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Netanyahu Trump Meeting: ईरान पर फिर हमला करेगा इजरायल! ट्रंप से मिलने जा रहे नेतन्याहू, मिसाइल और न्यूक्लियर प्लान पर होगा बड़ा फैसला

Netanyahu Trump Meeting: इजरायल और ईरान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है. एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात में ईरान के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को लेकर नए हमले की रणनीति रख सकते हैं. जून की जंग के बाद बढ़ती गतिविधियों ने मिडिल ईस्ट में नई टकराव की आशंका बढ़ा दी है.

Netanyahu Trump Meeting: मिडिल ईस्ट एक बार फिर उबाल पर है. इजरायल और ईरान के बीच कुछ महीने पहले खत्म हुई जंग की राख अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अब एक नए हमले की आहट सुनाई देने लगी है. वजह है कि ईरान की मिसाइलें और परमाणु कार्यक्रम. एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसी महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं और इस मुलाकात में ईरान को लेकर बड़ा प्लान सामने रख सकते हैं.

Netanyahu Trump Meeting Israel Iran War in Hindi: ट्रंप से मुलाकात में क्या मुद्दा उठाएंगे नेतन्याहू?

एनबीसी न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि नेतन्याहू, राष्ट्रपति ट्रंप को यह जानकारी देंगे कि ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को दोबारा और तेजr से बढ़ा रहा है. इजरायल का मानना है कि ईरान अब सिर्फ पुराना नुकसान नहीं भर रहा, बल्कि पहले से ज्यादा ताकतवर मिसाइल सिस्टम तैयार करने में जुटा है. इसी वजह से इजरायल फिर से सैन्य कार्रवाई की जरूरत बता रहा है.

इजरायल को ईरान की किस चीज से सबसे ज्यादा डर?

रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली अधिकारियों की सबसे बड़ी चिंता इस वक्त ईरान का बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन है. एनबीसी न्यूज ने एक ऐसे व्यक्ति और चार पूर्व अमेरिकी अधिकारियों का हवाला दिया है, जिन्हें इन योजनाओं की सीधी जानकारी है. उनका कहना है कि ईरान हर साल करीब 3,000 मिसाइलें बनाने की क्षमता तक पहुंच सकता है. साथ ही ईरान अपने एयर डिफेंस सिस्टम को भी फिर से ठीक कर रहा है, जिससे भविष्य में उस पर हमला करना और मुश्किल हो सकता है.

हालांकि इजरायल सार्वजनिक रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सबसे बड़ा खतरा बताता रहा है, लेकिन एनबीसी न्यूज के मुताबिक अंदरखाने में तस्वीर थोड़ी अलग है. एक सूत्र ने कहा कि परमाणु कार्यक्रम चिंता की बात जरूर है, लेकिन वो तुरंत वाला खतरा नहीं है. असली खतरा ईरान की मिसाइलें हैं, क्योंकि पिछली जंग में इजरायल सभी मिसाइलों को रोक नहीं पाया था. (Netanyahu Trump Meeting Israel Iran War in Hindi)

जून की 12 दिन की जंग में क्या हुआ था?

इस साल जून में ईरान और इजरायल के बीच करीब 12 दिन तक युद्ध चला था. रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान इजरायल ने ईरान के कई बड़े ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें परमाणु वैज्ञानिक, मिसाइल बनाने की फैक्ट्रियां और यूरेनियम संवर्धन केंद्र शामिल थे. जंग के आखिरी दिनों में अमेरिका भी शामिल हुआ और उसने ऐसे बम गिराए जो जमीन के नीचे बने परमाणु ठिकानों को तबाह कर सकते थे.

युद्ध में दोनों देशों को कितना नुकसान हुआ?

ईरान ने कहा कि इजरायली हमलों में उसके 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए. जवाब में ईरान ने इजरायल पर 500 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें और करीब 1,100 ड्रोन दागे. इजरायल में इन हमलों में 32 लोगों की मौत, 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए. 36 मिसाइलें रिहायशी इलाकों में गिरीं, हजारों घर टूटे, दो यूनिवर्सिटी और एक अस्पताल को नुकसान पहुंचा और 13,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए.

नेतन्याहू ट्रंप के सामने कौन से विकल्प रख सकते हैं?

वाशिंगटन पोस्ट और एनबीसी न्यूज के मुताबिक, नेतन्याहू पहले भी ट्रंप के सामने ईरान पर हमले के चार विकल्प रख चुके हैं और इस बार भी वैसा ही हो सकता है. ये विकल्प हैं कि सिर्फ इजरायल का हमला, इजरायल के साथ अमेरिका की सीमित मदद, दोनों देशों का मिलकर हमला, या फिर पूरी तरह अमेरिका के नेतृत्व में हमला. बताया जा रहा है कि फरवरी में हुई मुलाकात में भी इन विकल्पों पर चर्चा हुई थी.

व्हाइट हाउस का आधिकारिक बयान क्या कहता है?

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने एनबीसी न्यूज से कहा कि IAEA और ईरान सरकार दोनों ने माना है कि अमेरिकी ऑपरेशन “मिडनाइट हैमर” में ईरान की परमाणु क्षमता पूरी तरह खत्म हो गई थी. उन्होंने ट्रंप के बयान को दोहराते हुए कहा कि अगर ईरान ने फिर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश की, तो उस जगह को पहले ही नष्ट कर दिया जाएगा. हालांकि ट्रंप ईरान के परमाणु कार्यक्रम के पूरी तरह खत्म होने की बात कहते हैं, लेकिन अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों का आकलन थोड़ा सतर्क है. उनके मुताबिक, ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, बल्कि कुछ समय के लिए पीछे जरूर चला गया है. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख डेविड बरनिया ने साफ कहा है कि ईरान जैसे ही मौका मिलेगा, फिर परमाणु बम बनाने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा कि इजरायल और अमेरिका की जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम दोबारा शुरू न हो.

ईरान क्या कहता है?

ईरान लगातार यह दावा करता रहा है कि वह परमाणु हथियार नहीं बनाना चाहता. लेकिन उसने यूरेनियम को ऐसे स्तर तक संवर्धित किया है जिसका कोई शांतिपूर्ण इस्तेमाल नहीं होता. इसके अलावा उसने अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों को कई बार अपने ठिकानों की जांच से रोका है और अपनी मिसाइल ताकत लगातार बढ़ाई है. यही बातें इजरायल और अमेरिका की चिंता बढ़ा रही हैं.

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Govind Jee
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गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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