India Issue Travel Advisory: नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में सोमवार को हिंसक प्रदर्शन हुए, जब सरकार ने 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिबंध लगाया. भारत का विदेश मंत्रालय (MEA) इस स्थिति की “नजदीकी निगरानी” कर रहा है और कई युवाओं की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की है. मंत्रालय ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की. “हम एक करीबी मित्र और पड़ोसी के रूप में आशा करते हैं कि सभी पक्ष संयम का परिचय देंगे और मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएँगे,” MEA ने कहा.
India Issue Travel Advisory: हिंसक प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई
नेपाल में हाल के वर्षों के सबसे हिंसक युवा-नेतृत्व वाले प्रदर्शन काठमांडू में तब भड़क उठे, जब पुलिस ने संसद परिसर की ओर बढ़ने वाले प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई. नेपाल पुलिस के अनुसार, काठमांडू में झड़पों में 17 लोगों की मौत हुई और पूर्वी जिले सुनसरी में दो और लोगों की जान गई. अस्पतालों में घायलों की संख्या 300 से अधिक दर्ज की गई, जिनमें कई गंभीर अवस्था में हैं.
MEA says, "We are closely monitoring the developments in Nepal since yesterday and are deeply saddened by the loss of many young lives. Our thoughts and prayers are with families of deceased. We also wish speedy recovery for those who were injured. As a close friend and… pic.twitter.com/uZE20vvLpt
— ANI (@ANI) September 9, 2025
राष्ट्रीय ट्रॉमा सेंटर, एवरेस्ट हॉस्पिटल, सिविल हॉस्पिटल और काठमांडू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बताया कि वार्ड भरे हुए हैं और बेड की कमी के कारण मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देशभर में कम से कम 347 लोग इलाजरत हैं. साक्षियों के अनुसार, पुलिस ने पहले वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, फिर रबर की गोलियां चलाईं और अंत में जब कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर की बैरिकेड तोड़ने लगे, तो जीवित गोलियां भी चलाई गईं.
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गृह मंत्री ने लिया जिम्मेदारी, दिया इस्तीफा
हिंसक घटनाओं के बाद गृह मंत्री रमेश लेखाक ने “मौतों की नैतिक जिम्मेदारी” लेते हुए इस्तीफा दे दिया. नेपाली कांग्रेस के नेता लेखाक ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास पर कैबिनेट बैठक के दौरान अपना इस्तीफा सौंपा. अब कृषि और स्वास्थ्य मंत्री का का भी इस्तीफा आ गया है.
इस बीच, ओली सरकार ने संसद और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों के आसपास संवेदनशील क्षेत्रों में नेपाली सेना को तैनात किया. काठमांडू में रातभर सैनिक और आर्मर्ड वाहन गश्त करते नजर आए, जबकि राजधानी और पोखरा, बुटवल, ईटहरी और ललितपुर में कर्फ्यू लगाया गया. प्रमुख जिला अधिकारी छबी लाल रिजाल ने प्रतिबंधित क्षेत्रों में किसी भी आंदोलन, सभा या धरने पर रोक लगाने का नोटिस जारी किया.
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सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस लिया गया
संचार एवं सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कहा कि कैबिनेट ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे विवादित प्रतिबंध को वापस लेने का निर्णय लिया है. मंत्री ने बताया कि सरकार ने युवाओं की भावनाओं का ध्यान रखा और संबंधित एजेंसियों को प्लेटफॉर्म्स की एक्सेस बहाल करने का निर्देश दिया.
प्रधानमंत्री ओली ने टेलीविजन संबोधन में कहा कि “सरकार का उद्देश्य स्वतंत्र अभिव्यक्ति को रोकना नहीं था, बल्कि इन कंपनियों को विनियम के अंतर्गत लाना था. दुर्भाग्यवश, शांतिपूर्ण प्रदर्शन में अवांछित तत्व शामिल हो गए और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी.” उन्होंने झड़पों की परिस्थितियों की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने की भी घोषणा की, जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
‘जेन जेड’ के तहत किया गया आंदोलन
प्रदर्शन मुख्य रूप से स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा ‘जेन जेड’ आंदोलन के तहत किया गया. उनका मानना था कि सोशल मीडिया प्रतिबंध लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है. प्रदर्शनकारियों ने पोस्टर और नारे लगाए, जिसमें सरकार पर विरोधी आवाज़ दबाने का आरोप लगाया गया. ऑनलाइन अभियान “Nepo Kid” ने भी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों के बच्चों की कथित विशेष सुविधाओं और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया गया. कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार का प्रतिबंध ऐसे ऑनलाइन आंदोलनों को दबाने की कोशिश थी.
सरकार पर बढ़ता दबाव, जनता में रोष
हिंसक झड़पों ने प्रधानमंत्री ओली की सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सोशल मीडिया प्रतिबंध की वापसी अस्थायी रूप से तनाव को कम कर सकती है, लेकिन 19 लोगों की मौत जनता में गहरा रोष पैदा करेगी. फिलहाल, कैबिनेट द्वारा प्रतिबंध वापस लेना और गृह मंत्री का इस्तीफा संकट को शांत करने की कोशिश मानी जा रही है. हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि ओली प्रशासन उस पीढ़ी का विश्वास कैसे वापस हासिल करेगा, जो सोशल मीडिया को अपनी पहचान, आजीविका और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए केंद्रीय मानती है.

