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हवाई जहाज नहीं ट्रेन, सिर्फ 85 मिनट में पटना से दिल्ली! चीन ने बनाई दुनिया की सबसे तेज रेलगाड़ी 

China Built World Fastest Train: चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी ने दुनिया की सबसे तेज मैगलेव ट्रेन बनाई है, जो सिर्फ 2 सेकंड में 700 km/h की स्पीड तक पहुंच गई. यह अल्ट्रा-हाई-स्पीड टेक्नोलॉजी भविष्य की यात्रा, हाइपरलूप सिस्टम और दूर के शहरों को मिनटों में जोड़ने की क्षमता दिखाती है. इस प्रोजेक्ट में कड़ी टेस्टिंग और 10 साल की रिसर्च शामिल थी.

China Built World Fastest Train: दुनिया में ट्रांसपोर्ट की रफ्तार लगातार बढ़ रही है, लेकिन चीन ने इसे एक नई सीमा तक पहुंचाया है. सोचिए, ट्रेन इतनी तेज हो कि आप उसे देखने से पहले ही वह गुजर जाए. यही हुआ चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी (NUDT) के शोधकर्ताओं के साथ. उन्होंने एक टन वजन वाली ट्रेन को महज दो सेकंड में 700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचाया, और यह रफ्तार इतनी तेज थी कि ट्रेन पलक झपकते ही गायब हो गई.

China Built World Fastest Train in Hindi: दुनिया की सबसे तेज ट्रेन

यह रिकॉर्ड 400 मीटर लंबे मैग्नेटिक लेविटेशन (मैगलेव) टेस्ट ट्रैक पर हासिल किया गया. ट्रेन को इस रफ्तार पर सुरक्षित रूप से रोक भी लिया गया. NUDT के प्रोफेसर ली जी के अनुसार, यह सफलता चीन के अल्ट्रा-हाई-स्पीड मैगलेव ट्रांसपोर्ट सिस्टम के शोध और विकास को काफी तेज करेगी. प्रोफेसर ली ने CGTN को बताया कि आगे उनका ध्यान हाई-स्पीड मैगलेव पाइपलाइन ट्रांसपोर्ट, एयरोस्पेस उपकरण टेस्टिंग और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लॉन्च तकनीक जैसी नई तकनीकों पर रहेगा.

China Built World Fastest Train: मैग्नेटिक लेविटेशन क्या है?

मैग्नेटिक लेविटेशन एक तकनीक है जिसमें ट्रेन पहियों के बजाय चुंबकों की मदद से ट्रैक के ऊपर थोड़ी दूरी पर तैरती है. ट्रेन और ट्रैक में लगे चुंबक एक-दूसरे को धक्का देकर ट्रेन को आगे बढ़ाते हैं. इससे ट्रेन लगभग बिना रुकावट के आगे बढ़ती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, इस नई रफ्तार के साथ चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अल्ट्रा-हाई-स्पीड मैगलेव टेक्नोलॉजी में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है. यह वैक्यूम-ट्यूब ट्रांसपोर्ट जैसी भविष्य की तकनीकों के लिए भी रास्ते खोलता है.

ट्रेन इतनी तेज कि लगे सिनेमा का सीन

टेस्ट के दौरान ट्रेन सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट्स की मदद से ट्रैक से छूते नहीं हुए आगे बढ़ी. वीडियो में ट्रेन एक सिल्वर बिजली की रेखा की तरह गुजरती दिखती है, और पीछे हल्का धुंधला धुंआ छोड़ती है. यह नजारा किसी साइंस फिक्शन मूवी का सीन लगता है. इस तकनीक से ट्रेन लंबी दूरी के शहरों को मिनटों में जोड़ सकती है. यही तकनीक हाइपरलूप जैसी भविष्य की यात्रा को भी संभव बना सकती है.

तकनीकी पहलू और भविष्य की संभावना

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, यह ट्रेन अल्ट्रा-हाई-स्पीड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रोपल्शन, इलेक्ट्रिक सस्पेंशन गाइडेंस, ट्रांजिएंट हाई-पावर एनर्जी स्टोरेज, और हाई-फील्ड सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट्स जैसी जटिल तकनीकों को हल करती है. यह तकनीक न केवल ट्रेन, बल्कि अंतरिक्ष और विमानन उद्योग में भी इस्तेमाल हो सकती है. रॉकेट और विमान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रणाली की मदद से तेज, सुगम और कम ईंधन खर्च करके उड़ सकते हैं.

चीन का 10 सालों का शोध

प्रोफेसर ली के अनुसार, इस अल्ट्रा-हाई-स्पीड मैगलेव ट्रेन परियोजना पर टीम ने पिछले 10 सालों से काम किया है. जनवरी 2025 में इसी ट्रैक पर ट्रेन ने पहले 648 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी थी. लगभग तीन दशक पहले, यही यूनिवर्सिटी चीन की पहली मैनड सिंगल-बॉगी मैगलेव ट्रेन विकसित कर चुकी थी. इस उपलब्धि के साथ चीन दुनिया का तीसरा देश बन गया जिसने इस तकनीक में महारत हासिल की.

पटना से दिल्ली सिर्फ 85 मिनट में?

भारतीय संदर्भ में, अगर इस चीनी ट्रेन की स्पीड हमारे रेलवे नेटवर्क पर लागू की जाए, तो इंडियन रेल इन्फो वेबसाइट के अनुसार, पटना और दिल्ली के बीच लगभग 990 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 85 मिनट में तय की जा सकती है. यह तेज, स्मार्ट और सुविधाजनक यात्रा के भविष्य की एक झलक है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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