोलनों से की जा रही है, जिससे पाकिस्तान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ रही है.

सोमवार की हड़ताल से PoK में आम जनजीवन प्रभावित होने की संभावना है. कई जिलों में पब्लिक एक्शन कमिटियों द्वारा लोगों को जुटाने की वजह से व्यापार और परिवहन सेवाएं बंद रह सकती हैं. स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है और सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत न होने पर यह और बिगड़ सकती है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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