Nepal Gen z Protests: नेपाल इन दिनों उबाल पर है. सड़कों पर भीड़ है, सरकार गिर चुकी है और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कुर्सी छोड़नी पड़ी है. सवाल है कि ऐसा क्या हुआ कि पूरा मुल्क भड़क गया? जवाब साफ है- नेपो किड्स. नेताओं के बच्चों की ठाठ-बाट, उनकी लग्जरी लाइफ और आम जनता की गरीबी के बीच का फर्क इतना बड़ा हो गया कि युवाओं का गुस्सा ज्वालामुखी बनकर फूट पड़ा. खासकर Gen Z के लिए ये आंदोलन महज विरोध नहीं, बल्कि व्यवस्था के खिलाफ बगावत है.
Nepal Gen z Protests: आंदोलन की असली चिंगारी
शुरुआत हुई सोशल मीडिया बैन के फैसले से. सरकार ने इंटरनेट पर रोक लगाने की कोशिश की और लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. लेकिन असली आग तब लगी, जब सोशल मीडिया पर नेपो किड्स के वीडियो और तस्वीरें वायरल हुईं. आम युवाओं ने अपनी बेरोजगारी और गरीबी की तुलना उन तस्वीरों से की, जिनमें नेता-बाबुओं के बच्चे महंगी कारों में घूम रहे थे, लाखों के हैंडबैग लटकाए ट्रिप मार रहे थे और ऐश कर रहे थे. फिर क्या था, गुस्सा सड़कों पर उतर आया.
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29 साल की श्रृंखला खातीवाड़ा सबसे पहले इस गुस्से की शिकार बनीं. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बिरोध खातीवाड़ा की बेटी और 2018 की मिस नेपाल वर्ल्ड रह चुकीं श्रृंखला अपने आलीशान लाइफस्टाइल और विदेश यात्राओं के लिए ट्रोल होती रहीं. आखिरकार, भीड़ ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया.
देउबा परिवार की बहू वायरल
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के बेटे जयवीर सिंह देउबा और उनकी पत्नी, सिंगर शिवना श्रेष्ठा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं. करोड़ों की संपत्ति और रईसी भरी लाइफ ने लोगों का गुस्सा और बढ़ा दिया. युवाओं का आरोप है ये कि सब जनता के पैसे से हो रहा है.
प्रचंड की पोती और थापा का बेटा
नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की पोती स्मिता दहल पर भी उंगलियां उठीं. सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें फैलाई गईं, जिनमें वो लाखों के हैंडबैग और लग्जरी ठाठ के साथ नजर आईं. इसी तरह, पूर्व कानून मंत्री बिंदु कुमार थापा के बेटे सौगत थापा की तस्वीरें भी वायरल हुईं. उनकी महंगी पसंद और रईसी लाइफ ने उन्हें भी लोगों के गुस्से का शिकार बना दिया.आंदोलन इतना उग्र हुआ कि भीड़ ने इन नेपो किड्स और नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया. सड़कों पर आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं. सरकार पस्त हुई और आखिरकार सेना को कमान संभालनी पड़ी.
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नेपाल की मौजूदा हालत बताती है कि ये सिर्फ सरकार गिराने का आंदोलन नहीं है. ये असल में उस नेता-पुत्र संस्कृति और नेपो किड्स कल्चर के खिलाफ बगावत है, जिसने जनता और सत्ताधारियों के बच्चों के बीच गहरी खाई बना दी. जनता कह रही है- “हम गरीबी में जी रहे हैं और ये हमारे पैसों पर ऐश कर रहे हैं.” यही वजह है कि नेपाल की सड़कों पर उठी ये आग अब सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि क्रांति का रूप ले चुकी है.

