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अमेरिका के कोलोराडो स्थित नाइट क्लब में फायरिंग, 5 लोगों की मौत, 18 घायल

अमेरिका के कोलोराडो स्थित एक नाइट क्लब में हुई गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई. बीते कुछ समय में अमेरिकी में इस तरह के हमले में काफी इजाफा हुआ है. अक्टूबर महीने में मेक्सिको शहर के मैक्सिकन सिटी हॉल में इसी तरह अंधाधुंध फायरिंग में मेयर समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी.

Firing in America:अमेरिकी में सार्वजनिक जगहों या भीड़ भाड़ वाले इलाकों में गोली चला देना आम बात हो गयी है. ताजा मामला अमेरिका के कोलोराडो का है, जहां एक नाइट क्लब में हुआ गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई, 18 से ज्यादा लोग घायल हो गये. वहीं, घटना के बाद पुलिस ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है. वहीं, हमले में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचा दिया गया है.

हिरासत में संदिग्ध: वहीं, घटना के बाद मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. एक संदिग्ध को भी हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है. बता दें, कोलोराडो के जिस क्लब में गोलीबारी हुई हुई उसे गे क्लब बताया जा रहा है. वहीं, गोलीबारी किस तरह के हथियार से की गई है अभी इसकी जानकारी नहीं दी गई है. हमला क्यों किया गया इसकी भी जानकारी नहीं मिली है.

बढ़ रही हैं अमेरिका में गोलीबारी की घटनाएं: गौरतलब है कि बीते कुछ समय में अमेरिकी में बंदूकधारी के हमले की वारदातों में काफी इजाफा हुआ है. अक्टूबर महीने में अमेरिका के मेक्सिको शहर के मैक्सिकन सिटी हॉल में इसी तरह अंधाधुंध फायरिंग में मेयर समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी. दरअसल, मैक्सिकन सिटी हॉल में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था. इसी दौरान एक अनजान व्यक्ति ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि गोलीबारी में 10 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था.

लोगों की जा रही है जान: इससे पहले मई महीने में अमेरिका के टेक्सास में 18 साल के एक युवक ने स्कूल में घुसकर 19 बच्चों समेत 23 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके अलावा इसी साल जनवरी से लेकर अक्टूबर महीने में की और बंदूकधारी कातिलों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कितने ही लोगों की जान ले ली. दरअसल, अमेरिका में बंदूक रखने की आजादी के कारण कोई भी तरह का हथियार रख सकता है.

अमेरिका में गन कल्चर: दरअसल, अमेरिका का संविधान अपने सभी नागरिकों को बंदूक रखने का अधिकार देता है. यहीं से अमेरिका के गन कल्चर की शुरुआत होती है. इस के चलते अमेरिका के दुकानों में बंदूक उतनी ही आसानी से मिल जाती है, जितनी आसानी से भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल फोन मिलते हैं. अपने गन कल्चर के कारण ही बीते 50 सालों में अमेरिका में लाखों लोग बंदूक से होने वाली हिंसा के शिकार हुए हैं. और यह अनवरत अभी भी जारी है.

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Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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