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जापान में भालू को मारकर क्यों खा रहे लोग? राज जानकर थाली लेकर दौड़ जाएंगे आप

Bear Meat Japan: जापान इन दिनों दोहरी चुनौती से जूझ रहा है. एक तरफ भालुओं का बढ़ता आतंक है, तो दूसरी ओर चीन-ताइवान विवाद से उपजा तनाव. भालू अब जंगल से निकलकर थाली तक पहुंच गए हैं और जापान सुरक्षा, राजनीति व संसाधनों के नए रास्ते तलाश रहा है.

Bear Meat Japan: कई देशों में हाथी, शेर और दरियाई घोड़े अक्सर गांवों और खेतों में घुस आते हैं. कभी फसलें तबाह होती हैं, तो कभी इंसानी जान चली जाती है. वहां इसे इंसान और जंगल के बीच की टकराहट कहा जाता है. अब कुछ ऐसा ही नजारा जापान में भी दिख रहा है. फर्क बस इतना है कि यहां शेर या हाथी नहीं, बल्कि भालू लोगों के लिए खतरा बन गए हैं. और कहानी यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि भालू का डर अब लोगों की थाली तक पहुंच चुका है.

भालू का कहर घर, स्कूल और सुपरमार्केट तक हमला

जापान में इस साल भालुओं के हमलों में 13 लोगों की मौत हो चुकी है. यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. भालू जंगल छोड़कर घरों में घुस रहे हैं, स्कूलों के आसपास घूम रहे हैं और कई जगह सुपरमार्केट में भी घुस चुके हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके पीछे तीन बड़ी वजहें हैं जैसे कि  भालुओं की आबादी तेजी से बढ़ना, गांवों से लोगों का शहरों की ओर पलायन और जंगलों में भालू के खाने की कमी, खासकर एकॉर्न की खराब फसल. भूखे भालू इंसानों के इलाके में पहुंच रहे हैं और टकराव बढ़ता जा रहा है.

सरकार का फैसला- भालू मारो, खतरा घटाओ

हालात बिगड़ते देख जापान सरकार ने भालुओं की संख्या कम करने का फैसला लिया. इसके लिए सेना को लॉजिस्टिक मदद में लगाया गया. दंगा नियंत्रण पुलिस तक को भालू मारने की जिम्मेदारी दी गई. आंकड़े बताते हैं कि इस वित्तीय साल के पहले छह महीनों में ही उतने भालू मार दिए गए, जितने पूरे पिछले साल में मारे गए थे. भालू, जो आधा टन तक भारी हो सकते हैं और इंसान से तेज दौड़ सकते हैं, अब सरकारी कार्रवाई के निशाने पर हैं.

भालू का भुना हुआ मांस ग्राहकों के बीच बहुत लोकप्रिय डिश

अब कहानी में असली ट्विस्ट आता है. जिन भालुओं को मारा जा रहा है, उन्हें सिर्फ दफनाया ही नहीं जा रहा, बल्कि उनका मांस रेस्टोरेंट में भी परोसा जा रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, टोक्यो के पास एक पहाड़ी शहर चिचिबू में 71 साल के कोजी सुजुकी अपने रेस्टोरेंट में भालू का मांस परोसते हैं. पत्थर की स्लैब पर भुना हुआ मांस या सब्जियों के साथ हॉट पॉट उनके ग्राहकों के बीच बहुत लोकप्रिय डिश हैं. सुजुकी कहते हैं कि जैसे-जैसे भालुओं के बारे में खबरें बढ़ीं, ज्यादा लोग भालू का मांस खाने आने लगे. 

उनका मानना ​​है कि अगर किसी भालू को मारा जाता है, तो सम्मान की बात यह है कि उसका इस्तेमाल किया जाए, न कि सिर्फ उसे दफना दिया जाए. 28 साल के म्यूजिशियन ताकाकी किमुरा ने पहली बार भालू का मांस खाया. उन्होंने कहा कि यह बहुत जूसी था और जितना ज्यादा उन्होंने चबाया, उसका स्वाद उतना ही तेज होता गया. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, रेस्टोरेंट चलाने वाली चिएको सुजुकी कहती हैं कि अब उन्हें अक्सर ग्राहकों को मना करना पड़ता है. हालांकि, उन्होंने बिजनेस के आंकड़े बताने से मना कर दिया.

Bear Meat Japan in Hindi: होक्काइडो में सबसे ज्यादा भालू

जापान सरकार इस पूरे मामले को गांवों की आमदनी से जोड़कर देख रही है. कृषि मंत्रालय का कहना है कि जंगली जानवरों से होने वाली परेशानी को अवसर में बदलना जरूरी है. इसके लिए सरकार ने करीब 118 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सब्सिडी देने का ऐलान किया है. मकसद है भालुओं की संख्या पर काबू पाना और उनके मांस से ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करना. जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में ब्राउन बियर पाए जाते हैं. यहां पिछले 30 सालों में उनकी संख्या दोगुनी होकर 11,500 से ज्यादा हो चुकी है. सरकार ने अगले 10 सालों तक हर साल 1,200 भालू मारने की योजना बनाई है. हालांकि दिक्कत यह है कि भालू के मांस को प्रोसेस करने वाली सरकारी फैक्ट्रियां बहुत कम हैं. इसी वजह से काफी मांस अब भी बेकार चला जाता है.

चीन-ताइवान और जापान तनाव

इसी बीच जापान में एक और बड़ा तनाव चल रहा है, जो भालुओं के साथ-साथ चीन और ताइवान से जुड़ा है. 1949 के चीनी गृहयुद्ध के बाद चीन की राष्ट्रवादी सरकार ताइवान चली गई थी और वहां अलग शासन बना लिया. चीन आज भी ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को अलग और लोकतांत्रिक देश मानता है. यही विवाद दशकों से एशिया की राजनीति को गर्माए हुए है. जापान भले ही आधिकारिक तौर पर ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानता हो, लेकिन वह ताइवान की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा से जोड़कर देखता है. ताइवान जापान के बेहद करीब है और वहां से गुजरने वाले समुद्री रास्ते जापान के लिए बहुत अहम हैं. (Japan China Taiwan Tension in Hindi)

साने ताकाइची का बयान और चीन की नाराजगी

2025 में जापानी नेता साने ताकाइची ने साफ कहा कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो जापान चुप नहीं बैठेगा. इस बयान से चीन नाराज हो गया. उसने इसे अपने आंतरिक मामलों में दखल बताया और जापान के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया. इसके बाद चीन ने जापान के आसपास समुद्री इलाकों में अपनी गतिविधियां बढ़ा दीं. चीन और जापान के बीच सेनकाकू द्वीपों को लेकर भी विवाद है. जापान इन्हें अपना मानता है, जबकि चीन और ताइवान दोनों दावा करते हैं. चीनी जहाजों की लगातार मौजूदगी से तनाव और बढ़ जाता है.

ओसाका में चीनी काउंसल, जू जियान नाम के एक चीनी डिप्लोमैट ने सोशल मीडिया पर हिंसक भाषा का इस्तेमाल किया था. उसने प्रधानमंत्री ताकाची का गला काटने की धमकी दी थी. इस बयान पर जापान में काफी ध्यान गया और जापानी सरकार ने इसे पूरी तरह से अस्वीकार्य माना. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, यह चीनी सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक धमकी नहीं थी; यह सिर्फ एक विवादित डिप्लोमैट का बयान था. हालांकि, चीन ने बाद में एक डिप्लोमैटिक चेतावनी जारी की, जिसमें कहा गया कि जापान को रेड लाइन पार नहीं करनी चाहिए.

इस पूरे विवाद में अमेरिका जापान के साथ खड़ा नजर आता है. अमेरिका का कहना है कि ताइवान स्ट्रेट में शांति जरूरी है और जापान की सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है. अमेरिकी समर्थन से जापान अब चीन के खिलाफ ज्यादा खुलकर बोल रहा है. अभी हालात ऐसे हैं कि चीन अपनी मिलिट्री ताकत दिखा रहा है, जापान अपना डिफेंस बजट बढ़ा रहा है, और ताइवान अपनी सुरक्षा मजबूत कर रहा है. दुनिया चाहती है कि यह मामला बातचीत से सुलझ जाए, क्योंकि अगर यहां लड़ाई हुई, तो इसका असर सिर्फ एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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