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फ्रांसीसी सैनिकों ने काटा था राजा का सिर, अब फ्रांस ने लौटाईं 3 खोपड़ियां; 1897 की क्रूरता का हुआ अंत!

France Returns King Toera Skull Madagascar: 128 साल बाद फ्रांस ने मेडागास्कर के राजा तोएरा और उनके सेनानियों की खोपड़ियां लौटाई. 1897 के अम्बिकी नरसंहार की दर्दनाक यादें अब मिटेंगी. जानें कैसे उपनिवेशवाद की बर्बरता ने द्वीप को झकझोर दिया और यह ऐतिहासिक वापसी मेडागास्कर की सांस्कृतिक गरिमा बहाल कर रही है.

France Returns King Toera Skull Madagascar: हिंद महासागर में बसे मेडागास्कर द्वीप का औपनिवेशिक इतिहास गहरे जख्मों से भरा हुआ है. अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित यह देश जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, लेकिन 19वीं सदी के अंत में फ्रांस की औपनिवेशिक महत्वाकांक्षा ने यहां की सत्ता, समाज और अस्मिता को झकझोर दिया. इस दौर की सबसे भयावह घटनाओं में से एक थी, राजा तोएरा की हत्या और उनकी खोपड़ी को युद्ध-ट्रॉफी के रूप में फ्रांस ले जाना. अब 128 साल बाद फ्रांस ने यह ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राजा और उनके सेनानियों की खोपड़ियां मेडागास्कर को लौटा दी हैं.

France Returns King Toera Skull Madagascar in Hindi: 1897 का खूनी अध्याय

19वीं सदी की शुरुआत में मेडागास्कर पर मेरिना साम्राज्य का नियंत्रण था. राजा रदामा I ने ब्रिटिशों से दोस्ती की और ईसाई धर्म का प्रसार किया. उनकी विधवा रानी रानावालोना I ने विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया, लेकिन उनके निधन के बाद यूरोपीय प्रभाव बढ़ता गया. 1895 में फ्रांसीसी सेना ने राजधानी तानानारिवो पर कब्जा कर लिया और रानी को संधि पर हस्ताक्षर के लिए मजबूर किया. जनरल जोसेफ गैलिएनी ने रानी रानावालोना III को गद्दी से हटाकर 1897 में मेडागास्कर को आधिकारिक रूप से उपनिवेश घोषित कर दिया.

अम्बिकी नरसंहार और राजा तोएरा की शहादत

मेनाबे क्षेत्र में सकालावा समुदाय के नेता राजा तोएरा ने विदेशी शासन का विरोध किया. अगस्त 1897 में फ्रांसीसी सैनिकों ने अम्बिकी गांव पर धावा बोला. अफ्रीकी पोर्टल टॉक अफ्रीकाना के अनुसार, बातचीत और आत्मसमर्पण की इच्छा जताने के बावजूद फ्रांसीसी सैनिकों ने राजा और उनके लोगों पर क्रूर हमला किया. 29-30 अगस्त की रात को हुए इस नरसंहार में लगभग 2,500 लोग मारे गये. राजा तोएरा और कई स्थानीय नेता भी इसमें शहीद हुए. साम्राज्यवादी उन्माद में डूबे सैनिकों ने राजा का सिर काटकर विजय-प्रतीक की तरह पेरिस भेज दिया.

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‘खुले घाव’ बनीं खोपड़ियां (France Returns King Toera Skull Madagascar 128 Years)

ये खोपड़ियां 128 साल तक पेरिस के नेशनल म्यूजियम ऑफ नैचुरल हिस्ट्री में संरक्षित रहीं. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस की संस्कृति मंत्री रशीदा दाती ने स्वीकार किया कि ये अवशेष “मानवीय गरिमा का उल्लंघन और औपनिवेशिक हिंसा का प्रतीक” थे.मेडागास्कर की संस्कृति मंत्री वोलामिरांती डोना मारा ने इन्हें वापस मिलने को ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा, “ये हमारे द्वीप के हृदय में एक खुले घाव जैसी थीं. अब यह वापसी दिल के घाव पर मरहम लगाने जैसी है.”

ऐतिहासिक वापसी और अंतिम विदाई

फ्रांस के संस्कृति मंत्रालय में आयोजित आधिकारिक समारोह में तीनों खोपड़ियां मेडागास्कर को सौंप दी गयीं. माना जाता है कि इनमें से एक खोपड़ी राजा तोएरा की है. एक संयुक्त वैज्ञानिक समिति ने पुष्टि की कि ये अवशेष सकालावा समुदाय से जुड़े हैं. अब इन खोपड़ियों को मेडागास्कर में प्रदर्शित किया जाएगा और 30 अगस्त को बोरा क्षेत्र में स्थानीय परंपराओं के अनुसार दफनाया जाएगा.

अप्रैल 2025 में मेडागास्कर यात्रा के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने औपनिवेशिक हिंसा के लिए क्षमा मांगी थी. यह वापसी उसी वादे की कड़ी है. दरअसल, 2017 में फ्रांस ने ऐलान किया था कि अफ्रीका से ले जाये गये सांस्कृतिक धरोहर और मानव अवशेष वापस किये जाएंगे. ब्रिटेन सहित अन्य उपनिवेशवादी देशों में भी यह बहस तेज हो रही है.

मेडागास्कर की गरिमा की बहाली

राजा तोएरा और उनके सेनानियों की खोपड़ियां सिर्फ अवशेष नहीं, बल्कि उपनिवेशवाद की बर्बरता की गवाही हैं. अब जब इन्हें 128 साल बाद मातृभूमि लौटाया गया है, तो यह कदम मेडागास्कर की सांस्कृतिक गरिमा बहाल करने और औपनिवेशिक जख्म भरने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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