Nepal Gen z Protests: नेपाल की राजनीति में इस वक्त ऐसा संग्राम छिड़ा है कि पूरा देश हिल गया है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, दोनों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया. वजह है जेन-जेड युवाओं का आंदोलन, जिसने दो दिनों में हिंसक शक्ल ले ली. 19 लोगों की जान जा चुकी है और 500 से ज्यादा घायल हैं. संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जली इमारतें और सड़कों पर गुस्साए नौजवान. इस अराजकता के बीच अब कमान नेपाल आर्मी के हाथ में चली गई है, और सारे काम आर्मी चीफ अशोक राज सिगडेल के हाथों में फोकस हैं. . सवाल है कि कौन हैं ये सिग्देल और अब नेपाल का रास्ता किधर जाएगा?
Nepal Gen z Protests: आर्मी का कंट्रोल और सिगडेल का संदेश
इस्तीफों के तुरंत बाद नेपाल आर्मी ने देशभर की सुरक्षा संभाल ली. त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर सिंहदरबार तक सेना की तैनाती है. आर्मी चीफ सिगडेल ने टीवी पर संदेश दिया और शांत रहिए, सार्वजनिक संपत्ति बचाइए और सामाजिक सौहार्द बनाए रखिए. सेना ने साफ किया कि मौजूदा हालात में नागरिकों की सुरक्षा और राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.
कौन हैं आर्मी चीफ अशोक राज सिगडेल?
अशोक राज सिगडेल का जन्म 1 फरवरी 1967 को लुंबिनी प्रांत के रुपनदेही जिले में हुआ. मिडिल क्लास परिवार से आने वाले सिग्देल पांच भाई-बहनों में से एक हैं. बचपन से ही खेलों में तेज – बॉक्सिंग, ताइक्वांडो और टेबल टेनिस में उन्होंने नाम कमाया. 1986 में आर्मी जॉइन की और 25वें बेसिक कोर्स में टॉपर बने.
सिगडेल की पढ़ाई-लिखाई टॉप लेवल की रही. शिवपुरी के आर्मी कमांड एंड स्टाफ कॉलेज से ट्रेनिंग ली, चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से बैचलर और मास्टर्स किया. भारत में डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स किया. करियर में उन्होंने जंगल वॉरफेयर स्कूल के कमांडेंट से लेकर इन्फैंट्री डिवीजन तक की कमान संभाली. कोविड क्राइसिस मैनेजमेंट सेंटर के सचिव रहे और अमेरिका-नेपाल लैंड फोर्स टॉक्स का नेतृत्व किया. उन्होंने युगोस्लाविया, ताजिकिस्तान और लाइबेरिया में UN शांति मिशनों में भी काम किया.
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सम्मान और भारत से रिश्ता
सिगडेल को कोविड नियंत्रण में योगदान के लिए सुप्रबल जनसेवाश्री III अवॉर्ड मिला. 2023 में लेफ्टिनेंट जनरल और 2024 में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बने. दिसंबर 2024 में भारत यात्रा पर आए तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें भारतीय सेना का ऑनरेरी जनरल बनाया. इसी दौरान उन्होंने NSA अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और CDS अनिल चौहान से भी मुलाकात की.
सड़कों पर आग और नेताओं के घरों पर हमला
नेपाल में हालात इस कदर बिगड़े कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने संसद, सुप्रीम कोर्ट और राजनीतिक दलों के दफ्तर तक को आग के हवाले कर दिया. आगजनी की लपटें सिर्फ दफ्तरों तक नहीं रुकीं, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का घर भी जल गया. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिखा कि प्रदर्शनकारियों ने देउबा और उनकी पत्नी अर्जुना राणा को घर से बाहर खदेड़ा. दोनों को मामूली चोटें आईं, लेकिन सीन ऐसा था जैसे किसी फिल्म का क्लाइमेक्स चल रहा हो. ऊपर से बेटे की हिस्सेदारी वाला हिल्टन होटल धू-धू करके जल गया और अर्जुना का स्कूल भी तोड़फोड़ का शिकार हो गया.
2022 में बनी रबी लामिछाने की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) युवाओं की पहली पसंद बन गई. हाल ही में उनकी पार्टी के 21 सांसदों ने इस्तीफा ठोक दिया. सीधा दबाव पड़ा केपी शर्मा ओली की सरकार पर. सरकार के भीतर से भी विद्रोह उठने लगा. जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव ने प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग का विरोध करते हुए इस्तीफा दे डाला. उनके बाद कृषि और पशु मंत्री राम नाथ अधिकारी और गृह मंत्री रमेश लेखक ने भी पद छोड़ दिया. काठमांडू के मेयर और रैपर-टर्न-लीडर बालेन शाह ने सोशल मीडिया पर जेन-जेड मूवमेंट का समर्थन करते हुए लिखा कि आपका दबाने वाला इस्तीफा दे चुका है, अब शांत रहिए.
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नेपाल इस वक्त पूरी तरह अनिश्चितता में है. लोकतांत्रिक संस्थान जल चुके हैं, राष्ट्रपति और पीएम दोनों पद खाली हैं. आर्मी चीफ सिग्देल फिलहाल हालात काबू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जेन-जेड का गुस्सा अभी शांत होता नहीं दिख रहा. सवाल यही है कि नेपाल का भविष्य अब संसद तय करेगा या सेना?

