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चीन ने बनाया दुनिया का सबसे ऊंचा पुल, 625 मीटर की खाई पर इंजीनियरिंग का चमत्कार, 2 घंटे का सफर सिर्फ 2 मिनट में

China Builds World Tallest Huajian Grand Canyon Bridge: चीन ने गुइझोऊ प्रांत में दुनिया का सबसे ऊंचा पुल, हुआजियांग ग्रैंड कैनियन ब्रिज खोला. 625 मीटर ऊंचाई, दो घंटे का सफर घटकर दो मिनट में. इंजीनियरिंग का कमाल, बादलों में डूबे खंभे और इंद्रधनुषी नजारा.चीन की इंफ्रास्ट्रक्चर ताकत का नया करिश्मा है.

China Builds World Tallest Huajian Grand Canyon Bridge: दुनिया को हैरत में डाल देने वाले पुलों का घर है चीन. हर कुछ साल में यहां कोई ऐसा प्रोजेक्ट सामने आता है, जिसे देखकर बाकी दुनिया दंग रह जाती है. इस बार गुइझोऊ प्रांत से खबर आई है, जहां हुआजियांग ग्रैंड कैनियन ब्रिज तैयार हो गया है. रविवार (28 सितंबर) को इसे आम यातायात के लिए खोल दिया गया. तीन साल की मेहनत के बाद बना यह पुल समुद्र तल से नहीं, बल्कि सीधे नदी से 625 मीटर यानी 2051 फीट की ऊंचाई पर खड़ा है. और इसी के साथ यह दुनिया का सबसे ऊंचा पुल बन गया है.

उद्घाटन का नजारा

रविवार को राज्य मीडिया ने ड्रोन से लाइव फुटेज दिखाए. पुल के नीले खंभे बादलों में लिपटे थे और उनके ऊपर से गाड़ियां गुजर रही थीं. नजारा ऐसा कि जैसे किसी फिल्म का सीन हो. उद्घाटन समारोह में इंजीनियर, स्थानीय अधिकारी और बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. सीएनए न्यूज के मुताबिक, कई लोगों ने मौके पर दिए लाइव इंटरव्यू में गर्व और खुशी जताई.

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट कहती है कि इस पुल ने गुइझोऊ के ही बेइपानजियांग ब्रिज का रिकॉर्ड तोड़ दिया. वह पुल 565 मीटर ऊंचा है और अब दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पुल बन गया है.

China Builds World Tallest Huajian Grand Canyon Bridge: वॉटर कर्टेन टेस्ट 

ब्रिज पर एक खास टेस्ट भी किया गया,‘वॉटर कर्टेन टेस्ट’. पानी की धारें और सूरज की रोशनी मिलकर घाटी पर इंद्रधनुष जैसी चमक पैदा कर रही थीं. इस नजारे ने पूरे उद्घाटन को और भी शानदार बना दिया. शिन्हुआ न्यूज एजेंसी बताती है कि गुइझोऊ वैसे भी पुलों के लिए मशहूर है. यहां हजारों ब्रिज हैं और अब दुनिया के दो सबसे ऊंचे पुल भी इसी प्रांत में हैं. इतना ही नहीं, दुनिया के 100 सबसे ऊंचे पुलों में से लगभग आधे गुइझोऊ में ही खड़े हैं.

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तकनीक और आकार

शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, हुआजियांग ब्रिज का मुख्य स्पैन 1,420 मीटर है. यह पहाड़ी इलाके में अब तक का सबसे बड़ा स्पैन है. इसे बनाने में तीन साल से ज्यादा का समय लगा. ऊंचाई के मामले में इसने सबको पीछे छोड़ दिया है, लेकिन ‘संरचना की ऊंचाई’ का रिकॉर्ड अभी भी फ्रांस के मिलौ वायडक्ट के पास है, जिसकी ऊंचाई 343 मीटर है. फर्क इतना है कि फ्रांस वाले पुल की बात खंभों की ऊंचाई से है, जबकि चीन वाले पुल की बात नदी से पुल की दूरी की है.

सफर घटकर दो मिनट

गुइझोऊ प्रांतीय ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की प्रमुख झांग यिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हुआजियांग ग्रैंड कैनियन ब्रिज के खुलने से दोनों ओर का सफर दो घंटे से घटकर सिर्फ दो मिनट हो गया है. उनके मुताबिक, इस पुल से “क्षेत्रीय परिवहन की हालत सुधरेगी और आर्थिक-सामाजिक विकास को नई रफ्तार मिलेगी.”

पिछले कुछ दशकों से चीन बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करता आया है. यही वजह है कि देश में तेज शहरीकरण और आर्थिक विकास हुआ. खासकर पहाड़ी इलाकों में पुलों ने लोगों की जिंदगी बदल दी है. हुआजियांग ग्रैंड कैनियन ब्रिज इस कहानी का नया अध्याय है.

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गुइझोऊ प्रांत का हुआजंग ग्रैंड कैनियन ब्रिज के बाद हाईएस्टब्रिजस डॉट कॉम के अनुसार, चीन का डुगे (बेइपानजियांग) ब्रिज, जो 565 मीटर की ऊंचाई पर है, लंबे समय तक इस सूची में पहले स्थान पर रहा. तियानमेन ब्रिज (560 मीटर) और सिदुहे ब्रिज (496 मीटर) भी चीन की इंजीनियरिंग क्षमता को दर्शाते हैं.

भारत का चेनाब ब्रिज

इन शानदार चीनी पुलों के बीच, भारत ने भी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. जम्मू-कश्मीर में 359 मीटर की ऊंचाई पर बना चेनाब रेलवे ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून, 2025 को इसका उद्घाटन किया. इंडिया टुडे और इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि यह कश्मीर घाटी और देश के बाकी हिस्सों के बीच कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगा.

Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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