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ये देश अपने ही नेशनल एनिमल को बड़े चाव से खाते हैं, एक मुस्लिम कंट्री भी है शामिल

Countries That Eat Their National Animals: जाने उन देशों के बारे में, जहां लोग अपने राष्ट्रीय पशु या पक्षी को खाने की परंपरा निभाते हैं. एल्क, कंगारू, हंस, बाइसन और ऊंट जैसे प्रतीक जानवर थाली तक कैसे पहुंचते हैं और इन्हें कौन-कौन से व्यंजनों में खाया जाता है. यह जानकर आप चौंक जाएंगे.

Countries That Eat Their National Animals: हम सबने बचपन से यही सीखा है कि राष्ट्रीय पशु या पक्षी किसी भी देश की पहचान और गौरव होते हैं. वे सिर्फ प्रकृति का हिस्सा नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा के प्रतीक भी होते हैं. भारत में जैसे बाघ को राष्ट्रीय पशु और मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया है, वैसे ही दुनिया के अलग-अलग देशों में भी ऐसे प्रतीक मौजूद हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई देश अपने ही राष्ट्रीय प्रतीक को खाने लगे तो? यह सुनकर अजीब लगता है, लेकिन यह सच है.

दुनिया के कई देशों में लोग अपने राष्ट्रीय पशु या पक्षी का मांस खाते हैं और इसे वहां परंपरा या आम खानपान का हिस्सा माना जाता है. कहीं पर यह शिकार की संस्कृति का हिस्सा है तो कहीं इसे स्वाद और पोषण का विकल्प समझकर खाया जाता है. आइए जानते हैं 5 ऐसे देशों के बारे में, जहां राष्ट्रीय पशु या पक्षी न सिर्फ पहचान हैं बल्कि लोगों की थाली का हिस्सा भी बनते हैं.

स्वीडन – एल्क (मूस)

स्वीडन का राष्ट्रीय पशु एल्क है, जिसे उत्तरी अमेरिका में मूस (Moose) कहा जाता है. यहां एल्क का मांस हर रोज़ तो नहीं खाया जाता, लेकिन शिकारी समुदाय के लोग इसे नियमित रूप से अपनी डाइट में शामिल करते हैं. एल्क का मांस प्रोटीन से भरपूर होता है और इसे मीटबॉल, रोस्ट और स्ट्यू जैसे व्यंजनों में पकाया जाता है. खास बात यह है कि इसे पारंपरिक स्वीडिश मीटबॉल में भी डाला जाता है, जो वहां की मशहूर डिश है.

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ऑस्ट्रेलिया – कंगारू

कंगारू ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु है और वहां के राष्ट्रीय प्रतीक (Coat of Arms) पर भी दर्ज है. यह जानवर पूरे देश में बड़े पैमाने पर पाया जाता है. लंबे समय तक ऑस्ट्रेलियाई लोग कंगारू का मांस खाने से हिचकते रहे, लेकिन धीरे-धीरे नजरिया बदला. आज कंगारू का मांस पर्यावरण के लिहाज से बीफ और पोर्क की तुलना में बेहतर विकल्प माना जाता है. इसे लोग स्टेक, कबाब, सॉसेज और मीटबॉल के रूप में खाते हैं.

डेनमार्क – हंस (Swan)

डेनमार्क का राष्ट्रीय पक्षी म्यूट स्वान (Mute Swan) है. यह सुंदर और राजसी पक्षी वहां के शाही इतिहास का हिस्सा भी है. पुराने समय में डेनमार्क के राजदरबारों में भुना हुआ हंस एक खास व्यंजन माना जाता था. आज भी वहां कुछ लोग इस परंपरा को निभाते हैं. यह पक्षी अपनी सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है, लेकिन डेनमार्क में यह थाली तक भी पहुंचता है.

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अमेरिका – बाइसन (भैंसा)

अमेरिका का आधिकारिक राष्ट्रीय पक्षी बॉल्ड ईगल है, लेकिन साल 2016 में बाइसन को राष्ट्रीय स्तनपायी घोषित किया गया. कभी यह प्रजाति शिकार के चलते लगभग विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई थी, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ चुकी है. अमेरिका में लोग बाइसन का मांस बड़े चाव से खाते हैं. बाइसन बर्गर वहां की लोकप्रिय डिश है. इन जानवरों को खुले मैदानों में चराया जाता है और बाद में मांस के लिए तैयार किया जाता है.

Countries That Eat Their National Animals in Hindi: सऊदी अरब – ऊंट

सऊदी अरब में ऊंट सिर्फ परिवहन या रेगिस्तान की पहचान नहीं बल्कि पारंपरिक खानपान का अहम हिस्सा भी रहा है. यहां शादी-ब्याह और दावतों में ऊंट का मांस परोसा जाता था. हालांकि, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) वायरस फैलने के बाद ऊंट का सेवन काफी हद तक कम हो गया है. माना जाता है कि यह वायरस ऊंट से इंसानों तक फैला था. इसके बावजूद, लंबे समय तक यह मांस वहां की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा रहा है.

राष्ट्रीय प्रतीक किसी भी देश की शान होते हैं, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में यही प्रतीक थाली तक पहुंच जाते हैं. स्वीडन में एल्क, ऑस्ट्रेलिया में कंगारू, डेनमार्क में हंस, अमेरिका में बाइसन और सऊदी अरब में ऊंट इन सभी को लोग अलग-अलग रूपों में खाते आए हैं. यह जानकारी वर्ल्ड एटलस से ली गई है. जानकर भले ही हैरानी होती हो, लेकिन यह उनकी संस्कृति और खानपान का हिस्सा है.

Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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