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China: पाकिस्तान-तालिबान के बीच उतरा चीन, लेकिन क्यों? भारत ने जताई कड़ी आपत्ति

China: चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा वार्ता तंत्र को और मजबूत करना होगा और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास तेज करने होंगे. हालांकि आधिकारिक बयान में किसी संगठन का नाम नहीं लिया गया,

China: पाकिस्तान और तालिबान के बीच लंबे समय से जारी तनाव के बावजूद चीन अब मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. इसी सिलसिले में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने काबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया. बैठक का मकसद सुरक्षा सहयोग, आतंकवाद-रोधी उपायों और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना था.

बैठक के बाद वांग यी ने कहा कि चीन तीनों देशों के बीच हर स्तर पर सहयोग को मजबूत करना चाहता है. उन्होंने रणनीतिक आपसी विश्वास बनाए रखने, सुरक्षा सहयोग को गहरा करने और विकास परियोजनाओं पर मिलकर काम करने का आह्वान किया. वांग ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन, क्षेत्रीय देशों की संप्रभुता को कमजोर करने या बाहरी हस्तक्षेप करने वाले किसी भी संगठन या शक्ति का विरोध करता है.

आतंकवाद पर चीन का फोकस

चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा वार्ता तंत्र को और मजबूत करना होगा और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास तेज करने होंगे. हालांकि आधिकारिक बयान में किसी संगठन का नाम नहीं लिया गया, लेकिन चीनी सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने बताया कि वांग और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की बैठक में ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का जिक्र हुआ. चीन को उम्मीद है कि अफगानिस्तान इस्लामी आतंकी समूहों से निपटने के लिए और ठोस कदम उठाएगा.

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भौगोलिक दृष्टि से चीन की पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों से सीमाएं लगती हैं. पाकिस्तान के साथ चीन की लगभग 596 किलोमीटर लंबी सीमा है, जबकि अफगानिस्तान से 92 किलोमीटर की सीमा गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से जुड़ी हुई है. यह इलाका शिनजियांग से सटा हुआ है, जहां बीजिंग पहले भी आतंकी गतिविधियों और उइगर अलगाववादियों को सुरक्षा चुनौती मानता रहा है.

सीपीईसी का विस्तार और भारत की चिंता

बैठक का एक अहम बिंदु चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने की योजना रहा. सीपीईसी, चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है, जो शिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है. अब बीजिंग चाहता है कि इस परियोजना का लाभ अफगानिस्तान को भी मिले. हालांकि, भारत इस योजना का लगातार विरोध करता रहा है. भारत का कहना है कि सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जो उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है. यही वजह है कि नई दिल्ली ने न सिर्फ सीपीईसी, बल्कि पूरी बीआरआई पहल का ही विरोध किया है.

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यह बैठक बुधवार को काबुल में हुई थी. इससे पहले मई में बीजिंग में इसी तरह की वार्ता हुई थी, जहां पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने राजनयिक स्तर पर संबंध बेहतर करने पर सहमति जताई थी. बीजिंग की इस पहल का उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के बीच न केवल सुरक्षा बल्कि व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय संपर्क को भी बढ़ावा देना है. कुल मिलाकर, चीन क्षेत्रीय स्थिरता और अपने आर्थिक हितों को साधने के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पुल बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत के लिए यह पहल चिंता का विषय बनी हुई है.

Aman Kumar Pandey
Aman Kumar Pandey
अमन कुमार पाण्डेय डिजिटल पत्रकार हैं। राजनीति, समाज, धर्म पर सुनना, पढ़ना, लिखना पसंद है। क्रिकेट से बहुत लगाव है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका के यूपी डेस्क पर बतौर ट्रेनी कंटेंट राइटर के पद अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में प्रभात खबर के नेशनल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत।

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