Japan PM Sanae Takaichi Budget Meeting: जब साने ताकाइची ने अक्टूबर में जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर सत्ता संभाली, तो उनके पहले ही भाषण ने देश को चौंका दिया. उन्होंने कहा था कि “काम, काम और बस काम करो… घोड़े की तरह काम करो.” उन्होंने ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ जैसे शब्दों को छोड़ने की बात कही और साफ कर दिया कि वे काम को सर्वोच्च प्राथमिकता मानती हैं. लेकिन अब यही सोच उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है. हाल में उनकी ‘रात 3 बजे की मीटिंग’ ने पूरे जापान में बहस छेड़ दी है. क्या इतना ज्यादा काम करना गर्व की बात है या चिंता की?
Japan PM Sanae Takaichi Budget Meeting: रात 3 बजे ऑफिस पहुंचीं प्रधानमंत्री
पिछले शुक्रवार ताकाइची सुबह 3 बजे अपने दफ्तर पहुंचीं. वजह थी कि संसद में पेश होने वाला बजट सत्र, जो सुबह 9 बजे शुरू होना था. प्रधानमंत्री के इस कदम ने सबको हैरान कर दिया. एक अधिकारी ने फूजी न्यूज नेटवर्क से कहा कि जब सुना कि पीएम 3 बजे दफ्तर आईं, तो मेरा जबड़ा गिर गया. बताया गया कि बैठक करीब तीन घंटे चली और कई अधिकारी उस वक्त मौजूद थे. लेकिन जल्द ही आलोचना शुरू हो गई कि लोग कहने लगे कि यह न सिर्फ पीएम की सेहत के लिए गलत है, बल्कि कर्मचारियों को भी थका देने वाला है. संसद में भी विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया.
विपक्ष ने कहा- ‘यह पागलपन है’
पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता योशिहिको नोदा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि किसी नेता को कर्मचारियों को ऐसे वक्त पर काम करने को मजबूर नहीं करना चाहिए. जब सब लोग सो रहे हों, तब मीटिंग बुलाना पागलपन है. यह एक राष्ट्रीय नेता के लिए शर्मनाक सोच है. संविधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य ताकाहिरो कुरोइवा ने भी सवाल पूछा कि सुना है प्रधानमंत्री 3 बजे दफ्तर आईं, जिससे कई लोगों को परेशानी हुई. क्या संकट प्रबंधन के लिहाज से यह बेहतर नहीं होगा कि आप जल्द से जल्द आधिकारिक आवास में शिफ्ट हो जाएं? इस पर ताकाइची ने जवाब दिया कि मुझे दक्षिण अफ्रीका में होने वाले G20 सम्मेलन में जाना है. जैसे ही ये कार्यक्रम पूरे होंगे, मैं आधिकारिक आवास में शिफ्ट हो जाऊंगी. उन्होंने माफी भी मांगी और कहा कि मैंने अपने सचिवों, सुरक्षा गार्डों और ड्राइवरों को असुविधा दी. इसके लिए खेद है.
‘करोशी’- जापान का डरावना वर्क कल्चर
ताकाइची की यह घटना जापान के पुराने जख्मों को फिर से कुरेद गई. जापान में ‘करोशी’ (Karoshi) शब्द बहुत मशहूर है. इसका मतलब है यह है कि ‘ओवरवर्क से मौत’. 2015 में 24 साल की मात्सुरी ताकाहाशी जो जापान की सबसे बड़ी विज्ञापन एजेंसी Dentsu Inc. में काम करती थीं, उन्होनें आत्महत्या कर ली थी. वो लगातार 100 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम कर रही थीं. मरने से पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि सुबह के 4 बजे हैं… मेरा शरीर कांप रहा है… मैं बहुत थक चुकी हूं… मैं मरने वाली हूं. उनकी मौत ने पूरे जापान को झकझोर दिया. इसके बाद सरकार ने 2018 में Workstyle Reform Act पास किया, जिसमें कहा गया कि कोई भी कर्मचारी एक महीने में 45 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम नहीं करेगा.
1969 से शुरू हुई कहानी
‘करोशी’ शब्द की शुरुआत 1969 में हुई थी. उस साल एक 29 वर्षीय व्यक्ति जापान के सबसे बड़े अखबार के डिलीवरी विभाग में काम करते हुए स्ट्रोक से मर गया. उसकी मौत लंबे घंटों तक लगातार काम करने की वजह से हुई थी. यह ‘ओवरवर्क से मौत’ का पहला दर्ज मामला था. तब से लेकर आज तक जापान में सैकड़ों लोग ऐसे ही अपनी जान गंवा चुके हैं.
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