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ट्रंप के आदेश से छिन गई भारतीय महिला अफसर की नौकरी, जानें क्या है उनका नाम?

Donald Trump Order: डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद NASA ने भारतीय मूल की अफसर को पद से हटा दिया. वे डाइवर्सिटी विभाग की प्रमुख थीं. आदेश के तहत ऐसे सभी प्रोग्राम बंद कर दिए गए. NASA की कोशिशों के बावजूद उन्हें अंततः बाहर का रास्ता दिखाया गया.

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Donald Trump Order: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भारतीय मूल की नीला राजेंद्र को उनके पद से हटा दिया है. वे NASA में डायवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन (DEI) की प्रमुख थीं. यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जारी किए गए कार्यकारी आदेश के तहत लिया गया, जिसमें सभी संघीय एजेंसियों को डाइवर्सिटी से जुड़े कार्यक्रमों को समाप्त करने और ऐसी नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्देश दिया गया है.

नीला राजेंद्र को बचाने के लिए NASA ने पहले भी कई प्रयास किए थे. मार्च में जब NASA ने अपने डाइवर्सिटी विभाग को पूरी तरह से बंद कर दिया था, तब भी उन्हें हटाया नहीं गया. इसके बजाय उनकी पदवी बदलकर “हेड ऑफ ऑफिस ऑफ टीम एक्सीलेंस एंड इंप्लॉई सक्सेस” कर दी गई थी, ताकि वह अपनी जिम्मेदारियों को किसी और नाम से निभा सकें. हालांकि, उनकी भूमिका और कामकाज पहले की तरह ही चलता रहा.

आखिरकार, अप्रैल में ट्रंप प्रशासन की सख्त नीति के चलते NASA को उन्हें भी पद से हटाना पड़ा. इस फैसले की जानकारी NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) की निदेशक लॉरी लेशिन ने एक ईमेल के जरिए कर्मचारियों को दी. उन्होंने लिखा, “नीला राजेंद्र अब JPL का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने यहां जो योगदान दिया है, उसके लिए हम उनके आभारी हैं. हम उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं.”

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पिछले वर्ष NASA ने अपने बजट में कटौती के चलते DEI विभाग के लगभग 900 कर्मचारियों को हटाया था, लेकिन उस समय नीला राजेंद्र को बचा लिया गया था. परंतु ट्रंप के नए आदेश के बाद यह संभव नहीं हो सका. नीला राजेंद्र कई वर्षों से NASA में अहम भूमिका निभा रही थीं. उन्होंने ‘स्पेस वर्कफोर्स 2030’ जैसे अभियानों का नेतृत्व किया, जिनका मकसद महिलाओं और समाज के अल्पसंख्यक वर्गों की अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ाना था.

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डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश में कहा गया है कि डाइवर्सिटी और समानता के नाम पर चलाए जा रहे कार्यक्रमों ने अमेरिका को जाति, रंग और लिंग के आधार पर बांटने का काम किया है. ये योजनाएं न केवल करदाताओं के पैसों की बर्बादी हैं, बल्कि यह भेदभाव को भी बढ़ावा देती हैं. इस आदेश के बाद अमेरिका की अन्य कई संघीय एजेंसियों ने भी अपने डाइवर्सिटी कार्यक्रमों को बंद कर दिया है. इस घटनाक्रम से साफ है कि अमेरिका में डाइवर्सिटी से जुड़े कार्यक्रम अब राजनीति और नीति दोनों के निशाने पर हैं, और इसका असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो वर्षों से इन क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश कर रहे थे.

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