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आंखे खोलते ही मलाला के मन में विचार आया,खुदा का शुक्र है मैं मरी नहीं

लंदन : तालिबान के घातक हमले की शिकार हुई पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने जब इंगलैंड के एक अस्पताल में आंखे खोली तो उनके मन में आया सबसे पहला विचार था, ‘‘खुदा का शुक्र है, मैं मरी नहीं.’’ संडे टाइम्स में प्रकाशित उनकी आत्मकथा के अंशों के मुताबिक, मलाला (16) ने अपनी आत्मकथा […]

लंदन : तालिबान के घातक हमले की शिकार हुई पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने जब इंगलैंड के एक अस्पताल में आंखे खोली तो उनके मन में आया सबसे पहला विचार था, ‘‘खुदा का शुक्र है, मैं मरी नहीं.’’ संडे टाइम्स में प्रकाशित उनकी आत्मकथा के अंशों के मुताबिक, मलाला (16) ने अपनी आत्मकथा (आई एम मलाला) "द गर्ल हू स्टुड अप फॉर एजुकेशन एंड वाज शॉट बाई दी तालिबान"में यह बात कही है.मलाला 11 अक्तूबर को घोषित होने वाले नोबेल शांति पुरस्कार की सबसे अहम दावेदार मानी जा रही हैं. मंगलवार को प्रकाशित होने वाली अपनी पुस्तक में मलाला ने लिखा है कि पिछले वर्ष 9 अक्तूबर को हुए हमले से जुड़ी लगभग कोई भी चीज उन्हें याद नहीं है.

उन्होंने अपनी इस किताब में तालिबान के घातक हमले के बाद अस्पातल में बिताए गए अपने दिनों का विस्तृत ब्यौरा देते हुए कहा, ‘‘गोली लगने के एक सप्ताह बाद 16 अक्तूबर को मुझे होश आया. वहां सबसे पहले मेरे मन में विचार आया, ‘खुदा का शुक्र है, मैं मरी नहीं’.’’ इस अखबार में मलाला की लिखी आत्मकथा के हवाले से बताया गया, ‘‘मेरे मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे: मैं कहा हूं? मुझे यहां कौन लेकर आया? मेरे माता पिता कहां हैं? क्या मेरे पिता जीवित हैं? मैं डरी हुई थी. मुझे सिर्फ यही पता था कि अल्लाह ने मुझे एक नई जिंदगी से नवाजा है.’’

मलाला ने अपनी आत्मकथा में तालिबान के घातक हमले का भी जिक्र किया है, जो इस हमले की चश्मदीद गवाह रही उसकी एक मित्र ने उसे बताया था.खुद पर हुए घातक हमले का जिक्र करते हुए मलाला इस पुस्तक में लिखती हैं ‘‘दाढ़ी वाला एक युवक सड़क पर आया और उसने हाथ देकर वैन का रोका. वह जब वाहन चालक से बात कर रहा था, तभी एक दुसरा युवक पीछे की तरफ आया.’’

मलाला लिखती हैं, ‘‘उस आदमी ने एक टोपी पहन रखी था और मुह एवं नाक पर रमाल बांध रखा था, मानो उसे जुकाम हो रखा हो. वह कॉलेज का छात्र जैसा लग रहा था. वह वाहन के पिछले हिस्से में आया और हमारे उपर झुक गया. फिर उसने पूछा कि मलाला कौन है?’’ अपनी आत्मकथा में वह लिखती हैं, ‘‘किसी ने भी कुछ नहीं कहा, लेकिन कुछ लड़कियां मेरी ओर देखने लगीं. मैं ही एक ऐसी लड़की थी, जिसका चेहरा ढका हुआ नहीं था. तभी उसने एक काली पिस्तौल उठाई. कुछ लड़कियां चीखने लगी. मेरी दोस्तों ने बताया उसने तीन गोलियां मारी.’’ मलाला कहती हैं कि उनकी दोस्तों ने बाद में उन्हें बताया कि गोली चलाने वाले के हाथ कांप रहे थे.

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