Pakistan minister Ahsan Iqbal live TV interview interrupted: पाकिस्तान में मीडिया पर खुफिया एजेंसी आईएसआई का नियंत्रण कितना कड़ा है, इसकी एक बानगी देखने को मिली है. इस बार मामला सीधा-सीधा लाइव टीवी पर देखने को मिला है. यह बंदिश हुई छोटे-मोटे आदमी के साथ नहीं बल्कि पाकिस्तान के योजना मंत्री और पीएमएल(एन) के वरिष्ठ नेता अहसन इकबाल के लाइव टीवी इंटरव्यू में हुई. अप्रत्याशित बाधा ने एक बार फिर देश में मीडिया नियंत्रण और परदे के पीछे की ताकतों की भूमिका को लेकर बहस छेड़ दी है. इंटरव्यू के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति का अचानक कमरे में घुसकर “बंद करो इसे” कहना और प्रसारण का बीच में ही रुक जाना, कई लोगों के लिए महज एक तकनीकी या निजी विवाद से कहीं ज्यादा गंभीर सवाल खड़े करता है.
पाकिस्तान में लंबे समय से यह आरोप लगते रहे हैं कि ताकतवर सुरक्षा प्रतिष्ठान, खासकर इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI), मीडिया नैरेटिव को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है. पत्रकारों, राजनीतिक विश्लेषकों और मानवाधिकार संगठनों का दावा रहा है कि संवेदनशील मुद्दों पर बोलते समय नेताओं और पत्रकारों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दबाव बनाया जाता है, कभी प्रसारण रोककर, कभी चेतावनी देकर और कभी अनदेखे हाथों के जरिये. वायरल वीडियो में दिखता है कि अहसन इकबाल ARY न्यूज पर इमरान खान की पार्टी पीटीआई की आलोचना कर रहे थे, तभी वह अचानक रुक जाते हैं. कैमरे के बाहर से आती आवाज और फोन छीनने की कोशिश के बाद प्रसारण कट हो जाता है.
थोड़ी देर बाद लौटे इकबाल
हालांकि थोड़ी देर बाद अहसन इकबाल दोबारा कैमरे पर लौटते हैं और एंकर को आश्वस्त करते हैं कि “सब कुछ ठीक है.” बाद में अहसन इकबाल ने अपने X अकाउंट पर सफाई देते हुए कहा कि यह व्यवधान पास में चल रहे किसी विवाद की वजह से हुआ था. उन्होंने लिखा, “चिंता जताने वाले सभी संदेशों के लिए धन्यवाद. लाइव प्रसारण के दौरान थोड़ी देर के लिए रुकावट आई, क्योंकि पास में कोई व्यक्ति किसी से बहस कर रहा था और उसे यह पता नहीं था कि मैं लाइव ऑन एयर हूं. कुछ ही देर बाद मैं दोबारा इंटरव्यू में शामिल हो गया. उम्मीद है कि इस बात को बेवजह राजनीतिक रंग नहीं दिया जाएगा.”
अटकलों का दौर हुआ शुरू
इस रहस्यमय घटना के बाद सोशल मीडिया पर अटकलों का दौर शुरू हो गया. कई यूजर्स यह जानने की कोशिश करने लगे कि इंटरव्यू के बीच अचानक इस तरह की बाधा क्यों आई. अहसन इकबाल की इस घटना को भी कई यूजर्स ने उसी अदृश्य हाथों के दबाव वाले संदर्भ में देखा. एक यूजर ने लिखा, “ARY पर अहसन इक़बाल के इंटरव्यू के दौरान कोई अचानक कमरे में घुसा और ‘बंद करो इसे’ चिल्लाया. फिर कुछ देर बाद वह लौटकर कहते हैं कि सब ठीक है. तो फिर… उसे चुप किसने कराया?” कुछ लोगों ने इसे उस व्यापक व्यवस्था का प्रतीक बताया, जिसमें सत्ता के औपचारिक ढांचे के बाहर मौजूद संस्थाएं यह तय करती हैं कि क्या कहा जाएगा और क्या नहीं.
भले ही अहसन इकबाल ने बाद में इसे पास में चल रहे एक निजी विवाद से जोड़ते हुए राजनीतिक रंग न देने की अपील की, लेकिन आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान में मीडिया पर नियंत्रण अक्सर इसी तरह सब कुछ ठीक है कहकर ढक दिया जाता है. एक यूजर की टिप्पणी में यह भावना साफ दिखी, उसने कहा कि ‘बंद करो’ और ‘सब ठीक है’ के बीच जो कुछ हुआ, वही इस देश में आम लोगों और मीडिया के साथ रोज होता है.
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