Chinese spy in Britain: समय का हेरफेर और दो जासूसों पर केस खारिज हो गया. ब्रिटेन में दो व्यक्तियों पर चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में लंदन में इस हफ्ते से मुकदमे की सुनवाई शुरू होने वाली थी, लेकिन सरकारी अभियोजकों ने पिछले महीने अचानक यह मामला वापस ले लिया. विवाद का केंद्र ब्रिटेन के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) में enemy यानी शत्रु शब्द की व्याख्या पर था. बुल्गारियाई प्रतिवादियों के वकीलों का तर्क था कि यह शब्द केवल ऐसे देशों पर लागू होना चाहिए जो ब्रिटेन के साथ युद्ध में हों या निकट भविष्य में युद्ध की संभावना हो. यह फैसला उस समय आया जब रूस के लिए जासूसी के आरोप में बुल्गारिया के एक समूह से संबंधित एक अलग कानूनी विवाद चल रहा है.
कोर्ट ऑफ अपील (Court of Appeal) ने अपने फैसले में कहा कि शत्रु राष्ट्र वह भी हो सकता है जो ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वर्तमान खतरा उत्पन्न करता हो जैसे रूस. अदालत ने यह भी जोड़ा कि मित्र राष्ट्र इस परिभाषा से बाहर होंगे. इस नई कानूनी व्याख्या ने चीन से जुड़े मामले में अभियोजकों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी. उन्हें यह साबित करना पड़ता कि जब इन दोनों व्यक्तियों पर जासूसी का आरोप लगाया गया था, उस समय चीन को ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता था. लेकिन दिसंबर 2021 से फरवरी 2023 के बीच की अवधि में तत्कालीन कंजरवेटिव सरकार ने चीन को शत्रु नहीं माना था. वर्ष 2021 में सरकार ने चीन को व्यवस्थित प्रतिस्पर्धी (systemic competitor) कहा था और 2023 में उसे युग-निर्धारक और संरचनात्मक चुनौती (epoch-defining and systemic challenge) के रूप में वर्गीकृत किया था.
अभियोजन पक्ष ने आवश्यक बयान प्राप्त करने की कोशिश की
ब्रिटेन के डायरेक्टर ऑफ पब्लिक प्रोसेक्यूशन स्टीफन पार्किंसन ने मंगलवार को सांसदों को लिखे एक पत्र में बताया कि अभियोजन पक्ष ने कई महीनों तक सरकार से आवश्यक बयान प्राप्त करने की कोशिश की, ताकि नई कानूनी शर्तों को पूरा किया जा सके. उन्होंने लिखा, “हालांकि कुछ गवाह बयान दिए गए, लेकिन उनमें से किसी ने यह नहीं कहा कि अपराध के समय चीन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा था. अगस्त 2025 के अंत तक यह स्पष्ट हो गया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिलेगा. जब यह स्पष्ट हो गया, तो मामला आगे नहीं बढ़ सकता था.”
स्टार्मर पर लगा चीन को खुश करने का आरोप
ऐलिसिया कर्न्स ने प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की सरकार पर बीजिंग को खुश करने के लिए जानबूझकर मुकदमे को कमजोर करने का आरोप लगाया. वहीं पूर्व अभियोजक और वर्तमान प्रधानमंत्री स्टार्मर ने कहा कि सरकार इस मामले के ध्वस्त हो जाने से निराश है, लेकिन उन्होंने इसे प्रक्रियात्मक कारण बताया. उन्होंने कहा, “आप दो साल बाद किसी को उस नामांकन (designation) के आधार पर अभियोजित नहीं कर सकते जो उस समय अस्तित्व में ही नहीं था.”
यदि सरकार यह बयान देती कि चीन अब मित्र राष्ट्र नहीं है, तो प्रतिवादी इसे अदालत में चुनौती दे सकते थे. हालांकि, राजनीतिक आलोचकों का कहना है कि सरकार फिर भी कोई ऐसा गवाही बयान दे सकती थी जिससे अभियोजन आगे बढ़ सकता. उनका दावा है कि ऐसा न करना बीजिंग के साथ व्यापारिक संबंधों की रक्षा के लिए एक सुविधाजनक बहाना था.
दोनों क्रिस्टोफर ने क्या किया था?
अप्रैल 2024 में, दो व्यक्तियों क्रिस्टोफर कैश और क्रिस्टोफर बेरी पर दिसंबर 2021 से फरवरी 2023 के बीच चीन को ऐसी जानकारी देने का आरोप लगाया गया था जो ब्रिटेन की सुरक्षा और हितों के लिए हानिकारक थी. क्रिस्टोफर कैश तब वरिष्ठ कंजरवेटिव सांसद ऐलिसिया कर्न्स के संसदीय शोधकर्ता थे और क्रिस्टोफर बेरी एक शिक्षक, हालांकि दोनों ने आरोपों से इनकार किया. इन पर ऑफशियल सीक्रेट एक्ट, 1911 के तहत आरोप लगाया गया था, जो किसी भी व्यक्ति को शत्रु के लिए उपयोगी जानकारी एकत्र करने या साझा करने को अपराध मानता है.
आगे नहीं होगी समस्या
हालांकि, इस कानून के तहत जो कानूनी उलझनें इस मामले में सामने आईं, वे भविष्य में नहीं आएंगी, क्योंकि ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट को अब राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) से बदल दिया गया है. यह नया कानून 2023 में लागू हुआ और यह किसी भी विदेशी शक्ति पर लागू होता है, न कि केवल शत्रु राष्ट्र पर. ब्रिटिश सरकार के राज्य-खतरा मामलों पर सलाहकार जोनाथन हॉल ने कहा कि नए कानून के तहत अब “जासूसी के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए जरूरी नहीं कि ब्रिटेन युद्ध में हो या युद्ध के खतरे में हो यहां तक कि यह साबित करने की भी आवश्यकता नहीं कि वह विदेशी शक्ति स्थायी खतरा है.”
मामले से चीन पड़ा मुश्किल में
साल 2015 में, कंजरवेटिव सरकार ने ब्रिटेन-चीन संबंधों को स्वर्णिम दशक कहा था लेकिन अब कोई भी मुख्यधारा का ब्रिटिश राजनेता ऐसा शब्द इस्तेमाल नहीं करेगा. यह मामला डाउनिंग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री कार्यालय) के लिए उस मुख्य दुविधा को दर्शाता है कि क्या ब्रिटेन चीन जैसी महाशक्ति के साथ अपने आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को भी सुरक्षित रख सकता है?
लेबर पार्टी ने 2024 के आम चुनाव से पहले अपने नीति एजेंडे में लिखा था, “हम जहां संभव हो, सहयोग करेंगे; जहां आवश्यकता हो, प्रतिस्पर्धा करेंगे; और जहां जरूरी हो, चुनौती देंगे.” चुनाव जीतने के बाद, सरकार ने चीन के साथ उन संबंधों को सुधारने की कोशिश की जो हाल के वर्षों में खराब हो गए थे आंशिक रूप से हांगकांग में चीन के दमनकारी कदमों और चीनी साइबर हमलों के आरोपों के कारण. पिछले नवंबर में कीर स्टार्मर छह साल से अधिक समय बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बने.
एमआई5 की चिंता बढ़ी
खैर, कानूनी मामले में जो भी हो, लेकिन ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ रही है. एमआई5 के महानिदेशक केन मैककॉलम ने अपने हालिया सार्वजनिक खतरा आकलन में राज्य-जनित खतरों के तहत चीन का नाम शामिल किया.
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