NASA Parker Solar Probe Closest To Sun: धरती से लाखों किलोमीटर दूर, नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूरज की जलती हुई गर्मी के बीच उड़ रहा है. इसे कोई साधारण मिशन नहीं कहा जा सकता. ये यान अब तक किसी भी यान से अधिक करीब सूरज तक पहुंच चुका है और इसकी रफ्तार 687,000 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई है. इतना तेज कि ब्रह्मांड में अब तक किसी अन्य वस्तु ने इसे पार नहीं किया. वैज्ञानिक इसे सूरज के रहस्यों को उजागर करने वाला सबसे बड़ा कदम मान रहे हैं.
चौथा बड़ा सूर्य मुठभेड़
10 से 20 सितंबर 2025 के बीच, Parker Solar Probe ने अपना चौथा बड़ा सोलर फ्लाईबाय पूरा किया. इस दौरान यह सूरज की सबसे बाहरी परत, यानी कोरोना, से गुजरा. 18 सितंबर को यान ने पृथ्वी पर संदेश भेजा कि सभी सिस्टम सामान्य हैं, जिससे वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली. इस दौरान यान ने अपनी रिकॉर्ड रफ्तार 687,000 km/h बनाए रखी, जो दिसंबर 2024, मार्च और जून 2025 में भी हासिल की गई थी. इतनी रफ्तार का मतलब है कि Parker हर सेकेंड लगभग 190 किलोमीटर की दूरी तय कर रहा था.
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मिशन का मकसद – सूरज के रहस्यों को समझना
2018 में लॉन्च हुआ Parker Solar Probe का मुख्य उद्देश्य है सूरज के करीब जाकर उसका अध्ययन करना. यह यान सूरज की गतिविधियों पर नजर रखता है. सोलर विंड, फ्लेयर्स और कोरोना मास इजेक्शन्स जैसी घटनाओं का डेटा इकट्ठा करता है. ये घटनाएं अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे सैटेलाइट्स, बिजली ग्रिड और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है. हर बार Parker का डेटा वैज्ञानिकों को हमारी तकनीकी दुनिया को सुरक्षित रखने में मदद करता है.
वैज्ञानिक उपकरण और डेटा संग्रह
Probe में चार प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जो सूरज की सतह से निकलने वाली ऊर्जा को लगातार मापते हैं. फिलहाल सूरज अपने 11 साल के सक्रिय चक्र में है, जिसका मतलब है अधिक सोलर फ्लेयर्स और तेज सोलर विंड. ऐसे समय में Parker का डेटा अत्यंत महत्वपूर्ण है और वैज्ञानिक इसे ध्यान से विश्लेषित कर रहे हैं.
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NASA Parker Solar Probe Closest To Sun: अगले मिशन की तैयारी
NASA का Parker Solar Probe अब अगले मिशन की तैयारी में जुट चुका है, जो 2026 के बाद होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, हाल ही में हुई सूर्य मुठभेड़ का डेटा सितंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में पृथ्वी पर पहुंचेगा. यह डेटा न केवल सूरज की ताकत को समझने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में चंद्रमा और मंगल पर मिशनों को भी सुरक्षित बनाने में अहम साबित होगा.

