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तालिबान करेगा संघर्ष विराम की घोषणा

इस्लामाबाद:तालिबान ने सैद्धांतिक तौर पर संघर्ष विराम का फैसला किया है जिसकी घोषणा अगले 24 घंटे में होने की संभावना है लेकिन उसने हिरासत में बंद गैर-लड़ाकों को छोड़ने और उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र से पाकिस्तानी सेना की वापसी की मांग की है. प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की राजनीतिक शूरा ने विवादित शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने […]

इस्लामाबाद:तालिबान ने सैद्धांतिक तौर पर संघर्ष विराम का फैसला किया है जिसकी घोषणा अगले 24 घंटे में होने की संभावना है लेकिन उसने हिरासत में बंद गैर-लड़ाकों को छोड़ने और उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र से पाकिस्तानी सेना की वापसी की मांग की है. प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की राजनीतिक शूरा ने विवादित शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष विराम की सरकार की मांग पर चर्चा करने के लिए कबायली क्षेत्र में बैठक की. टीवी चैनलों ने सूत्रों के हवाले से कहा कि शूरा ने सैद्धांतिक तौर पर अगले 24 घंटे में संघर्ष विराम की घोषणा करने का फैसला किया है.

जियो न्यूज की खबर के अनुसार, तालिबान ने अशांत उत्तरी वजीरीस्तान से सेना हटाने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों की हिरासत में बंद गैर-लड़ाके महिला और बच्चों को छोड़ा जाना चाहिए. विश्लेषकों का कहना है कि सेना को उसके सैनिकों की वापसी की मांग पूरी करने में दिक्कत हो सकती है क्योंकि उसने लंबे अरसे और कोशिशों के बाद वजीरिस्तान में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. सरकारी मीडिया ने ज्यादा जानकारी दिए बिना खबर दी कि तालिबान से वार्ताओं के लिए सरकारी पैनल के प्रमुख और पत्रकार इरफान सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हालिया बदलावों की जानकारी दी.

गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान इस बैठक में मौजूद थे. टीटीपी शूरा में उसके उपप्रमुख कारी शकील अहमद हक्कानी, टीटीपी प्रवक्ता आजम तारिक, आमिर इस्लाम, कमांडर अहमद, अनवर गंडापुरी, क्वेटा खंड के नेता पीर साहब, मौलाना अब्दुल्लाह और कमांडर पश्तून शामिल हैं. सरकारी मध्यस्थों और तालिबान द्वारा नामित समिति ने एक दशक लंबे उपद्रव को खत्म करने के उद्देश्य से प्राथमिक वार्ताओं का आयोजन किया है. हिंसा में लगभग 40 हजार जानें जा चुकी हैं.

हालांकि इस बात पर संदेह भी बढ़ रहे हैं कि इस प्रक्रिया से कोई स्थायी हल निकल सकेगा. पर्यवेक्षकों का इशारा इस बात की ओर है कि तालिबान पिछली सभी शांति संधियों से मुकर गया है. शांति प्रक्रिया में शामिल होने के बावजूद तालिबान ने कई आतंकी हमले किए. सरकारी मध्यस्थों ने इस सप्ताह की शुरुआत में यह स्प्ष्ट किया था कि और ज्यादा हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि यदि हमले जारी रहते हैं, ‘‘तो वार्ता की प्रक्रिया को जारी रखना मुश्किल हो जाएगा.’’

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