Asim Munir CDF: पाकिस्तान में इन दिनों सत्ता, सेना और धर्म तीनों एक बार फिर आमने-सामने खड़े दिख रहे हैं. वजह है सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर को मिली अभूतपूर्व ताकत. उनकी नई नियुक्ति और उन्हें दी गई कानूनी छूट को लेकर अब सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि धार्मिक नेता भी सवाल उठा रहे हैं. हालात ऐसे बन गए हैं कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार बीच में फंसती नजर आ रही है.
Asim Munir CDF in Hindi: आसीम मुनीर को मिली नई कुर्सी और बेमिसाल ताकत
सीएनएन-न्यूज18 के मुताबिक, 27 दिसंबर को जनरल आसीम मुनीर को पाकिस्तान का पहला Chief of Defence Forces (CDF) बनाया गया. यह पद 27वें संविधान संशोधन के जरिए बनाया गया है. इसी संशोधन के तहत असीम मुनीर को अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए किसी भी फैसले पर आजीवन कानूनी सुरक्षा दी गई है. यानी जब तक संसद खुद इस सुरक्षा को वापस न ले, तब तक उनके खिलाफ न आपराधिक केस हो सकता है और न ही कोई सिविल मुकदमा.
मुफ्ती तकी उस्मानी का ऐलान- यह इस्लाम के खिलाफ है
सीएनएन-न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) यानी JUI-F से जुड़े वरिष्ठ इस्लामिक विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी ने इस फैसले को सीधे तौर पर इस्लाम के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा है कि इस्लाम किसी भी इंसान को कानून से ऊपर नहीं रखता चाहे वह आम आदमी हो, शासक हो, सेना प्रमुख हो या खलीफा ही क्यों न हो. मुफ्ती उस्मानी के मुताबिक, किसी को पूरी तरह जवाबदेही से बाहर कर देना हराम है. (Mufti Taqi Usmani fatwa in Hindi)
कुरान और सुन्नत का हवाला देकर उठाए सवाल
सूत्रों के अनुसार, मुफ्ती तकी उस्मानी ने साफ कहा कि कुरान और सुन्नत दोनों में ऐसी कोई इजाजत नहीं है कि ताकतवर लोगों को कानून से छूट दी जाए. उनका कहना है कि पूरी कानूनी इम्युनिटी देना इस्लामी सोच के खिलाफ है और यह नैतिक रूप से भी गलत है. JUI-F ने इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की भूमिका पर नाराजगी जताई है. पार्टी का आरोप है कि सरकार ने सेना प्रमुख को आजीवन कानूनी सुरक्षा देकर इस्लामी मूल्यों का उल्लंघन किया है. सूत्रों के मुताबिक, JUI-F मानती है कि शहबाज सरकार ने सत्ता बचाने के लिए धार्मिक सिद्धांतों से समझौता किया है. (Pakistan PM Sharif in Hindi)
सत्तारूढ़ गठबंधन PDM के भीतर भी बेचैनी
सीएनएन-न्यूज18 के अनुसार, यह मुद्दा सिर्फ विपक्ष तक सीमित नहीं है. सत्तारूढ़ गठबंधन PDM के अंदर भी इस फैसले को लेकर असहजता है. PDM की अगुवाई शहबाज शरीफ की PML-N ने की थी और इसमें PPP व JUI-F भी शामिल थे. बाद में JUI-F ने गठबंधन छोड़ दिया और 2024 में चुनावी गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए आंदोलन शुरू कर दिया. सूत्रों के मुताबिक, JUI-F का मानना है कि उसे सिर्फ सड़क पर भीड़ जुटाने और धार्मिक समर्थन के लिए इस्तेमाल किया गया. असली सत्ता और फैसलों से पार्टी को दूर रखा गया. यही नाराजगी अब सेना और सरकार दोनों के खिलाफ खुलकर सामने आ रही है.
‘नागरिक सरकार सिर्फ नाम की है’
JUI-F प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के अनुसार, पाकिस्तान में मौजूदा नागरिक सरकार सिर्फ दिखावे की है. असली सत्ता अब भी सेना के हाथ में है. पार्टी का दावा है कि चुनाव के बाद सीटों के बंटवारे और राजनीतिक समझौते PML-N और PPP के पक्ष में किए गए. सीएनएन-न्यूज18 के हवाले से खुफिया सूत्र बताते हैं कि देवबंदी मौलवियों के बीच भी नाराजगी बढ़ रही है. वे JUI-F नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं कि वह इस व्यवस्था से दूरी बनाए, जिसे वे गैर-इस्लामिक मानते हैं.
मुफ्ती तकी उस्मानी जैसे बड़े नाम का खुलकर बोलना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पाकिस्तान की मौजूदा व्यवस्था की वैधता पर गहरा सवाल खड़ा हो गया है. विश्लेषकों के मुताबिक, जब विरोध राजनीति तक सीमित होता है तो उसे दबाया जा सकता है, लेकिन जब सवाल धर्म के आधार पर उठते हैं, तो हालात और जटिल हो जाते हैं. यही वजह है कि रावलपिंडी के लिए यह मामला आसान नहीं रह गया है.
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