Internet on Moon: चांद में संचार क्रांति होने वाली है. बहुत जल्द चांद पर मोबाइल से बातें हो पाएंगी. सुनने में भले ही यह थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन ऐसा वाकई में होने वाला है! चांद पर भी मोबाइल के लिए मिशन शुरू हो गया है. नासा ने अपना एक यान एथेना लॉन्च किया है. यान को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया है. उम्मीद की जा रही है कि यह यान छह मार्च को चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा. यह मिशन नासा के आर्टेमिस और कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज कार्यक्रम और इन्ट्यूशिव मशीन्स के आईएम-2 अभियान का हिस्सा है, जो भविष्य में मंगल मिशनों के लिए आधार तैयार करेगा.
कई वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है एथेना
एथेना कई वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है. जो चंद्रमा की जमीन का अध्ययन करेंगे. कई और जरूरी परीक्षण के लिए इसमें उपकरण लगे हैं. एथेना मिशन का मकसद संसाधनों का पता लगाना है. यह लैंडर ड्रिल और स्पेक्ट्रोमीटर जैसे उपकरणों से चंद्रमा की मिट्टी में मौजूद गैसों और बर्फ का पता लगाएगा. सबसे बड़ी बात कि यह प्रयोग खासतौर पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित मॉन्स पहाड़ी इलाकों में किया जाएगा. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां पानी बर्फ के रूप में मौजूद है. ऐसे में भविष्य में चंद्रमा पर कॉलोनी बसाने की योजना को मजबूती मिलेगी. साथ ही मंगल पर मिशन भेजने में आसानी होगी.
चांद पर कैसे काम करेगा मोबाइल नेटवर्क?
नोकिया ने चांद के लिए खास तौर पर Lunar Surface Communication System (LSCS) नाम से सिस्टम विकसित किया है. इसकी मदद से चांद पर हाई क्वालिटी की वीडियो स्ट्रीमिंग, कमांड-एंड-कंट्रोल कम्युनिकेशन और डेटा ट्रांसफर हो सकेगा. नासा ने मिशन को लेकर कहा है कि यह नेटवर्क अंतरिक्ष के बेहद कठिन हालात, रेडिएशन और चरम तापमान को भी झेल सकता है.
नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम में मिलेगी मदद
नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम में जुटा हुआ है. नासा साल 2028 तक इंसानों को फिर से चंद्रमा पर भेजने के मिशन पर काम कर रहा है. एथेना मिशन के इस नेटवर्क से आर्टेमिस प्रोग्राम को काफी मदद मिलने की संभावना जताई जा रही है. नोकिया की ओर से भी कहा गया है कि चंद्रमा पर मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवा स्थापित का मकसद भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों और उनकी खोजों को और सुलभ बनाना है. इसके अलावा चांद पर कमर्शियल गतिविधियों को बढ़ावा देना भी शामिल है. इस अभियान के जरिए चांद के वातावरण के बारे में सटीक जानकारी हासिल करना है. इस मिशन के जरिए यह भी पता लगाया जाएगा कि भविष्य में चांद पर इंसान बस सकते हैं या नहीं.
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