Jaish-e-Mohammed Covert Women’s Brigade: पाकिस्तानी आतंकी संगठन हर समय एक नई रणनीति के साथ सामने आते हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश ए मोहम्मद पूरी तरह बौखलाया हुआ है. भारत की साहसिक कार्रवाई ने जैश ए मोहम्मद के कई कैपों को तबाह कर दिया. मिसाइल हमलों के डर ने उसे अपने आतंकी कैपों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से हटाने के लिए मजबूर कर दिया है. आतंक के रास्ते पर चल रहे इस पाकिस्तानी संगठन ने अब एक नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. जैश-ए-मोहम्मद अपने महिला विंग को अब इनफॉर्मेशन वॉरफेयर (सूचना युद्ध) के लिए रणनीतिक रूप से तैयार कर रहा है, जहां उन्हें ऑनलाइन दावत (मजहबी प्रचार) और भ्रामक सूचना अभियानों में इस्तेमाल किया जाएगा, साथ ही वे संगठन के लिए फंडिंग चैनलों के संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
सीएनएन न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसान शीर्ष खुफिया सूत्रों ने बताया है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) एक महिला ब्रिगेड तैयार करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है. यह जमात-अल-मुमिनात (कम्युनिटी ऑफ बिलीविंग वीमेन’ यानी अल्लाह में विश्वास करने वाली महिलाओं की समुदाय) नामक इस्लामी सुधार और मजहबी कार्यक्रम के रूप में संचालित होगी. सूत्रों के अनुसार, यह नई महिला संगठन इकाई जैश की विकसित होती रणनीति का एक अहम हिस्सा होगी, जिसका उद्देश्य मनोवैज्ञानिक युद्ध और ग्राउंड लेवल पर भर्ती अभियान को बढ़ावा देना है. इसमें एन्क्रिप्टेड ऑनलाइन नेटवर्क्स के माध्यम से निशाना बनाकर विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में महिलाओं को इनमें भर्ती किया जाएगा.
शिक्षित और शहरी मुस्लिम महिलाओं को करेगा आकर्षित
सूत्रों के मुताबिक, इस अभियान को इस्लामी आस्था के आवरण में बारीकी से पेश किया जा रहा है. जैश द्वारा जारी एक सर्कुलर (परिपत्र) में मक्का-मदीना की पवित्र स्थलों की तस्वीर और कुरान की आयतों का हवाला देकर संगठन के नैरेटिव को डिवाइन वैधता (दैवीय वैधता) देने की कोशिश की गई है. इस तरह का सूक्ष्म प्रचार प्रोपेगेंडा मजहबी स्वर और नैतिक शुद्धिकरण की थीम पर आधारित है. इसका लक्ष्य शिक्षित, शहरी मुस्लिम महिलाओं को आकर्षित करना है. यह शुरुआती स्पिरीचुअल ब्रेनवॉशिंग चरण योजनाबद्ध तरीके से आगे चलकर उन्हें राजनीतिक और जिहादी विचारधारा की ओर मोड़ने के लिए बनाई गई रणनीति का हिस्सा है.
पाकिस्तानी प्रकाशनों जैसा है कंटेंट
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महिला भर्ती सामग्री का कंटेंट स्टाइल, लेआउट और धार्मिक भाषा पाकिस्तान स्थित अल-मुहाजिरात (जैश ए मोहम्मद की आधिकारिक महिला शाखा) और मरकज उस्मान-ओ-अली (बहावलपुर) से जुड़े प्रकाशनों से काफी हद तक मेल खाता है. इस शैलीगत समानता और प्रकाशन पते के संकेत यह पुष्टि करते हैं कि यह पाकिस्तानी प्रचार कार्यक्रम है.
सेल आधारित ढांचा कर रहा तैयार
रिपोर्ट के अनुसार, जैश की आपसी बातचीत में जमात अल-मुमिनात का बार-बार उल्लेख इस बात की ओर संकेत करता है कि यह एक सेल-आधारित ढांचा अपना रही है, जो जैश की पारंपरिक परिचालन संरचना से मेल खाता है. इस मॉडल में, महिलाओं के इन समूहों को भर्ती करने वाले, संदेश पहुंचाने वाले और फंडरेजर (पैसे इकट्ठा करने वाले) के रूप में तैयार किया जा रहा है, ताकि वे पुरुष सदस्यों को सीधे जोखिम में आए बिना सहयोग दे सकें. यह महिला-आधारित अभियान जैश की पोस्ट-2024 रणनीति के अनुरूप है, जिसमें वह सोशल मीडिया और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत तथा कश्मीर के मदरसा नेटवर्क के जरिये गुप्त प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
मरकज स्तर पर होगी बैठक
समूह के पम्फलेट में स्पिरिचुअल दायित्व और सामूहिक मजहबी कर्तव्य जैसे शब्दों पर जोर दिया गया है, जो पहले महिला जिहाद अभियानों में इस्तेमाल किए गए तर्कों की याद दिलाते हैं. इनका उपयोग वैश्विक आतंकी संगठनों ने महिलाओं को लॉजिस्टिक या साइबर भूमिकाओं में शामिल करने के लिए किया था. इसके अलावा, रबी-उल-थानी की 13 तारीख (8 अक्टूबर 2025) जैसे विशिष्ट तिथियों के उल्लेख से संकेत मिलता है कि मरकज स्तर पर बैठकों की योजना बनाई जा रही है. सूत्रों के अनुसार, ये धार्मिक समारोह और जमावड़े दरअसल हवाला या चंदा-आधारित फंडिंग चैनलों के लिए एक आवरण हैं, जिन्हें इस्लाह-ए-उम्मा (समाज सुधार) के नाम पर धार्मिक एनजीओ और मदरसा नेटवर्क के माध्यम से गुप्त रूप से संचालित किया जा रहा है.
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