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दुनिया के 5 देश कर सकते हैं पूरी धरती को मिसाइल से तबाह, भारत इस रेस में आगे या पीछे ?

Global Strike Capability: दुनिया में सिर्फ 5 देश ऐसे हैं जो धरती के किसी भी हिस्से में मिसाइल हमला कर सकते हैं. जानिए रूस, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस की ताकत और भारत कहां खड़ा है इस रेस में.

Global Strike Capability: मौजूदा भू-राजनीतिक हालात में मिसाइल तकनीक देशों की ताकत और सुरक्षा का अहम पैमाना बन चुकी है. दुनिया में कुछ ही देश ऐसे हैं जिनके पास इतनी लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें हैं कि वे धरती के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकें. भारत फिलहाल इस विशेष क्लब का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसकी मिसाइल क्षमता लगातार बढ़ रही है और वह एशिया में मजबूत क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभर रहा है.

Global Strike Capability Top 5 Countries in Hindi: कौन हैं ‘ग्लोबल स्ट्राइक’ करने वाले देश?

आज की तारीख में केवल रूस, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ‘ग्लोबल स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ है. इसका मतलब है कि ये देश जमीन, हवा और समुद्र से मिसाइल दागकर दुनिया के किसी भी कोने को निशाना बना सकते हैं.

रूस के पास RS-28 Sarmat ICBM है, जिसकी रेंज 18,000 किलोमीटर है. इसके अलावा, Burevestnik न्यूक्लियर-पावर्ड क्रूज मिसाइल के बारे में दावा किया जाता है कि इसकी रेंज असीमित है. अमेरिका के पास Minuteman III ICBM (13,000+ किमी रेंज) और न्यूक्लियर सबमरीन से लॉन्च होने वाली मिसाइलें हैं, जिनकी वजह से वह कहीं से भी हमला करने में सक्षम है.

चीन DF-41 ICBM से लैस है, जिसकी रेंज 12,000 से 15,000 किलोमीटर के बीच है और यह लगभग पूरी दुनिया को टारगेट कर सकता है. ब्रिटेन Trident II मिसाइल सिस्टम (12,000 किमी रेंज) का इस्तेमाल करता है, जो न्यूक्लियर सबमरीन पर तैनात है. वहीं फ्रांस के पास M51 सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 10,000 किलोमीटर से अधिक है और यह उसे ग्लोबल स्ट्राइक क्षमता प्रदान करती है.

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भारत की स्थिति

भारत इस सूची में सातवें स्थान पर है. फिलहाल उसके पास ग्लोबल स्ट्राइक क्षमता नहीं है, लेकिन वह एशिया के अधिकांश हिस्सों को कवर करने में सक्षम है. अग्नि-V मिसाइल की रेंज 5,500 से 6,000 किलोमीटर है, जो चीन के अधिकांश क्षेत्रों को निशाना बना सकती है. वहीं, विकासाधीन अग्नि-VI की रेंज रिपोर्ट्स के मुताबिक 8,000 से 10,000 किलोमीटर तक हो सकती है, जिससे भारत की मारक क्षमता और बढ़ जाएगी. इसके अलावा, परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत भारत को सेकंड स्ट्राइक क्षमता प्रदान करती है, जिससे भविष्य में उसकी रणनीतिक ताकत कई गुना बढ़ने की संभावना है.

उत्तर कोरिया और पाकिस्तान कहां खड़े हैं?

उत्तर कोरिया के पास Hwasong-17 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, जो अमेरिका के कुछ हिस्सों तक पहुंच सकती हैं, लेकिन उसके पास न्यूक्लियर सबमरीन से लॉन्च करने की क्षमता नहीं है. पाकिस्तान की मिसाइल रेंज सिर्फ भारत और आसपास के क्षेत्रों तक सीमित है.

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क्यों अहम है ग्लोबल स्ट्राइक कैपेबिलिटी?

ग्लोबल स्ट्राइक का मतलब सिर्फ लंबी दूरी की मिसाइल नहीं है, बल्कि न्यूक्लियर ट्रायड यानी जमीन, हवा और समुद्र तीनों जगह से हमला करने की क्षमता होना है. इसके साथ ही गुप्त तैनाती और MIRV तकनीक (एक मिसाइल से कई वारहेड दागने की क्षमता) इस ताकत को और बढ़ा देती है. भारत भले ही अभी इस चुनिंदा क्लब में शामिल न हो, लेकिन उसकी बढ़ती मिसाइल रेंज, नई तकनीक और परमाणु पनडुब्बियों का विकास आने वाले वर्षों में उसे ‘ग्लोबल स्ट्राइक’ की दौड़ में काफी आगे ले जाएगा.

Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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